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ट्रॉमा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने में अफसरों को आया पसीना, सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी न लगाने से मचा बवाल

केजीएमयू शिक्षक संघ की बैठक में बरसे शिक्षक प्रशासनिक व्यवस्था बताई फेल सीनियर डॉक्टरों का ड्यूटी न लगाने पर घमासान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 08:07 PM (IST)
ट्रॉमा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने में अफसरों को आया पसीना, सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी न लगाने से मचा बवाल
ट्रॉमा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने में अफसरों को आया पसीना, सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी न लगाने से मचा बवाल

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर की ड्यूटी को लेकर शिक्षक और अफसर आमने-सामने आ गए हैं। पदों पर काबिज डॉक्टरों ने इमरजेंसी ड्यूटी को जायज ठहराया। वहीं, तमाम ने विरोध किया। साथ ही ट्रॉमा में फैली अव्यवस्था की वजह प्रशासनिक व्यवस्था फेल होना बताया। 

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केजीएमयू में 400 बेड का ट्रॉमा सेंटर है। यहां कुल 556 शिक्षकों के पद हैं। वहीं 750 जूनियर डॉक्टर हैं। बावजूद इसके इमरजेंसी सेवाएं चरमराई हुई हैं। ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। मरीजों को निजी अस्पताल में रेफर करने का धंधा चल रहा है। ऐसे में शासन भी सख्त हो गया है। कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने पूर्व कुलपति की तर्ज पर ट्रॉमा में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का निर्देश जारी किया। तीन वर्ष में तीन बार आदेश जारी कर चुके हैं, मगर डॉक्टरों ने पालन नहीं किया। वहीं, 31 जनवरी को जारी आदेश में अल्टीमेटम भी दिया गया, लेकिन व्यवस्था छह दिन बाद ही ध्वस्त हो गई।

ऐसे में छह फरवरी से गैरहाजिर डॉक्टरों की लिस्ट बनाकर ट्रॉमा सीएमएस डॉ. संतोष कुमार ने कुलपति को कार्रवाई के लिए भेज दी। इसको लेकर शिक्षक भड़क गए। आनन-फानन में शिक्षक संघ की मंगलवार को कलाम सेंटर में बैठक हुई। इसमें पदाधिकारी व सदस्य जुटे। 

 609 नंबर कक्ष में हुई बैठक में हॉल खचाखच भरा रहा। इसमें संस्थान की प्रशासनिक पदों पर काबिज शिक्षकों ने इमरजेंसी ड्यूटी आदेश को जायज ठहराया। वहीं, अधिकतर ने ट्रॉमा में अव्यवस्था को प्रशासनिक फेल्योर बताया। इस दौरान ड्यूटी करने या न करने पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। 

प्रोफेसर की ड्यूटी पर आपस में तकरार

ट्रॉमा में फरवरी-मार्च का ड्यूटी रोस्टर जारी हुआ है। इसमें 118 शिक्षकों के नाम हैं। ये सभी एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। एक भी प्रोफेसर की इमरजेंसी ड्यूटी नहीं लगाई गई। ऐसे में एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर ने प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने प्रोफेसर को ड्यूटी में छूट क्यूं दी गई, इसका विरोध किया। साथ ही ट्रॉमा में उसी के लिए नियुक्त डॉक्टरों को ड्यूटी पर लगाने की आवाज उठाई।

प्रशासन चाहेगा तो ड्यूटी करनी होगी

प्रति कुलपति प्रो. जीपी सिंह शिक्षक संघ के वरिष्ठ सदस्य के तौर पर बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी ड्यूटी का विरोध करना गलत है। प्रशासन जो भी ड्यूटी करावाना चाहेगा, वह शिक्षक के लिए बाध्यकारी होगा। इसे मना नहीं किया जा सकता है। इसको लेकर अन्य शिक्षकों ने विरोध किया।

तो पूर्व कुलपति के वक्त क्यूं की ड्यूटी

बैठक में प्रशासनिक पदों पर बैठे शिक्षकों ने कहा कि पूर्व कुलपति प्रो. रविकांत ने ट्रॉमा में ड्यूटी लगाई थी। तब उनके आदेशों की अवेहलना करने की हिम्मत किसी ने नहीं की। उस दरम्यान सभी समय से ड्यूटी करने जाते थे, ऐसे में अब विरोध क्यूं कर रहे हैं।

व्यवस्था संभालना शिक्षकों का काम नहीं

कई डॉक्टरों ने कहा कि ट्रॉमा में एडमिनिस्टे्रटिव वर्क के लिए दो डॉक्टरों की रात में ड्यूटी लगाई है। वहां व्यवस्था मैनेज करना शिक्षकों का काम नहीं है। यह पीआरओ व सोशल वर्कर का काम है। शिक्षक सिर्फ क्लीनिकल कार्य ही कर सकते हैं। वहां अधिकरियों की अलग से तैनाती है, फिर अव्यवस्था क्यूं फैली है। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था ही फेल है। 

केजीएमयू शिक्षक संघ, उपाध्यक्ष डॉ. अनूप वर्मा ने बताया कि बैठक में कई शिक्षकों ने अपनी समस्या रखी। सबकी शिकायतें सुनी गईं। ट्रॉमा में ड्यूटी करने को लेकर अभी कोई ठोस निर्णय संघ द्वारा नहीं लिया गया। इसके लिए एक्जीक्यूटिव की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें मंथन के बाद फैसला लिया जाएगा। 


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