तीमारदारों की कोरोना जांच के लिए आश्रय बना सिविल अस्पताल, आसानी से हो रहा है टेस्ट
समय और धन की बचत के लिए ज्यादातर तीमारदार अपनी व अपने मरीज की कोरोना जांच कराने सिविल अस्पताल पहुंच रहे हैं। सिविल अस्पताल ऐसे मरीजों और तीमारदारों की कोरोना जांच के लिए आश्रय स्थल बन गया है।
लखनऊ, जेएनएन। लोहिया ,केजीएमयू व एसजीपीजीआइ में अगर किसी गंभीर मरीज को भर्ती कराना है अथवा कोई ऑपरेशन कराना है तो कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उससे पहले मरीज व उसके तीमारदार की रिपोर्ट का निगेटिव होना जरूरी है। ऐसे में समय और धन की बचत के लिए ज्यादातर तीमारदार अपनी व अपने मरीज की कोरोना जांच कराने सिविल अस्पताल पहुंच रहे हैं। अन्य जगहों पर जांच कराने में मरीजों को कई तरह की असुविधा हो रही है। ऐसे में सिविल अस्पताल ऐसे मरीजों और तीमारदारों की कोरोना जांच के लिए आश्रय स्थल बन गया है।
सिविल अस्पताल मैं पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अजय शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि यहां रोजाना 100 से डेढ़ सौ कोरोना जांचें हो रही हैं, जिसमें करीब आधी जांचें सिर्फ ऐसे मरीजों और तीमारदारों की होती है, जिन्हें लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआइ, केजीएमयू या अन्य किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना है। प्रोटोकॉल के तहत भर्ती या ऑपरेशन से पहले मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। इसके बगैर न तो किसी मरीज को भर्ती किया जाता है और न ही किसी का ऑपरेशन किया जाता है। उन्होंने बताया यहां सभी मरीजों और उनके तीमारदारों की आरटीपीसीआर जांच मुफ्त की जा रही है। इससे लोग आसानी से अपने मरीज को भर्ती करा पा रहे हैं और उनका ऑपरेशन करवा पा रहे हैं।
नमूनों को जांच के लिए केजीएमयू भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में 12 से 30 घंटे तक का वक्त लग जाता है। मरीजों को रिपोर्ट के लिए अस्पताल आने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि ऑनलाइन ही उन्हें प्राप्त हो जाती है।