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यूपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों से खरीदेंगे गोबर, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने जारी क‍िया श्वेतपत्र

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 भूपेश बघेल ने कहा कि यूपी में किसानों की भलाई के लिए दो-तीन कदम उठाने पड़ेंगे। किसानों के सर से ऋण का बोझ उतारना होगा। उनकी आर्थिक स्थिति सुधारनी होगी। इसके लिए गेहूं धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल करना होगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 04:26 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 04:26 PM (IST)
यूपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों से खरीदेंगे गोबर, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने जारी क‍िया श्वेतपत्र
कहा, केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की किसान विरोधी नीतियों से बढ़ी समस्‍या।

लखनऊ, राज्‍य ब्‍यूरो। सत्ता में आने पर कांग्रेस छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी किसानों से गोबर खरीदने के लिए गोधन न्याय योजना लागू करेगी ताकि कृषकों को निराश्रित पशुओं की समस्या से छुटकारा मिल सके। कांग्रेस पार्टी की ओर से 'आमदनी न हुई दोगुनी दर्द सौ गुना' शीर्षक से कृषि की स्थिति पर तैयार किये गए श्वेत पत्र को बुधवार को जारी करने के बाद यह घोषणा कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। मोदी-योगी सरकारों पर किसानों से विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र व उप्र की भाजपा सरकारों की गलत नीतियों से किसानों की आमदनी दोगुणी होना तो दूर, खेती की लागत और बढ़ गई।

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प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब बघेल ने कहा कि उप्र में गाय के ऊपर राजनीति तो बहुत हुई लेकिन स्थिति यह है कि निराश्रित पशुओं की वजह से प्रदेश में किसान या तो रतजगा कर अपनी फसल बचाने के लिए मजबूर हैं या खेतों को बाड़ से घेर कर। उप्र की गोशालाओं में गायें मर रही हैं पर गोशालाएं चलाने वाले मोटे हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से लागू की गई गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जाता है और उससे वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर कृषकों को 10 प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराई जाती है। गोबर बेचने वाले किसान मवेशियों को खुला नहीं छोड़ते बल्कि उन्हें बांधकर रखते हैं और चारा खिलाते हैं। गोबर बेचने से किसानों को अतिरिक्त आय होती है। वर्मी कंपोस्ट के इस्तेमाल से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है और जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है।

श्वेत पत्र के तथ्यों का उल्लेख करते हुए बघेल ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की ओर से सितंबर 2021 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है। भारत के 50 प्रतिशत किसान कर्ज में डूबे हैं। प्रत्येक कृषक पर औसतन 74,121 रुपये कर्ज है। आजीविका के लिए मजदूरी करने को विवश हुए किसानों को खेती से होने वाली आय मजदूरी से होने वाली आमदनी से कम है। एक तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं हुई लेकिन कृषि उपकरणों पर टैक्स और पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि से खेती की लागत में अनुमान के मुताबिक 25000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से वृद्धि हुई है। महीनों आंदोलन के बाद भी सरकार किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी नहीं दे रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को उन्होंने निजी बीमा कंपनियों की किसान लूट योजना बताया।


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