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Hello Doctor : बच्चा प्लान करने से पहले चेकअप जरूरी, गर्भावस्‍था को बनाएं सुरक्षित

दैनिक जागरण लखनऊ के हेलो डॉक्‍टर कार्यक्रम में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता सक्सेना ने महिलाओं को बेहतर प्रेग्‍नेंसी के लिए विशेषज्ञ सलाह।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 08:30 AM (IST)
Hello Doctor : बच्चा प्लान करने से पहले चेकअप जरूरी, गर्भावस्‍था को बनाएं सुरक्षित
Hello Doctor : बच्चा प्लान करने से पहले चेकअप जरूरी, गर्भावस्‍था को बनाएं सुरक्षित

लखनऊ, जेएनएन। गर्भावस्था हर दंपती के जीवन में महत्वपूर्ण समय होता है। इसकी तैयारी पहले से होनी चाहिए। बच्चा प्लान करने से पहले जरूरी जांचें अवश्य कराने चाहिए, क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। वहीं, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) का कारण भी बन सकती है। गर्भावस्था में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे मां व गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहें और सुरक्षित प्रसव हो। इसके अलावा अक्सर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान थायरायड, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें भी हो जाती हैं, जिससे गर्भस्थ शिशु पर भी असर पड़ता है। ऐसे तमाम सवालों के जवाब गुरुवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में लोहिया संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में चिकित्सा अधीक्षक व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता सक्सेना ने दिए।

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सवाल : पत्नी की उम्र 33 वर्ष है। साढ़े सात महीने की प्रेग्नेंसी है। डॉक्टर ने सिजेरियन बताया है और ऑपरेशन के तीन दिन बाद स्तनपान कराने को कहा है। क्या करना चाहिए।

 मनीष, हरदोई

जवाब : जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराने को कहा जाता है। डिलीवरी के आधे या एक घंटे के दौरान जब बच्चा दूध पीता है तो मां का दर्द वैसे ही खत्म हो जाता है। इसलिए पत्नी को समझाइए कि वह डरे नहीं, बल्कि डॉक्टर की सलाह लेने के बाद बच्चे को दूध पिलाएं।

सवाल : मेरी 17 साल की बेटी है। जब से उसको पीरियड शुरू हुआ है, तब से उसे एक-एक महीने तक ब्लीडिंग होती है, कई बार गैप भी हो जाता है। जांचें भी कराई है, जो नार्मल हैं, क्या करूं।

 तुषा गुप्ता, हरदोई

जवाब : जब माहवारी शुरू होती है तो ऐसी समस्या आती है। यदि ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है तो डॉक्टर से सलाह लें, हार्मोनल ट्रीटमेंट, अल्ट्रासाउंड जांच और नियमित इलाज कराएं।

सवाल : मेरी पत्नी की उम्र 30 वर्ष है। हमारे पांच बच्चे हैं। उनको 15-15 दिन पर पीरियड होता है, क्या करें।

 रामऔतार यादव, गोंडा

जवाब : सबसे पहले आप पत्नी की जांच कराएं, जिससे पता चलेगा कि कहीं कोई अंदरूनी सूजन तो नहीं है। चेकअप जरूरी है।

सवाल : पत्नी की उम्र 35 वर्ष है। उनको दो महीने से माहवारी नहीं हो रही है। पत्नी सूजन भी बता रही हैं, क्या करें।

 जितेंद्र कुमार, रायबरेली

जवाब : डॉक्टर से सलाह लेकर पहले जांच कराएं। जांच में जब सही कारण पता चलेगा तभी उनका इलाज शुरू किया जा सकेगा।

सवाल : मेरी उम्र 52 वर्ष है। अभी तक मेरी माहवारी बंद नहीं हुई है। दो-तीन महीने में आता है और ब्लीडिंग भी ज्यादा होती है। तीन-चार जांचें कराईं हैं, जिसमें बच्चेदानी में गांठ निकली है। डॉक्टर ने छह महीने इंतजार करने की सलाह दी है।

 कांता, सीतापुर

जवाब : आपको बायोप्सी जांच भी करानी चाहिए। अंदरूनी सतह में अगर कोई गड़बड़ी होगी तो उसका इलाज किया जाएगा।

सवाल : मेरी पत्नी की उम्र 32 साल है। दो-तीन बार गर्भपात भी हुआ है। पांच वर्ष का बेटा है, जो नार्मल डिलीवरी से हुआ था। जब भी दूसरा बच्चा प्लान करना चाहते हैं, बच्चा खराब हो जाता है, क्या करें।

 नवाब सिंह, गोंडा

जवाब : सबसे पहले तो हॉस्पिटल जाकर पत्नी का रजिस्ट्रेशन कराएं। यह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का मामला है। डॉक्टर को बताएं और उनकी सलाह पर सारी जांचें कराएं।

सवाल : मेरी उम्र 21 वर्ष है। हमेशा मुझे कमजोरी महसूस होती रहती है। पांच माह का गर्भ है। टिटनेस का टीका लग चुका है, हीमोग्लोबिन भी 11 प्वाइंट है। क्या सावधानी रखनी चाहिए।

 संजना शर्मा, लखीमपुर खीरी

जवाब : गैप को समझकर टिटनेस का टीका लगवाना जरूरी होता है। इसके अलावा 18 से 20 हफ्ते के बीच अल्ट्रासाउंड होना बेहद जरूरी है, अगर नहीं कराया है तो करा लें। चौथे महीने से आयरन की गोली खाना जरूरी है। जब तक डिलीवरी न हो तब तक एक ग्राम कैल्शियम की गोली खाएं या एक लीटर दूध पीएं, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और दालें खाएं।

सवाल : मेरी बेटी की उम्र 18 साल और उसका वजन करीब 42 किलो है। उसे पीरियड ठीक से नहीं आता है। कभी 15-15 दिन तक आता है तो कभी रुक जाता है। अल्ट्रासाउंड व थायरायड जांच नार्मल निकली हैं, क्या करें।

 सुधा गुप्ता, हरदोई

जवाब : बेटी की हार्मोनल जांच और इंफेक्शन संबंधी जांच, अंदरूनी सतह की जांच भी कराएं। इससे उसका सही कारण पता चलेगा और इलाज होगा।

सवाल : मेरी उम्र 24 साल है। चार महीने पहले सिजेरियन से बेबी हुआ। उसके बाद से रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत शुरू हो गई, क्या करूं।

 अंतिमा पाठक, बाराबंकी

जवाब : डॉक्टर से मिलकर परेशानी बताएं और उनकी सलाह पर जांच व इलाज कराएं।

सवाल : मेरी उम्र 32 वर्ष है। छह महीने का बेटा है, जिसे अपना दूध पिलाती हूं। अक्सर उसे कब्ज रहता है।

 नेहा त्रिपाठी, गोमतीनगर

जवाब : छह महीने के बाद बच्चे को ऊपरी आहार भी देना जरूरी होता है। आपके दूध से उसका पेट नहीं भरता होगा, उसे ऊपरी आहार भी दीजिए।

सवाल : मेरी दस महीने की बेटी है। आशा ने उसके लिए दलिया दी है। उसने तीन-चार महीने तक मां का दूध भी पिया है फिर भी उसका वजन नहीं बढ़ रहा है।

 शिवेंद्र सिंह, अयोध्या

जवाब : आप बच्चे को डॉक्टर को दिखाकर उसकी डाइट पूछें और उसी के अनुसार उसको खाना खिलाएं।

सवाल : पत्नी को दूसरा बच्चा होने वाला है। दो महीने, आठ दिन की प्रेग्नेंसी है। कौन-कौन सी जांचें कराएं।

 अनिल सिंह, नगराम

जवाब : सबसे पहले पत्नी का किसी सरकारी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कराएं। फिर उसकी अल्ट्रासाउंड, खून की जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह पर इलाज कराएं।

सवाल : मेरी उम्र 30 साल है। 28 मार्च को मेरा गर्भपात हुआ था। अक्टूबर में प्रेग्नेंट हुई, लेकिन बच्चा खराब हो गया, क्या करूं।

 दीपलता, लखीमपुर

जवाब : डॉक्टर से मिलकर जरूरी जांचें कराएं। जब डॉक्टर कहें कि प्रेग्नेंसी के लिए फिट हो तो अगला बच्चा प्लान करें। रेगुलर जांचें कराती रहें।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) के लक्षण

  •  प्रेग्नेंसी में यदि ब्लीडिंग है तो अबॉर्शन हो सकता है या एंटीपार्टम हैमरेज (एपीएच) प्रेग्नेंसी इंड्यूस, हाईपर टेंशन, जेस्टेशनल डायबिटीज, प्रेग्नेंसी विद थायरायड डिसीज ये सभी लक्षण एचआरपी के हैं। 
  •  प्रेग्नेंसी विद मेडिकल डिसीजेज भी एचआरपी है, जिनका तभी पता चलेगा जब नियमित रूप से जांचें होंगी
  •  रीनल डिसीज, कार्डियक डिसीज, डायबिटीज, हाईपरटेंशन, एचआइवी पॉजिटिव निकलना आदि भी एचआरपी के लक्षण हैं
  •  प्रेग्नेंसी विद ओबेसिटी यानी अधिक वजन भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का लक्षण है
  •  प्रेग्नेंसी विद सीवियर एनीमिया भी एचआरपी है। नौ से 11 ग्राम हीमोग्लोबिन है तो यह माइल्ड एनीमिया है, सात से नौ ग्राम है तो मॉडरेट एनीमिया और सात से कम हीमोग्लोबिन है तो यह गंभीर एनीमिया है। इसमें ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है इसलिए प्रेग्नेंसी से पहले तैयारी जरूर करें।

जुड़वा बच्चों में रखें विशेष ध्यान

  • जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी में प्री-टर्म लेबर (समय से पूर्व प्रसव) व हाईपरटेंशन की संभावना रहती है
  • जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी डाइट, रेस्ट, एंटीनेटल (समय से पूर्व प्रसव) चेकअप कराती रहें
  • जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी में दोगुनी देखभाल की जरूरत होती है

गर्भावस्था से पूर्व ये बरतें सावधानियां

खानपान का खास ख्याल रखें। डाइट में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, आयरन, कैल्शियम प्रचुर मात्रा में लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित दालें, गुड़, चना खाएं। नॉन वेजिटेरियन हैं तो अंडा, मटन, चिकन, मछली का सेवन करें। तला-भुना और तेल-मसालों का प्रयोग कम करें, बाजार में खुली बिक रहीं चीजों और फास्ट फूड का सेवन न करें।

शुरू के पहले तीन महीने में फोलिक एसिड, बाद में आयरन, कैल्शियम की गोलियां नियमित रूप से लें।

सभी डिलीवरी अस्पताल में कराएं और हाई रिस्क प्रेग्नेंट लेडी विशेषज्ञों की देखरेख में डिलीवरी कराएं।

डिलीवरी के बाद भी रखें ख्याल

डिलीवरी के बाद सबसे पहले शिशु को आधे से एक घंटे के भीतर स्तनपान कराएं।

छह माह तक केवल मां का दूध दें। दो-दो घंटे पर फीड कराएं, रात में एक बार बच्चे को जगाकर स्तनपान कराएं।

खानपान के साथ छह महीने तक कैल्शियम व आयरन जरूर लें नहीं तो हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

हर महीने की नौ तारीख को होता है एचआरपी डे

एचआरपी के लिए सरकार हर महीने की नौ तारीख को सरकारी महिला अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। इसमें गर्भवती की जांचें, अल्ट्रासाउंड, खून की जांच आदि फ्री होती हैं। साथ ही पौष्टिक नाश्ता भी दिया जाता है। इसमें यदि किसी में एचआरपी निकलता है तो उसका इलाज किया जाता है। 


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