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बिसर गई थीं यादें, 15 साल बाद दिखे पिता तो नम हुई आंखें, लखनऊ के एक दारोगा की मेहनत लाई रंग

प्रतापगढ़ में रहने वाले मंगला प्रसाद का बेटा जीतलाल 15 साल पहले गांव के लोगों संग ट्रैक्टर ट्राली से जहरा गांव ननिहाल बारात में गया था। गांव वाले वापस लौट गए और वह पीछे छूट गया। जीतलाल मानसिक रूप से कमजोर था। वह घर नहीं लौट सका।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 15 Aug 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 10:38 AM (IST)
बिसर गई थीं यादें, 15 साल बाद दिखे पिता तो नम हुई आंखें, लखनऊ के एक दारोगा की मेहनत लाई रंग
14 साल की उम्र में छूट गया था साथ, जवानी में पहुंचा घर।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। कहते हैं कि नसीब कब, कहां और कैसे इंसान को पहुंचा दे। ये कोई नहीं जानता। तभी तो 15 साल से घरवालों से बिछड़ा युवक शनिवार को उनके पास पहुंच गया। खास बात ये है कि जिस युवक को कुछ भी याद नहीं था वह पिता को देखकर बिलख पड़ा और मानों उसकी यादें वापस आ गई हैं। मानसिक मंदित की ये कहानी मोहनलालगंज में चर्चा का विषय है।

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दरअसल, प्रतापगढ़ में रहने वाले मंगला प्रसाद का बेटा जीतलाल 15 साल पहले गांव के लोगों संग ट्रैक्टर ट्राली से जहरा गांव ननिहाल बारात में गया था। गांव वाले वापस लौट गए और वह पीछे छूट गया। जीतलाल मानसिक रूप से कमजोर था। वह घर नहीं लौट सका। महज 14 साल की उम्र में जीतलाल घरवालों की खोज में दर-दर भटकने लगा। जीतलाल के मन में यह भाव आ गया था कि वह बारात में बिछड़ा था तो संभव है कि दोबारा किसी बारात में घर या गांव वाले मिल जाएं। घरवाले जीतलाल की तलाश करते करते थक गए। इधर, जीतलाल भी कई जिलों में भटकता रहा। कभी बारात में मजदूरी की तो कहीं ढ़ाबे पर बर्तन धोए।

चार साल पहले जीतलाल भटक कर मोहनलालगंज के मीनापुर गांव पहुंच गया। प्यास लगने पर वह मीनापुर गांव के हरनाम के घर के बाहर नल पर वह पानी पीने लगा। हरनाम की नजर पड़ी तो उन्होंने भूख से बेहाल जीतलाल को शरण दी। चार साल से वह हरनाम के घर में काम कर रहा था। इस बीच सिसेंडी में तैनात दारोगा राजकुमार को जीतलाल के बारे में पता चला। राजकुमार के मुताबिक जीतलाल से जब ये पूछा जाता था कि वह कहां का रहने वाला है तो वह सिर्फ छत्ती पट्टी बोल पाता था। पूर्व में मोहनलालगंज में तैनात रहे दीवान प्रतापगढ़ में पोस्ट हुए, जिन्हें जीतलाल के बारे में पता था। दीवान ने वहां के लोगों से इस बारे में जिक्र किया तो पता चला कि 15 साल पहले गांव का एक युवक खो गया था।

बस, फिर क्या था दीवान ने दारोगा से संपर्क कर फोटो भेजी तो वह जीतलाल की निकली। इसके बाद शनिवार को जीतलाल के माता पिता व अन्य रिश्तेदार मोहनलालगंज पहुंचे। जीतलाल को उनके सामने लाया गया और कहा गया कि वह जिसे जानता हो उसके बारे में बताए। सभी लोगों को देखने के बाद जीतलाल ने अपने पिता की ओर उंगली उठाई और दहाड़े मारकर रोने लगा। पिता पुत्र एक-दूसरे को गले लगाए रोते रहे। कुछ देर के लिए वहां सन्नाटा पसरा रहा। जीतलाल ने सामान्य होने के बाद मां को भी पहचान लिया। इसके बाद सभी ने पुलिस का आभार जताया और वापस घर चले गए।


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