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विदेशी मेहमानों को रास आ रहा बहराइच का कतर्नियाघाट, रंग-बिरंगे पक्षी बढ़ा रहे जंगल की शोभा

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग को चार चांद लगाने के लिए लालसर व अन्य रंगे-बिरंगे पक्षियों का झुंड गेरुआ नदी के तट पर पहुंच रहा है। तापमान गिरने के साथ ही पक्षियों की आमद जंगल की शोभा बढ़ रही है तो पर्यटक भी पक्षियों को देखकर रोमांचित हो रहे हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 06:35 AM (IST)
विदेशी मेहमानों को रास आ रहा बहराइच का कतर्नियाघाट, रंग-बिरंगे पक्षी बढ़ा रहे जंगल की शोभा
तापमान गिरने के साथ कतर्निया में पहुंचने लगा पक्षियों का झुंड।

बहराइच, [संतोष श्रीवास्तव]। वन्यजीव प्रेमियों के लिए खबर अच्छी है। अगर वे कतर्निया घूमने आएंगे तो उन्हें यहां नेपाली हाथियों के झुंड व गैंडे भी नजर आएंगे। नेपाल की ऊंची पहाडिय़ों और सुरम्य घाटियों के बीच स्थित खूबसूरत जंगलों को छोड़कर आए हाथियों के झुंड अब कतर्निया वन्यजीव विहार का आकर्षण बढ़ा रहे हैं। यहां नेपाली हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वन विभाग के अधिकारी इसे शुभ संकेत मान रहे हैं।

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551 वर्ग किमी में फैले कतर्निया वन्यजीव प्रभाग का क्षेत्र नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से मिला हुआ है। दोनों जंगलों को अगर कुछ अलग करता है तो जंगलों के बीच नो मेंस लैंड की सीमा रेखा बर्दिया नेशनल पार्क कतर्नियाघाट के जंगलों से कई गुना बड़ा है, लेकिन ऊबड़-खाबड़ और पहाडिय़ों पर स्थित होने के कारण यहां के वन्यजीवों को वह आहार नहीं मिल पाता, जो कतर्नियाघाट में उपलब्ध है। खासतौर से शाकाहारी जानवरों के लिए। यही कारण है कि नेपाल के हाथियों का झुंड अक्सर कतर्नियाघाट के जंगल की ओर चल पड़ता है। 35-45 की संख्या में इनके झुंड होते हैं। नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से आए गैंडे आज भी गेरुआ नदी के आसपास विचरण करते देखे जा सकते हैं।

कतर्निया की अनुकूल है आबोहवा

कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार में स्थित ट्रांस गेरुआ का वातावरण गैंडों के लिए अनुकूल माना जाता है। दलदल जमीन, नरम घास व नरकुल से पटे पड़े जंगल गैंडों के लिए मुफीद साबित हो रहा है।

घटती-बढ़ती रहती है गैंडों की संख्या

नेपाल से आकर बसने वाले गैंडों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। वन विभाग की मानें तो यहां स्थाई तौर पर तीन गैंडे रहते हैं, लेकिन प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि इनकी संख्या बढ़कर कभी नौ तक हो जाती है।

लालसर पक्षी के मेहमान नवाजी को तैयार है कतर्नियाघाट

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग को चार चांद लगाने के लिए लालसर व अन्य रंगे-बिरंगे पक्षियों का झुंड गेरुआ नदी के तट पर पहुंच रहा है। तापमान गिरने के साथ ही पक्षियों की आमद जंगल की शोभा बढ़ रही है तो पर्यटक भी पक्षियों को देखकर रोमांचित हो रहे हैं। वन विभाग भी पक्षियों के बसेरे को पर्यावरण के लिहाज से सुखद मान रहा है।

दिसंबर माह शुरू होते ही तराई में तापमान गिरने लगता है। ठंड बढऩे के साथ लालसर पक्षी कतर्निया की ओर रुख करने लगे हैं। इस समय भी बड़ी संख्या में गेरुआ व कौडिय़ाला नदी के तट पर सुबह-शाम पक्षियों का जमावड़ा देखा जा सकता हे। पक्षियों के प्रवास को देखकर भ्रमण के लिए पहुंच रहे पर्यटक भी रोमांचित हो रहे हैं। वन विभाग का कहना है कि लालसर पक्षी के लिए नदी का तट बेहद मुफीद है। यह पक्षी जनवरी माह के अंत तक कतर्निया में ही प्रवास करते हैं। पक्षियों को शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग की टीम निगरानी के लिए तैनात की गई है। वन क्षेत्राधिकारी पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि विशेष टीम गश्त कर पक्षियों की सुरक्षा में मुस्तैद है। वन निगम प्रबंधक डेविड सि‍ंंह ने बताया कि दूरदराज से आने वाले पर्यटक लालसर पक्षी के बारे में जरूर पूछते हैं। 

नेपाली हाथियों व गैंडों को कतर्नियाघाट का दलदली इलाका रास आ रहा है। यहां पर भोजन आसानी से मिल जाता है, इसलिए नेपाली हाथियों को यहां की आबोहवा भा रही है।  -यशवंत सि‍ंंह , प्रभारी डीएफओ कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग 


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