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त्वरित आर्थिक विकास योजना में पॉलीटेक्निक और आटीआइ भी

योगी सरकार ने त्वरित आर्थिक विकास योजना के मार्गदर्शी सिद्धांतों में संशोधन किया है। इसमें पॉलीटेक्निक और आइटीआइ निर्माण को भी शामिल किया गया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:19 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 09:19 PM (IST)
त्वरित आर्थिक विकास योजना में पॉलीटेक्निक और आटीआइ भी
त्वरित आर्थिक विकास योजना में पॉलीटेक्निक और आटीआइ भी

लखनऊ (जेएनएन)। योगी सरकार ने त्वरित आर्थिक विकास योजना के मार्गदर्शी सिद्धांतों में संशोधन किया है। इसमें राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजों और राजकीय आइटीआइ संस्थाओं के भवन निर्माण को भी शामिल किया गया है। इस फैसले से निकट भविष्य में प्रदेश में पॉलीटेक्निक और आइटीआइ संस्थानों में वृद्धि होगी। कैबिनेट ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

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राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए इस योजना के तहत पूंजीगत निर्माण के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। अब इस योजना में 11 श्रेणी के कार्य निर्धारित किये गए हैं। इनमें राजकीय माध्यमिक विद्यालय, महाविद्यालयों के भवन, स्वास्थ्य सेवा से संबंधित भवनों के निर्माण, जलापूर्ति, जल निकासी, लघु सिंचाई, वनीकरण, विद्युतीकरण, शहरी क्षेत्रों में प्रकाश व्यवस्था, सड़क निर्माण, चौड़ीकरण और सृदृढ़ीकरण, सेतु का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में नई सड़क का निर्माण, न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चेंबर जैसे कार्य पहले से शामिल हैं। आइटीआइ और पॉलीटेक्निक के भवन निर्माण को इसमें शामिल किया गया है। कैबिनेट ने अन्य पूंजीगत कार्यों के चयन का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया है। विकास कार्यों का आगणन मानक के अनुसार रखे जाने का प्रावधान किया गया है। कार्यों के चयन में डीएम और कमिश्नर के अलावा जनप्रतिनिधि, शहरी निकाय के अध्यक्षों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद प्रशासनिक विभाग से क्रियान्वयन होगा। पॉलीटेक्निक और आइटीआइ के अलावा जलापूर्ति के क्षेत्र में सबमर्सिबल के लिए भी प्रावधान है। 

थर्ड पार्टी करेगी कार्यों की जांच

वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए इस योजना में 1850 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित है। इस योजना में जमीन खरीदने के लिए धनराशि नहीं मिलेगी। कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कार्यदायी संस्था, मंडलायुक्त और डीएम को विभागीय समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। गुणवत्ता में कमी आने के लिए प्रशासनिक विभाग जिम्मेदार होंगे। इसके कार्यों की जांच थर्ड पार्टी करेगी। ध्यान रहे कि यह योजना 2012 से संचालित हो रही है। 


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