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UP Cabinet Decision: बदला नियम, अब होमगार्ड स्वयंसेवकों को सेवा अवधि में मिलेगी अनुग्रह राशि

UP Cabinet Decision अब होमगार्ड्स व अवैतनिक अधिकारियों की सेवा अवधि यानी सेवानिवृत्ति तक मृत्यु होने पर उनके उत्तराधिकारी को या स्थायी अपंगता होने पर स्वयंसेवक को सरकार पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी। यह नियम छह दिसंबर 2020 से लागू कर दिया है

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 11:25 PM (IST)
UP Cabinet Decision: बदला नियम, अब होमगार्ड स्वयंसेवकों को सेवा अवधि में मिलेगी अनुग्रह राशि
होमगार्ड्स स्वयंसेवक, अवैतनिक अधिकारियों व उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि का नियम बदल गया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। होमगार्ड्स स्वयंसेवक, अवैतनिक अधिकारियों व उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि का नियम बदल गया है। अब होमगार्ड्स व अवैतनिक अधिकारियों की सेवा अवधि यानी सेवानिवृत्ति तक मृत्यु होने पर उनके उत्तराधिकारी को या स्थायी अपंगता होने पर स्वयंसेवक को सरकार पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी। यह नियम छह दिसंबर 2020 से लागू कर दिया है। पहले यह राशि ड्यूटी के दौरान मृत्यु या स्थायी अपंगता होने पर ही दी जाती रही है। ये निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में किया गया।

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मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय किया कि होमगार्ड्स स्वयंसेवकों व अवैतनिक अधिकारियों की सेवावधि (अधिवर्षता से पूर्व) में एक अंग या एक आंख की पूर्णरूप से हानि होती है तो उसे 2.5 लाख रुपये की अनुग्रह धनराशि दी जाएगी। यह व्यवस्था छह दिसंबर, 2020 से लागू होगी। मंत्रिपरिषद ने सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के तहत ड्यूटी व प्रशिक्षणरत होमगार्ड्स स्वयंसेवकों व अवैतनिक अधिकारियों को दुर्घटना के कारण मृत्यु होने व अपंगता होने की दशा में बीमा कंपनी की ओर से दी जाने वाली धनराशि की व्यवस्था को खत्म कर दिया है।

प्रमुख सचिव होमगार्ड अनिल कुमार ने बताया कि होमगाड्र्स स्वयंसेवक व अवैतनिक अधिकारी दुर्घटना बीमा से आच्छादित नहीं होते रहे हैं, उनको उत्तर प्रदेश होमगाड्र्स स्वयंसेवक कल्याण कोष नियमावली 2013 के प्रस्तर-4(क) 1, 2, 3, व 4 के अनुसार दी जाने वाली धनराशि की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय भी किया गया है।

गृह जिले में नहीं होगी आबकारी सिपाहियों की तैनाती : आबकारी विभाग में सिपाहियों को अब गृह जिले में तैनाती नहीं मिलेगी। विभाग में सिपाहियों के चयन के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा को उत्तीर्ण करना भी जरूरी होगा। कैबिनेट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश आबकारी सिपाही और ताड़ी पर्यवेक्षक सेवा (छठवां संशोधन) नियमावली, 2021 को मंजूरी दे दी है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए नई नियमावली में आबकारी विभाग के सिपाहियों की गृह जिले में तैनाती न करने का प्रविधान किया गया है। वहीं सिपाहियों के चयन की प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है। अभी तक आबकारी विभाग में सिपाही के चयन में लिखित और शारीरिक दक्षता परीक्षाओं के अंकों को जोड़कर उसके आधार पर चयन होता था। नियमावली में इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए सिपाही पद पर चयन के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा को उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है।

खत्म होंगे अनुपयोगी 312 कानून : ईज आफ डूइंग बिजनेस (व्यापार की सुगमता) के साथ ही भाजपा सरकार का जोर ईज आफ लिविंग (जीवन की सुगमता) पर है। इसे देखते हुए योगी सरकार ने प्रदेश में लागू 312 अनुपयोगी और अप्रचलित कानूनों को खत्म करने का निर्णय लिया है। इसके लिए तैयार उत्तर प्रदेश अध्यादेश, 2021 के प्रारूप को सोमवार को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है। गैरजरूरी कानूनों का भार कारोबारियों और आमजन पर से कम करने की कवायद कई माह पहले प्रदेश सरकार ने शुरू की। इसके संबंध में शासन के संबंधित प्रशासकीय विभागों से अनापत्तियां मांगी गईं। सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा निरसन (खत्म करने) के लिए कुल 1430 अधिनियमों में से 960 की संस्तुति की। इनमें से 297 कानूनों और ईज आफ डूइंग बिजनेस को देखते हुए औद्योगिक विकास विभाग द्वारा संदर्भित 15 अधिनियमों (जिनमें से चार राज्य विधि आयोग की सूची में शामिल नहीं हैं) को मिलाकर कुल 312 को खत्म किया जाना है। इसके लिए तैयार उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के प्रारूप को स्वीकृति मिल चुकी है। विभागीय मंत्री के अनुमोदन से इसे आगामी राज्य विधानमंडल सत्र में रखा जाएगा। जल्द ही इस पर अमल भी शुरू होगा।

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