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लखनऊ में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा सीमैप, सैनिटरी पैड्स और सुगंधित अगरबत्ती बनाने का विशेष प्रशिक्षण

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान यानी सीमैप की एक पहल बेसहारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर उनके जीवन की बगिया को महकाने का काम कर रही है। सीमैप महाराष्ट्र के शिरडी स्थित जनसेवा फाउंडेशन के साथ मिलकर शानदार मुहिम चला रहा है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sun, 02 Jan 2022 08:43 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 07:04 AM (IST)
सैनिटरी पैड्स से लेकर फ्लोर मैट लिक्विड और सुगंधित अगरबत्ती बनाने तक का प्रशिक्षण दे रहा है।

लखनऊ, [रामांशी मिश्रा]। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान यानी सीमैप की एक पहल बेसहारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर उनके जीवन की बगिया को महकाने का काम कर रही है। सीमैप महाराष्ट्र के शिरडी स्थित जनसेवा फाउंडेशन के साथ मिलकर एक मुहिम चला रहा है, जिसमें महिलाओं को सैनिटरी पैड्स से लेकर फ्लोर मैट लिक्विड और सुगंधित अगरबत्ती बनाने तक का प्रशिक्षण दे रहा है। इनमें अधिकांश वे महिलाएं हैं, जो कोरोना काल में विधवा हो गईं या कुछ अन्य कारणों से परिवार का सहारा उनसे छूटता गया। ऐसे में सीमैप और जनसेवा फाउंडेशन की यह जुगलबंदी इन महिलाओं के वरदान साबित हो रही है। 

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सबके फायदे का सबबः सीमैप की इस मुहिम से शिरडी की करीब 300 महिलाओं और 700 किसानों को प्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंच रहा है। अगरबत्ती का एक पैकेट बनाने में फूलों को सुखाने से लेकर मशीन में अगरबत्ती तैयार होने तक औसतन दो से तीन दिन का समय लगता है। हालांकि साईं मंदिर में अगरबत्ती, धूप और हवन सामग्री की भारी मांग को देखते हुए ये सभी कार्य मशीनों द्वारा कराए जा रहे हैं, ताकि आपूर्ति की कोई किल्लत न रहे। मशीन एक मिनट में लगभग 1000 अगरबत्ती बनाती हैं। अतीत की ऐसी सफलता ने ही दोनों संस्थानों को नई साझेदारी के लिए प्रेरित करने का काम किया। 

जन सेवा फाउंडेशन की परियोजना निदेशक रूपाली लोंढे इस बारे में बताती है कि भले ही ये महिलाएं बहुत ज्यादा पढ़ी-लिखी और तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं, परंतु मशीनी कामकाज से लेकर विपणन तक की जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हैं। सीमैप के सैनिटरी पैड्स बनाने की तकनीक में लेमनग्रास और जिरेनियम के तेल की धारियां होती है। इससे न केवल महिलाओं को बीमारियों से भी सुरक्षित किया जा सकता है, बल्कि उसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं दिखते। वहीं सीमैप के पोछे की तकनीक में भी फूलों के तेल का प्रयोग किया जा रहा है। इनके प्रशिक्षण से कोरोना काल में प्रभावित हुई आमदनी की भरपाई होने की उम्मीद जताई जा रही है।

पुराना साथः वैसे इन दोनों संस्थाओं का साथ काफी पुराना है। इस बारे में जन सेवा फाउंडेशन की परियोजना निदेशक रूपाली लोंढे बताती हैं कि सीमैप ने इससे पहले भी अगरबत्ती बनाने की तकनीक फाउंडेशन के साथ साझा की है, जिससे लगभग चालीस हजार महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने में मदद मिली है। ये महिलाएं शिरडी के विख्यात साईं मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूलों से अगरबत्ती, धूप और हवन सामग्री बनाकर लगभग महीने के सात से आठ हजार रुपये तक की कमाई कर लेती है, जिससे इनकी आर्थिक दशा में सुधार हुआ है। ये अगरबत्ती गुलाब, गेंदा के फूलों और तुलसी से मिलाकर बनाई जाती हैं। इससे इन महिलाओं को तो फायदा हुआ ही है तो फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी उनकी उपज का उचित मूल्य मिल पाता है।


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