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माघ कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी कल, इन मंत्रों का करें जाप; गणेश जी दूर करेंगे सारे संकट

माघ कृष्ण पक्ष की संकष्ठी चतुर्थी 21 जनवरी को है इस दिन काले तिल से बने बकरे की बलि देने का प्रावधान है। इसके पीछे मान्यता है कि हम अपने काले पापों की बलि दें और सत्यकर्म की ओर आगे बढ़ें।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:35 AM (IST)
माघ कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी कल, इन मंत्रों का करें जाप; गणेश जी दूर करेंगे सारे संकट
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि पूजन सामग्री को बांस टोकरी में रखकर पूजन के लिए जाना चाहिए।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। माघ कृष्ण पक्ष की संकष्ठी चतुर्थी 21 जनवरी को है इस दिन काले तिल से बने बकरे की बलि देने का प्रावधान है। इसके पीछे मान्यता है कि हम अपने काले पापों की बलि दें और सत्यकर्म की ओर आगे बढ़ें। व्रती महिलाएं संतान के पापों की बलि देने के प्रतीक स्वरूप काले तिल के बने बकरे की बलि देती हैं। बलि के समय बकरे जैसी आवाज भी निकाली जाती है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि पूजन सामग्री को बांस टोकरी में रखकर पूजन के लिए जाना चाहिए। चतुर्थी का मान 21 जनवरी को सुबह 8:52 से 22 जनवरी सुबह 9:14 बजे होगा। रात्रि में 8:40 बजे चंद्रमा का उदय होगा। अर्घ्य देने और पूजन के बाद ही व्रत का पारण करने की मान्यता है। कुछ महिलाएं दूसरे दिन सूर्योदय के बाद दान पुण्य के उपरांत व्रत का पारण करती हैं। साथ ही गणेश जी का मंत्र गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥ करने से भगवान सभी संकट दूर करते हैं।

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श्री गणेश की मिलेगी कृपाः खरमास के बाद शुभ कार्य से पहले इस दिन श्रीगणेश जी की पूजा करने से पढ़ाई, नौकरी व विवाह जैसे रुके कार्य निर्वाद्ध रूप से शुरू होते हैं। आचार्य जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि संकष्ठी समाज को कष्टों को दूर करने की कामना की जाती है। कोरोना जैसी महामारी से निजात की कामना को लेकर महिलाए व्रत रखेंगी तो इसका सार्थक परिणाम आएगा। पर्व को लेकर बाजारों में तिल के लड्डुओं के साथ ही पूजन में प्रयोग होने वाले अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं। आलमबाग कोतवाली के सामने और निशातगंज के अलावा डालीगंज समेत अन्य बाजारों में दुकानें ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही हैं।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि यह पर्व श्री गणेश के पूजन का पर्व है। विवाहित महिलाएं परिवार और बच्चों के ऊपर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए सकट व्रत रखती हैं। चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय के समय के अनुसार लिया जाता है। आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन श्री गणेश ने देवताओं का संकट दूर कर उनके कष्ट दूर किए थे। भगवान शंकर उन्हें कष्ट निवारण देवता होने की संज्ञा भी दी थी। 

ऐसे होता है पूजनः आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि गुड़ या चीनी की चाशनी में काले तिल को मिलाकर उसका लड्डू बनाया जाता है। दिनभर निर्जला व्रत रखने वाली महिलाएं रात्रि को श्री गणेश के आह्वान के साथ चंद्रोदय के समय पूजन करती हैं। पूजन के दौरान तिल के बने लड्डुओं का भोग चढ़ाया जाता है। पूजन के उपरांत तिल के लड्डुओं के अलावा गुड़ के बने रामदाना, लइया, मूंगफली के लड्डुओं के साथ गजक को भी चढ़ाया जाता है।


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