भगवा ब्रिगेड की ऊर्जा स्थली में ‘लाल सलाम’ की तैयारी, अयोध्या से उम्मीदवार उतारेगी सीपीआइ
UP Election 2022 अयोध्या में एक बार लोकसभा व चार बार मिल्कीपुर विधानसभा सीट सीपीआइ को मिल चुकी है लेकिन हर बार इस सफलता के पीछे सीपीआइ के पीछे दिग्गज नेता दिवंगत मित्रसेन यादव की व्यक्तिगत ताकत रही।
अयोध्या, [नवनीत श्रीवास्तव]। एक ओर जहां रामनगरी भगवा ब्रिगेड की ऊर्जा स्थली के तौर पर प्रतिष्ठित है तो दूसरी ओर विस चुनाव में ‘लाल सलाम’ की भी अनुगूंज रहेगी। कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (सीपीआइ) अयोध्या व गोसाईंगंज सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में भी सीपीआइ ने अयोध्या में किस्मत आजमाई थी, लेकिन कोई करिश्मा नहीं कर सकी। एक बार फिर सीपीआइ रामनगरी में अपनी उपस्थिति अंकित करेगी।
जिले में एक बार लोकसभा व चार बार मिल्कीपुर विधानसभा सीट सीपीआइ को मिल चुकी है, लेकिन हर बार इस सफलता के पीछे सीपीआइ के पीछे दिग्गज नेता दिवंगत मित्रसेन यादव की व्यक्तिगत ताकत रही। वे वर्ष 1977, 1980, 1985 व 1993 में मिल्कीपुर से सीपीआइ के टिकट से विधायक चुने गए थे, जबकि वर्ष 1989 में वे सीपीआइ से ही सांसद बने थे। मित्रसेन के पार्टी छोड़ने के बाद सीपीआइ की ताकत भी जाती रही। अलग-अलग मौकों पर सीपीआइ ने अपनी मौजूदगी तो अंकित कराई, लेकिन कोई कमाल नहीं कर सकी। इस बार सीपीआइ सूर्यकांत पांडेय पर फिर से अयोध्या में दांव लगाने की तैयारी में है। पांडेय ने पिछला विस चुनाव भी सीपीआइ से अयोध्या से लड़ा था। सूर्यकांत सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हैं। उन्होंने वर्ष 1998 में अशफाक उल्ला खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान की स्थापना की।
इसी संस्था की ओर से अशफाक उल्ला खां के बलिदान दिवस पर प्रतिवर्ष तीन हस्तियों को प्रतिष्ठित माटी रतन पुरस्कार भी दिया जाता है। उन्होंने वर्ष 2002 में सपा से नगर पालिकाध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा था। वर्ष 2007 में पालिकाध्यक्ष के पद पर निर्दल उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाई थी, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। पिछले विधानसभा चुनाव में वे सीपीआइ के उम्मीदवार के तौर पर अयोध्या में उतरे, लेकिन प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा। सीपीआइ की प्रांतीय काउंसिल के सदस्य अशोक तिवारी कहते हैं कि उम्मीदवार के नाम पर अंतिम फैसला राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लिया जाएगा।