Hathras Case Hearing: CBI ने हाई कोर्ट से हाथरस केस की जांच पूरी करने के लिए मांगा और वक्त
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को सीबीआइ ने यूपी के बहुचर्चित हाथरस केस में जांच के लिए और वक्त मांगा है। जांच एजेंसी ने कोर्ट से कहा है कि केस की जांच को खत्म करने में अभी और वक्त लगेगा।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को सीबीआइ ने यूपी के बहुचर्चित हाथरस केस में जांच के लिए और वक्त मांगा है। जांच एजेंसी ने कोर्ट से कहा है कि केस की जांच को खत्म करने में अभी और वक्त लगेगा। इस वजह से आरोप पत्र अभी दाखिल नहीं किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख तय की है।
हाथरस मामले में सीबीआइ ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने आश्वासन दिया कि वह इस केस की विवेचना पूरी कर 18 दिसंबर तक संबंधित अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देगी। इस बीच अपर महाधिवक्ता वीके साही ने हाथरस डीएम को न हटाने के राज्य सरकार के निर्णय को फिर दोहराया। कोर्ट ने करीब एक घंटे चली सुनवाई के बाद न्याय मित्र, सभी पक्षों के अधिवक्ताओं तथा सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी समेत हाथरस के जिलाधिकारी व एसपी को मीडिया तथा अन्य स्रोतों से आए फोटो व वीडियो देखने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस पंकज मित्थल व जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने सुनवाई के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। कोर्ट हाथरस मामले में स्वत: संज्ञान द्वारा 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में सीबीआइ के अधिवक्ता अनुराग सिंह ने जानकारी दी कि मामले की जांच पूरी करने के उपरांत 18 दिसंबर तक चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 10 दिसंबर तक जांच पूरा कर लेने की उम्मीद जताई थी।
मामले में न्याय मित्र जेएन माथुर ने बताया कि कोर्ट ने 16 जनवरी को हाई कोर्ट के ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग हॉल में सभी पक्षों को वीडियो व फोटो देखने के आदेश दिए हैं। हाथरस जैसी घटना की पुनरावृत्ति होने पर अंतिम संस्कार के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाने को लेकर न्याय मित्र व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं को परस्पर विचार विमर्श करने का भी आदेश दिया गया है।
बता दें कि 25 नवंबर को हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सीबीआइ ने हाथरस केस में विवेचना की प्रगति आख्या रिपोर्ट पेश की थी। सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कोर्ट को बताया था कि 10 दिसंबर तक मामले की जांच पूरी होने की संभावना है। जांच में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि फोरेंसिक रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है। सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एसवी राजू और अपर महाधिवक्ता वीके साही ने कहा था कि कुछ राजनीतिक दल हाथरस के डीएम को हटवाना चाहते हैं, जबकि उन्होंने सभी निर्णय सद्भावना में लिए थे। हालांकि कोर्ट ने सरकार के जवाब से खिन्नता जाहिर की थी।
यह है पूरा मामला : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने कथित रूप से 19 साल की दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान लड़की को गंभीर चोट आई थी। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई थी। पीड़िता की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया, जबकि स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।