बिस्तर में पेशाब करने पर बच्चों को डांटे नहीं, बल्कि अपनाएं 'कॉन्फिडेंस बिल्डिंग थेरेपी' Lucknow News
केजीएमयू के बालरोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सिद्धार्थ कुवंर भटनागर बच्चों के बिस्तर में पेशाब करने की आदत को छुड़ाने की थेरेपी के बारे में चर्चा की।
लखनऊ, जेएनएन। अक्सर चार या पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चों में भी बिस्तर में पेशाब करने की बीमारी हो जाती है। अधिकतर पाया गया है कि डायपर के इस्तेमाल की वजह से उनकी टॉयलेट ट्रेनिंग नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से बच्चे ऐसा करते हैं, लेकिन अभिभावक ऐसे में बच्चों के साथ डांट डपट करने लगते हैं। जिसका उन पर विपरित प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का मनोबल बढ़ाकर उन्हें सकारात्मक तरीके से इस बीमारी से उबरने के लिए तैयार करें। केजीएमयू के बालरोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सिद्धार्थ कुवंर भटनागर बच्चों को इस बीमारी से उबरने के लिए कॉन्फिडेंस बिल्डिंग थेरेपी के बारे में बताया।
बच्चों के बिस्तर में पेशाब करने के कारण स्ट्रेस, डायपर या टॉयलेट ट्रेनिंग न होना कुछ भी हो सकता है। इन्हें जहां तक हो कम करने की कोशिश करनी चाहिए। अधिक जरूरी है यह जानना कि जब बीमारी हो गई है तब क्या किया जाए। इसका इलाज मुख्यता अभिभावकों के हाथों मे ही है। अभिभावकों को बीमारी से ग्रसित बच्चे का स्वाभिमान लौटाने की थेरेपी यानि कॉन्फिडेंस बिल्डिंग थेरेपी बतानी चाहिए।
1. बच्चे की कोई हंसी न उड़ाए।
2. बार-बार इस बीमारी कि बढ़ा चढ़ा कर बातें करने से बच्चे का मनोबल क्षीण होता है, आत्मविश्वास नष्ट होकर बीमारी उल्टे बढ़ती जाती है।
3. माता पिता को इस व्याधि को महत्वपूर्ण होते हुये भी धैर्यपूर्वक सामना करना स्वयं सीखना एवं बच्चे को सिखाना चाहिए।
4 . डॉक्टर का रोल:
5. बच्चे को तथ्यपरक जानकारी दें।
6. उसके चेहरे पर मुस्कान लाकर "confidence building measures" शुरू करें व पैरेन्ट्स को भी समझाएं।
7. बच्चे को यह समझाना चाहिए कि क्या तुमने बहुत बड़ी उम्र मे भी किसी को बिस्तर परपेशाब करते नहीं देखा होगा। इसका मतलब सबकी ये बीमारी किसी न कसी दिन चली जाएगी। बच्चे की इस बात से आशा, सकारात्मकता और विश्वास बढ़ते हैं। और यहीं इस बीमारी की उल्टी गिनती शुरू होने लगती है।
बस एक तकनीक बच्चे को इस तरह से समझाकर शुरू कराना चाहिये कि उसे सजा न लगे (कि उसे अपने गीले हो गये कपड़े और बिस्तर के कपड़े खुद बदलने हैं। और वह खुशी-खुशी इस तकनीक को इस भावना के साथ करे कि वह ही स्वयं का इलाज कर रहा है।
मस्तिष्क को एसे मेसेज जाने लगते हैं कि बच्चा धीरे धीरे स्वयं उठ कर टायलेट हो आता है।
जब मा पिता आकर बताते हैं कि पिछले 1 महीने मे उसने14 दिन बिस्तर गीला नहीं किया तो उसे डॉक्टर की ओर से शाबाशी के साथ ही इनाम मे भी कुछ न कुछ दिया जाना चाहिए।
यह भी रखें ध्यान
- सोने से 3 घंटे पहले खाना पीना सब करा देना चाहिए
- पेट के बल सोये तो बीच बीच मे सीधा कर दें
- यकीन मानिए बच्चे मे इतना करने से ही जल्द सुधार शुरू होकर धीरे धीरे पूर्ण सुधार होगा
- इस व्यवहारिक चिकित्सा से हुए सुधार मे दुबारा पलट कर बीमारी की सम्भावना नहीं रह जाती