नेता, मंत्री, अफसर बन धोखाधड़ी करके करोड़ों हड़पने वाले गिरोह का सरगना झारखंड में गिरफ्तार
यूपी एसटीएफ ने अफसर बनकर धोखाधड़ी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना रंजन कुमार मिश्रा को झारखंड के जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूमि) से गिरफ्तार किया है।
लखनऊ, जेएनएन। कभी झारखंड का मुख्यमंत्री, कभी मध्य प्रदेश के राज्यपाल तो कभी कोई अन्य मंत्री, नेता या अफसर बनकर लोगों से करोड़ों रुपये की वसूली करने के आरोपित बिहार के गया में कोसिढियाघाट निवासी रंजन कुमार को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपित ने खुद को शासन का वरिष्ठ अधिकारी बनकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर राजमणि को फोन कर आठ लाख रुपये वसूले थे। इस मामले में राजमणि ने सुशांत गोल्फ सिटी थाने में आरोपित रंजन कुमार व उसके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एसटीएफ ने मुख्य आरोपित रंजन के दो साथियों गणेश और सुनीत को पहले ही बिहार के बक्सर से गिरफ्तार किया था।
20 फरवरी, 2020 को उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर राजमणि ने लखनऊ में गिरफ्तार आरोपी रंजन कुमार मिश्रा के खिलाफ उत्तर प्रदेश शासन का एक उच्च अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करके आठ लाख रुपये मांगने के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद यूपी एसटीएफ ने 20 मार्च को इस गिरोह में शामिल दो अभियुक्तों सुनीत गौतम और गणेश तिवारी बिहार के बक्सर जिले से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। तब से मुख्य अभियुक्त रंजन कुमार मिश्रा फरार चल रहा था। रविवार को यूपी एसटीएफ ने उसको गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।
एसटीएफ प्रभारी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पूछताछ में पता चला कि आरोपित वर्ष 2008 से अलग-अलग अधिकारी के नाम पर कॉल कर लोगों से ठगी कर रहा था। वर्ष 2008 में सबसे पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बनकर मंत्री अर्जुन मुंडा को फोन किया था और उनसे 40 लाख रुपये अपने साथी जहानाबाद निवासी आलोक कुमार के खाते में जमा कराए थे। वर्ष 2010 में डीएम पटना बनकर बीडीओ से 40 हजार रुपये फर्जी खाते में जमा कराए थे। इसके अलावा बिहार के अलग-अलग 10 जिलों का जिलाधिकारी बनकर वहां के एडीएम व एसडीएम से 10 लाख रुपये ऐंठ चुका था। उसे वर्ष 2011 में बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
जेल में रहकर भी किया खेल : आरोपित ने पटना के बेउर जिला जेल में रहकर गोंडा के एसडीएम मनकापुर और बदायूं के एसडीएम बिल्सी को फोन कर 40-40 हजार रुपये वसूले थे। इस दौरान रंजन ने खुद को डिविजनल कमिश्नर बताया था। वह 2011 से 2014 तक जेल में था। जेल से निकलने के बाद आरोपित ने बिजली अधिकारी बनकर कई ठेकेदारों से लाखों रुपये हड़पे थे। वर्ष 2019 में चेयरमैन यूपीपीसीएल और चीफ जिस्टस बनकर भी रुपयों की मांग की थी।
खुद को बताया मध्य प्रदेश का राज्यपाल : आरोपित ने फरवरी 2020 में खुद को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बताकर वहां के चार विधायकों को फोन किया था और उनसे लाखों रुपये की मांग की थी। इस मामले में एमपी पुलिस आरोपित की तलाश कर रही थी। प्रभारी एसटीएफ के मुताबिक आरोपित के पकड़े जाने की सूचना एमपी पुलिस को दे दी गई है। आरोपित के खिलाफ यूपी के अलावा दिल्ली, राजस्थान, एमपी, बिहार, झारखंड में कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं।