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डॉक्टरों की केंद्रीय टीम का दावाः ऑक्सीजन की कमी मौत की वजह नहीं

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में हुई बच्चों की मौत की वजह आक्सीजन सप्लाई का ठप होना नहीं है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 10:45 PM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 10:56 PM (IST)
डॉक्टरों की केंद्रीय टीम का दावाः ऑक्सीजन की कमी मौत की वजह नहीं
डॉक्टरों की केंद्रीय टीम का दावाः ऑक्सीजन की कमी मौत की वजह नहीं

गोरखपुर (जेएनएन)। बीआरडी मेडिकल कालेज में हुई बच्चों की मौत की वजह आक्सीजन सप्लाई का ठप होना नहीं है। यह कहना है केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की ओर से भेजी गई डॉक्टरों की तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम का, जो मामले की सच्चाई पता लगाने के लिए रविवार की सुबह गोरखपुर पहुंची। मेडिकल कालेज पहुंचकर प्राथमिक अध्ययन के बाद टीम के सदस्यों ने संवाददाताओं से बातचीत में अपने बयान के पक्ष में तर्क भी दिया। 

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टीम के सदस्य सहायक आयुक्त इम्युनाइजेशन डॉ. एमके अग्रवाल, सफदरजंग अस्पताल दिल्ली के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. हरीश चेलानी और लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज नई दिल्ली की न्यू नेटल विभागाध्यक्ष डॉ. सुषमा नांगिया ने कहा कि ऑक्सीजन से मौत तकनीकी रूप से सही नहीं है, मौतों का तुलनात्मक आंकड़ा भी यही कहता है। डॉ. नांगिया ने बताया कि उनकी टीम ने बच्चों की मौतों का दो चरणों में अध्ययन किया है। पहला 1 से 6 अगस्त के बीच और दूसरा सात से 12 अगस्त के बीच का। दोनों ही आंकड़ों में मौतों का ग्राफ बढ़ा हुआ नहीं मिला। बल्कि अगर पिछले वर्ष से तुलना की जाए तो इस वर्ष मौत की संख्या कम है। इस अवधि में पिछले वर्ष जहां 138 मौतें हुई थीं, वहीं इस वर्ष यह संख्या 134 ही है।

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डॉ. हरीश चेलानी ने कहा कि अगर मौत का आंकड़ा अप्रत्याशित रूप से ज्यादा होता तो एक बार इस पर विचार किया जा सकता था। आक्सीजन की कमी मौत की वजह नहीं हो सकती, क्योंकि यह महज सपोर्ट सिस्टम है। बच्चों की मौत की वजह एक्सफीसिया, प्री-मेच्योरिटी या फिर संक्रमण होती है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई उनकी डेथ आडिट की जाएगी। बच्चों के परिजन इलाज के लिए पहले कहां ले गए, किस स्थिति में मेडिकल कॉलेज पहुंचे और यहां उन्हें किस तरह से इलाज मिला, इस पर गंभीर अध्ययन किया जाएगा। डा. एमके अग्रवाल ने टीम के आने के उद्देश्य की जानकारी देते हुए बताया कि वह लोग मासूमों की मौत की सच्चाई जानने और इंसेफ्लाइटिस के इलाज में अस्पताल प्र्रबंधन को मदद करने आए हैं। अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जाएगी।  


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