उत्तर प्रदेश में चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाने की अंतिम बाधा भी पार, सेंट्रल जू अथारिटी ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश तेंदुओं की बढ़ती संख्या और मानवों के साथ बढ़ते संघर्ष को देखते हुए चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाने के प्रस्ताव ने अंतिम बाधा भी पार कर ली है। सेंट्रल जू अथारिटी (सीजेडए) ने चारों रेस्क्यू सेंटर बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश तेंदुओं की बढ़ती संख्या और मानवों के साथ बढ़ते संघर्ष को देखते हुए चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाने के प्रस्ताव ने अंतिम बाधा भी पार कर ली है। सेंट्रल जू अथारिटी (सीजेडए) ने चारों रेस्क्यू सेंटर बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। सीजेडए ने रेस्क्यू सेंटर में बनने वाले बाड़े के डिजाइन व मास्टर ले-आउट को मंजूरी दे दी है। यह सेंटर पीलीभीत, महाराजगंज, चित्रकूट व मेरठ में बनाए जाएंगे। 'प्रोजेक्ट लेपर्ड' के तहत बनने वाले इन रेस्क्यू सेंटर में प्रदेश में कहीं से भी पकड़े जाने पर इन्हें यहां रखा जाएगा। यहां रखकर तेंदुओं का इलाज किया जाएगा। सेहतमंद होने पर इन्हें वापस जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
दरअसल, टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुओं को रहने नहीं देते हैं। इस कारण तेंदुए जंगलों से सटी आबादी वाले इलाकों में रहते हैं। यहां तेदुओं को आसानी से शिकार मिल जाता है। यही वजह है कि आए दिन तेंदुए रिहायशी इलाकों में देखे जा रहे हैं। कई स्थानों पर मानव-वन्यजीव संघर्ष भी हो रहे हैं। अभी तेंदुआ पकड़े जाने पर उसे चिड़ियाघर में रखा जाता है। प्रदेश में अभी लखनऊ, कानपुर व गोरखपुर चिड़ियाघर हैं। चिड़ियाघर पहले से फुल चल रहे हैं। इसलिए सरकार ने प्रोजेक्ट लेपर्ड शुरू कर रेस्क्यू सेंटर बनाने का निर्णय लिया है।
यह सेंटर क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) योजना से बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक केंद्र करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव पवन कुमार शर्मा ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर को सीजेडए की मंजूरी मिल गई है। अब जल्द ही कैंपा से इसके लिए बजट मिल जाएगा। शासन से कार्यदायी संस्था नामित करने के लिए पत्र भेजा गया है। संस्था नामित होते ही रेस्क्यू सेंटर बनाने का पैसा दे दिया जाएगा। इसके बनने से रिहायशी इलाकों में पकड़े जाने वाले तेंदुओं को यहां रखा जाएगा। जब वे सेहतमंद हो जाएंगे तो उन्हें वापस जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।