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दीपावली से पहले योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव, छह विधायकों को मिलेगा मौका

योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने के करीब 19 महीने बाद फेरबदल के तहत कुछ नए लोगों को शपथ दिलाई जा सकती है। कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं। कुछ लोगों को प्रोन्नत किया जा सकता है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 05:06 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 09:50 AM (IST)
दीपावली से पहले योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव, छह विधायकों को मिलेगा मौका
दीपावली से पहले योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव, छह विधायकों को मिलेगा मौका

लखनऊ (जेएनएन)। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रणा के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार में फेरबदल तथा विस्तार तय हो गया है। योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट लंबे समय से चली आ रही है। शुभ मुहूर्त को लेकर कयास लगते हैं और मंत्री बनने के लिए पेशबंदी में जुटे कुछ नेता भी इस तरह की सुगबुगाहट को हवा देते हैं। एक बार फिर भी यह दावा किया जा रहा है कि दीपावली तक मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है।

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योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने के करीब 19 महीने बाद फेरबदल के तहत कुछ नए लोगों को शपथ दिलाई जा सकती है। कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं। कुछ लोगों को प्रोन्नत किया जा सकता है। स्वतंत्र प्रभार के तीन-चार राज्य मंत्रियों को कैबिनेट का दर्जा दिया जा सकता है। इनमें स्वतंत्र देव सिंह, महेंद्र सिंह, सुरेश राणा और उपेंद्र तिवारी के नाम शामिल हैं।

बेसिक शिक्षा के साथ ही सहकारिता समेत कुछ विभागों में फेरबदल भी हो सकता है। इस बार जहां चार मंत्रियों के कद में बढ़ोत्तरी होगी तो वहीं कुछ मंत्रियों के पर भी कतरे जा सकते हैं। कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्री अपने पदों की रक्षा के लिए दबाव की राजनीति करने में अभी से जुट गए हैं।

संगठन में प्रभावी भूमिका निभा रहे प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर जैसे कुछ लोगों को शपथ दिलाई जा सकती है। इनके साथ ही अपना दल के आशीष पटेल, फैजाबाद के रामचंद्र यादव अवतार सिंह भड़ाना, विजय बहादुर पाठक, पंकज सिंह और यशवंत सिंह का नाम चर्चाओं में है। भाजपा में चल रही चर्चा के अनुसार, प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर को भी शपथ दिलाई जा सकती है और अगले वर्ष होने वाले विधान परिषद के चुनाव में उन्हें मैदान में उतारा जा सकता है।

राठौर भाजपा के टिकट पर एक बार चुनाव लड़कर बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं। फिलहाल स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की एक सीट अरसे से खाली चल रही है। संभव है कि राठौर को वहीं उम्मीदवार बना दिया जाए और भी कुछ खास चर्चा है लेकिन, इस पर मुहर कब लगेगी कहा नहीं जा सकता है। इतना जरूर है कि आनंदी वाटर पार्क में आरएसएस, भाजपा और राज्य सरकार की समन्वय बैठक में मंत्रियों, सांसद और विधायकों की किरकिरी होने और कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद नेतृत्व बदलाव के मूड में आ गया है। 


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