Cabinet decision: साहस प्रदर्शन में दिव्यांग होने पर पुलिसकर्मी को मिलेगी आर्थिक सहायता
उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग एवं अग्निशमन सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों को कर्तव्य पालन के दौरान दिव्यांग होने पर सहायता के रूप में अनुग्रह राशि दी जाएगी।
लखनऊ, जेएनएन। मुठभेड़ के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन कर जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के आश्रितों को सरकार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है लेकिन, मुठभेड़, आगजनी या घटना-दुर्घटना में दिव्यांग हो जाने वाले पुलिसकर्मियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। अब उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग एवं अग्निशमन सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों को कर्तव्य पालन के दौरान दिव्यांग होने पर सहायता के रूप में अनुग्रह राशि दी जाएगी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारत सरकार की इस व्यवस्था का अनुकरण करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार भी इसे लागू करने जा रही है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। शर्मा ने बताया कि कर्तव्य पालन के समय प्रदेश के अंदर या बाहर आतंकवादी, अराजकतत्वों की गतिविधियों में हुई ङ्क्षहसा, मुठभेड़ के फलस्वरूप पुलिसकर्मियों के दिव्यांग होने पर एवं अग्निशमन सेवा के कर्मियों के राहत एवं बचाव कार्य के दौरान दिव्यांग होने पर आर्थिक सहायता दी जाएगी। सरकार 80 से 100 प्रतिशत की दिव्यांगता के लिए 20 लाख रुपये, 70 79 प्रतिशत तक की दिव्यांगता के लिए 15 लाख रुपये और 50 से 69 प्रतिशत की दिव्यांगता तक की स्थिति में 10 लाख रुपये की धनराशि दी जाएगी।
आर्थिक सहायता के लिए तीन शर्त
आर्थिक सहायता की धनराशि की स्वीकृति के लिए तीन शर्त लगाई गई हैं। पहले तो घटना के संबंध में एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। दूसरा दिव्यांग होने से संबंधित प्रमाण पत्र सक्षम चिकित्सा अधिकारी से जारी किया गया हो, जिसमें दूसरा स्पष्ट रूप से दिव्यांगता प्रतिशत अंकित किया गया हो। तीसरा पुलिस विभाग एवं अग्निशमन सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों को कर्तव्य पालन के दौरान घटित घटना में दिव्यांग होने की स्थिति में यदि सेवानिवृत्त किया जाता है तो सहायता राशि सेवानिवृत्ति लाभ के अतिरिक्त होगी। इन निर्धारित सीमाओं में विशेष परिस्थिति में छूट दी जा सकती है लेकिन, इसके पहले गृह विभाग से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा।
विजिलेंस की दस इकाइयां थाना घोषित
सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की दस इकाइयों को थाना घोषित किये जाने का फैसला किया है।अब भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने में आसानी होगी और अधिष्ठान की गोपनीयता बनी रहेगी। विजिलेंस टीम को छापेमारी से पहले पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज करानी पड़ती थी। इससे गोपनीयता भंग होने का खतरा बना रहता था और कई बार जांच पूरी होने पर मुकदमे की विवेचना भी प्रभावित होती है। इसके अन्तर्गत सेक्टर के पुलिस अधीक्षक कार्यालयों को थाना घोषित किया गया है। इनमें लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर नगर, झांसी, आगरा, बरेली और मेरठ सेक्टर में थाने खुलेंगे। हर सेक्टर में कई जिले शामिल हैं। लखनऊ सेक्टर में लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खरी, रायबरेली और उन्नाव, अयोध्या सेक्टर में अयोध्या, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा, सुलतानपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बलरामपुर, अमेठी, गोरखपुर सेक्टर में गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, संतकबीरनगर, महराजगंज, मऊ और आजमगढ़, वाराणसी सेक्टर में वाराणसी, मीरजापुर, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, भदोही, चंदौली और सोनभद्र, प्रयागराज सेक्टर में प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, कानपुर सेक्टर में कानपुर, इटावा, कानपुर देहात, कन्नौज, औरैया, फर्रुखाबाद, झांसी सेक्टर में झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा, आगरा सेक्टर में आगरा, एटा, अलीगढ़, मैनपुरी, मथुरा, फीरोजाबाद, हाथरस, कासगंज, बरेली सेक्टर में बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल तथा मेरठ सेक्टर में मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, हापुड़ और शामली जिले शामिल हैं।
अब समय की होगी बचत
सतर्कता निदेशालय को उप्र सतर्कता अधिष्ठान के रूप में अपराधों के अनुसंधान के लिए 11 फरवरी, 1965 को गठन किया गया। अधिष्ठान द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियमों के अन्तर्गत उल्लिखित अपराधों के संबंध में कार्रवाई की जाती है। अधिष्ठान की इकाइयों को थाना घोषित किये जाने से सामान्य थानों में जाकर एफआइआर दर्ज कराने में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी और साक्ष्य संकलन एवं थाना के अभिलेखों को प्राप्त करने में अनावश्यक देरी नहीं होगी।
निदेशक, सचिव की भर्ती में आयु सीमा व अनुभव घटे
सरकार ने उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन लखनऊ में निदेशक/सचिव पद पर सीधी भर्ती का मानक बदल दिया है। अब निदेशक की भर्ती में आयु सीमा और अनुभव दोनों घटा दिए गये हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि निदेशक/सचिव की भर्ती के लिए पहले यह निर्धारित था कि विधि द्वारा स्थापित किसी ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से डिजाइन, शिल्प या कला क्षेत्र में 20 वर्ष का कार्य अनुभव होना चाहिए लेकिन, संशोधन के बाद अनुभव की अवधि 15 वर्ष कर दी गई है। इसी तरह पहले विज्ञापन की तरीख को आवेदक की अधिकतम आयु 57 वर्ष होनी चाहिए थी लेकिन, इसमें भी संशोधन करके आवेदक की न्यूनतम आयु 45 वर्ष से अधिकतम 55 वर्ष तक की गई है। इसके साथ ही पूर्ववर्ती चयन समिति को यथावत बनाये रखते हुए चयन समिति में महानिदेशक एनआइएफटी, नई दिल्ली या उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि को भी विशेषज्ञ सदस्य के रूप में नामित किये जाने का फैसला किया गया है।
सभी जिलों में स्थापित होंगे मोटर दुर्घटना प्रतिकर अधिकरण
सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में प्रदेश के सभी 75 जिलों में विशेषीकृत मोटर दुर्घटना अधिकरण की स्थापना का फैसला किया है। कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है। अब इन अधिकरणों में मोटर दुर्घटना प्रतिकर से संबंधित सुनवाई हो सकेगी। इससे सरकार पर 23.73 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च पड़ेगा। हर अधिकरण में एडीजे स्तर के अधिकारी सुनवाई करेंगे।