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Chhath Puja 2020: आज छठ पर्व का दूसरा दिन, मनाया जा रहा खरना; जानें महत्व और पूजा विधि...

Chhath Puja 2020 छठ का पर्व चार द‍िनों का होता है। इस बार यह 18 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा। छठी मइया को अर्घ्य देने के लिए भक्त 20 नवंबर की शाम जल में उतरेंगे। 21 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 12:45 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 12:45 PM (IST)
चार दिनों के महापर्व छठ में आज यानी गुरुवार को दूसरे दिन खरना मनाया जा रहा है।

लखनऊ, जेएनएन। चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय से हो चुकी है। आज यानी गुरुवार को इस पर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जा रहा है। खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी को मनाया जाता है। इसका अर्थ शुद्धिकरण होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से शरीर से लेकर मन तक शुद्ध हो जाता है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है।

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छठ का पर्व चार द‍िनों का होता है। इस बार छठ पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा। छठी मइया को अर्घ्य देने के लिए भक्त 20 नवंबर की शाम जल में उतरेंगे। इसके बाद 21 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है। कहा जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गुरुवार को खरना मनाया जा रहा है। खरना का छठ पूजा में विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण करती हैं। नाक से माथे के मांग तक सिंदूर लगाती हैं। इसी दिन छठ पूजा के लिए अखंड बर्तन में विशेष प्रसाद बनाया जाता है। दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनती हैं।

सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। फिर यह प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। उपासक महिलाएं खरना पूजा के बाद बिस्तर का त्याग कर के जमीन पर सोती हैं। 

मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में छठी मइया का आगमन हो जाता है। इसलिए व्रती शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा करके गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं। खरना का प्रसाद काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है। खरना का प्रसाद नए चूल्हे पर बनाया जाता है। व्रती महिलाएं प्रसाद खुद ही पकाती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं सिर्फ एक समय भोजन करती हैं। ऐसा करने से शरीर से लेकर मन तक शुद्ध हो जाता है।


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