लॉकडाउन में क्या आपके बच्चे को भी लग गई मोबाइल की लत...न हों परेशान, करें ये उपाय
लॉकडाउन की वजह से बच्चों को मोबाइल की लत लग रही है विशेषज्ञों के मुताबिक अभिभावक बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करें।
लखनऊ, जेएनएन। हम लॉकडाउन चार की ओर बढ़ रहे हैं। भले ही बाजार ऑफिस आदि की शुरुआत हो चुकी हो लेकिन स्कूल अभी भी बंद है। बच्चों का ज्यादातर समय घर पर ही गुजर रहा है। सुबह से तो उनकी क्लास शुरू हो जाती हैं जिसके चलते लैपटॉप या मोबाइल पर उन्हें कई घंटों का समय गुजारना पड़ता है । लेकिन देखा गया है कि इसके बाद भी बच्चे मोबाइल पर अपना अच्छा खासा समय व्यतीत करते हैं। मां-बाप की मुश्किल यह है कि यदि वह बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल करने पर टोकते हैं तो बच्चे नहीं सुनते। अक्सर उल्टा जवाब दे देते हैं। अक्सर बच्चों को यह नहीं समझ में आता कि पढ़ाई के लिए तो उन्हें मोबाइल इस्तेमाल करने की छूट दी जा रही है लेकिन जब वह अपने मन का कुछ करना चाहते हैं तो माता-पिता मना करते हैं। इससे बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं और यहां तक कि गुस्से में अक्सर घर का सामान आदि भी फेंक देते हैं। यह समस्या दिनोंदिन बढ़ रही है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के मनोरोग विभाग के डॉ.विवेक अग्रवाल कहते हैं कि माता पिता को बहुत स्मार्टली यह सिचुएशन संभालनी होगी। कारण यह है कि बच्चों को समझाना उनके सवालों के जवाब देना धैर्य का काम है। यदि बच्चों का स्कूल टाइम खत्म होने व होमवर्क के बाद उन्हें जो समय बचता है उसकी ठीक से प्लानिंग करने की जरूरत है। यह ठीक है कि कोरोना का समय है और सबको सावधानी बरतनी जरूरी है। बच्चे थोड़ी देर साइकिलिंग कर सकते हैं। इससे बच्चों का थोड़ा समय गुजरेगा, साथ ही उनकी हॉबी के अनुसार माता-पिता को उन्हें साधन उपलब्ध कराने की जरूरत है। माता-पिता भले ही अपने काम में व्यस्त हों लेकिन कुछ वक्त जरूर घर के सभी लोगों को साथ में बैठकर बिताना चाहिए। हल्का-फुल्का माहौल होने से बच्चे भी उसमें अपनी बात कहेंगे और आपकी बात सुनेंगे।
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इन दिनों तो ओपीडी बंद है इसलिए ऐसे मामले अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि जब यह कोरोना काल से हम बाहर आएंगे तो ऐसी बहुत सारी समस्याओं से रूबरू होना पड़ेगा। नेशनल पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की डॉ.नेहाश्री कहती हैं कि बच्चों को किसी भी बात के लिए तर्क के साथ समझाया जाना जरूरी है। हम उन्हें यदि किसी कार्य से रोकना चाहते हैं तो उसका कारण भी बताना आवश्यक है। वह कहती हैं कि बच्चे मोबाइल का पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं ऐसे में उन्हें यह बताना जरूरी है कि क्योंकि पेंडेमिक में आप स्कूल नहीं जा पा रहे इसलिए यह मोबाइल आपकी पढ़ाई में मददगार साबित हो रहा है।
यदि हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करते तो आपकी पढ़ाई छूट सकती है। इसलिए इसका बहुत अधिक महत्व है। लेकिन इसका प्रयोग हर समय किया जाना ठीक नहीं है। स्टोरी बुक्स, पेंटिंग, डांसिंग,साइकिलिंग,लूडो, बैडमिंटन,कैरम बहुत सारे ऐसे गेम से जिनसे बच्चों की हल्की-फुल्की फिजिकल एक्सरसाइज भी होती रहेगी और उनका समय भी अच्छा व्यतीत होगा। परिवार के अन्य सदस्य भी बच्चों के साथ गेम खेल सकते हैं। वह इस बात से इंकार नहीं करती कि जब हालात सामान्य होंगे तो बहुत सारे ऐसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जुड़े मामले सामने आएंगे।