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मेले का प्रांतीयकरणः चित्रकूट के रामायण मेला का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार

योगी सरकार हिंदुत्व के एजेंडे के साथ धर्म स्थलों के विकास को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने चित्रकूट में लगने वाले रामायण मेला के प्रांतीयकरण का फैसला किया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 08:31 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 08:31 PM (IST)
मेले का प्रांतीयकरणः चित्रकूट के रामायण मेला का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार
मेले का प्रांतीयकरणः चित्रकूट के रामायण मेला का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ, जेएनएन। योगी सरकार हिंदुत्व के एजेंडे के साथ धर्म स्थलों के विकास को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने चित्रकूट में लगने वाले रामायण मेला के प्रांतीयकरण का फैसला किया है। अब इस मेला का खर्च राज्य सरकार उठाएगी और इसका प्रबंधन जिलाधिकारी चित्रकूट द्वारा किया जाएगा। इस मेले में करीब दस लाख लोग आते हैं। योगी की कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। राज्य सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि अंतरराज्यीय स्वरूप के दृष्टिगत इसकी समुचित व्यवस्था होगी। उल्लेखनीय है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने में जुटी सरकार ने पहले भी कई मेलों के प्रांतीयकरण को मंजूरी दी है। सीतापुर के नैमिषारण्य का मां ललिता देवी, बलरामपुर के देवीपाटन का पाटेश्वरी शक्तिपीठ और मीरजापुर की विंध्यवासिनी शक्तिपीठ मेले का सरकार ने प्रांतीयकरण किया था। 

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मुगलसराय तहसील का नाम अब दीनदयाल नगर तहसील 

सरकार ने चंदौली जिले की मुगलसराय तहसील का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर तहसील किये जाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके पहले मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर किया गया था।  जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी, 1968 को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर पाया गया था। अध्यक्ष, राजस्व परिषद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 14 सितंबर, 2017 को संपन्न बैठक में मुगलसराय का नाम दीनदयाल नगर तहसील किये जाने की संस्तुति की थी। दीनदयाल नगर नाम की अन्य कोई तहसील उप्र में नहीं है। आयुक्त एवं सदस्य राजस्व परिषद ने इसे औचित्यपूर्ण बताते हुए भी सरकार को मंजूरी के लिए भेजा था। 

उप्र राज्य सेतु निगम कर्मियों को सातवां वेतनमान 

सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के कार्मिकों को सातवां वेतनमान दिये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह वेतनमान एक जनवरी, 2016 से प्रभावी होगा। राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि राज्य सेतु निगम के 3849 नियमित पूर्णकालिक कर्मचारियों को सातवां वेतनमान, अन्य भत्ते एवं सुविधाओं का लाभ मिलेगा। मौजूदा समय में सेतु निगम के 3849 कर्मियों के वेतन पुनरीक्षण पर मासिक व्यय मासिक व्यय भार एक करोड़ 36 लाख रुपये आयेगा तथा एक जनवरी 2016 से कुल व्यय 46 करोड़ 65 लाख होगा। सातवां वेतनमान देने के लिए सेतु निगम अपने संसाधनों से खर्च वहन करने में सक्षम है और इसका कोई अतिरिक्त वित्तीय भार शासन पर नहीं पड़ेगा। मौजूदा समय में सेतु निगम द्वारा 7283 करोड़ रुपये के कार्य संपादित किये जा रहे हैं। पांच वर्ष बाद सेतु निगम के पास सिर्फ 1611 कर्मी बचेंगे। इससे स्पष्ट है कि भविष्य में इनके वेतन का खर्च कम होता रहेगा। 


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