Move to Jagran APP

अखिलेश यादव सरकार में हुई 97 हजार करोड़ की लूट, सरकार के पास नहीं हिसाब

सूबे में अखिलेश यादव के कार्यकाल के समय 97 हजार करोड़ की भारी धनराशि कहां और कैसे खर्च हुई, इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। सरकारी धन के प्रयोग में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:31 PM (IST)
अखिलेश यादव सरकार में हुई 97 हजार करोड़ की लूट, सरकार के पास नहीं हिसाब
अखिलेश यादव सरकार में हुई 97 हजार करोड़ की लूट, सरकार के पास नहीं हिसाब

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में जमकर सरकारी धन की लूट की गई। अखिलेश यादव सरकार में 97 हजार करोड़ रुपया कहां पर खर्च किया गया है, इसका हिसाब ऑडिट एजेंसी कैग को नहीं मिला है। कैग को इन सभी खर्च के प्रमाणपत्र की जरूरत है।

loksabha election banner

प्रदेश में सरकारी धन के प्रयोग में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सूबे में अखिलेश यादव के कार्यकाल के समय 97 हजार करोड़ की भारी धनराशि कहां-कहां और कैसे खर्च हुई, इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। सूबे में अखिलेश यादव की सरकार ने 2014 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए करीब ढाई लाख से ज्यादा कार्यों के उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया था।

इतने बड़े व्यय का कहीं कोई खिताब नहीं है। सबसे ज्यादा घपला समाज कल्याण, शिक्षा व पंचायतीराज विभाग में हुआ है। सिर्फ इन तीन विभागों में 25 से 26 हजार करोड़ रुपये कहां खर्च हुए, विभागीय अफसरों ने हिसाब-किताब की रिपोर्ट ही नहीं दी। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेसी कैग ने वित्तीय प्रबंधन में इस गड़बड़झाले की पोल खोलकर रख दी है।

वर्ष 2018 की अगस्त में आई रिपोर्ट नंबर एक में कैग ने इस पूरे गड़बड़झाले को उजागर किया है। कैग ने 31 मार्च 2017-18 तक यूपी में खर्च हुए बजट की जब जांच की तो पता चला कि बड़ा गड़बड़झाला है। सीएजी ने इस रिपोर्ट में कहा है कि धनराशि खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) उपलब्ध न होने से यूपी में बड़े पैमाने पर धनराशि के दुरुपयोग और खर्च में धोखाधड़ी की आशंका है।

कैग ने यूपी सरकार से कहा है कि वह वित्त विभाग विभाग को निर्देश जारी करें कि उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिए निश्चित डेडलाइन(समय-सीमा) तय करे। फिर उस अवधि तक हरहाल में उपयोगिता प्रमाणपत्र हासिल करे, जब तक उपयोगिता प्रमामपत्र न जारी हो, तब तक बजट की दूसरी किश्त न जारी हो।

सीएजी ने अगस्त में तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपी में धनराशि के उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का मामला कई बार शासन के सामने लाया गया, मगर कोई सुधार नहीं हुआ है। गंभीर बात रही कि पिछली ग्रांट खर्च न करने और उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र न देने पर भी कई विभागों को बजट जारी कर दिया गया। नियम है कि बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त किए दूसरी किश्त की धनराशि नहीं दी जा सकती। करीब दो लाख 55 हजार उपयोगिता प्रमाणपत्रों के पेंडिंग होने पर सीएजी ने फंड के दुरुपयोग की आशंका जताई है।

प्रदेश में 2014-15 के बीच कुल 66861.14 करोड़ धनराशि 2.25 लाख उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा हुए। इसी तरह 2015-16 में 10223.77 करोड़ के 11335, 2016-17 में 20821.37 करोड़ के 18071 प्रमाणपत्र विभागों ने जमा ही नहीं किए। सबसे ज्यादा गड़बड़ी समाज कल्याण विभाग में देखने को मिली. समाज कल्याण विभाग ने 26 हजार 927 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र ही नहीं दिया है। इसी तरह पंचायतीराज विभाग में 25 हजार 490.95 करोड़, शिक्षा विभाग ने 25 हजार 693.52 करोड़ का हिसाब-किताब ही नहीं दिया है।

क्या हैं नियम

वित्तीय नियम कहते हैं कि जब किसी विशेष मकसद या योजना के तहत विभागों को बजट जारी होता है तो तय-सीमा बीतने के बाद उन्हें उपयोगिता प्रमाणपत्र(यूसी) जमा करना होता है। बजट जारी करने वाले विभाग पर यह सर्टिफिकेट लेने की जिम्मेदारी है। जब तक विभाग सर्टिफिकेट नहीं देते तब तक उन्हें बजट की दूसरी किश्त नहीं जारी की जा सकती। व्यवस्था इसलिए है, ताकि पता चल सके कि बजट का इस्तेमाल संबंधित कार्यों के लिए ही हुआ है। उपयोगिता प्रमाणपत्र से पता चलता है कि बजट का कितना हिस्सा कहां और किस तरह खर्च हुआ। इस प्रमाणपत्र की जांच से बजट के दुरुपयोग की गड़बड़ी पकड़ में आ जाती है। यह सख्त निर्देश है कि बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र जारी किए दोबारा बजट जारी नहीं हो सकता। नियम के मुताबिक विभाग संबंधित संस्थाओं से यह प्रमाणपत्र लेने के बाद उसकी क्रास चेकिंग कर महालेखाकार(ऑडिटर जनरल) को भेजते हैं। मगर जांच के दौरान पता चला कि यूपी में बिना यूसी हासिल किए ही आंख मूंदकर विभागों को बजट जारी होता रहा।

सरकारी योजनाओं के लिए दी गई मोटी धनराशि का कोई हिसाब-किताब सरकार के पास नहीं है। अगस्त 2018 की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार इस राशि का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं कर पाई है। सरकारी योजनाओं के लिए दी गई मोटी धनराशि का कोई हिसाब-किताब सरकार के पास नहीं है। अगस्त 2018 की इस रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार इस राशि का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं कर पाई है। इससे इतनी बड़ी सरकारी राशि के गलत इस्तेमाल का शक पैदा हुआ है।

उत्तर प्रदेश सरकार अब इस मामले की जांच कराने की बात कर रही है, वहीं समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को राजनीति से प्रेरित बताया। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा कि कैग की रिपोर्ट से भ्रष्टाचार की बात साबित नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक अनुमान है। ऐसी ही रिपोर्ट महाराष्ट्र और गुजरात में आ चुकी हैं लेकिन राज्य सरकार ने तब भी किसी भ्रष्टाचार की बात नहीं मानी थी। यादव ने कहा कि कैग की रिपोर्ट ने तो 2 जी में भी घोटले की बात कही थी लेकिन कोर्ट से सभी आरोप खारिज हो चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.