पंजाब की पराली प्रदूषित करेगी यूपी और दिल्ली की हवा, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किया अलर्ट
नासा की सेटेलाइट इमेज में गुरुवार को पंजाब में पराली जलाने की हजारों घटनाएं पकड़ में आई हैं। इसका असर दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में दो-तीन दिनों में दिखाई देगा। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी यूपी के प्रमुख शहरों को अलर्ट कर दिया है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। नासा की सेटेलाइट इमेज में गुरुवार को पंजाब में पराली जलाने की हजारों घटनाएं पकड़ में आई हैं। इसका असर दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में दो-तीन दिनों में दिखाई देगा। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी यूपी के प्रमुख शहरों को अलर्ट कर दिया है। दीपावली के पटाखों के साथ पराली का धुआं वायु प्रदूषण को और खतरनाक बना सकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी 'सफर' (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) ने भी दिल्ली व एनसीआर की वायु गुणवत्ता और बिगड़ने की भविष्यवाणी की है।
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दिल्ली में पांच से आठ किलोमीटर की रफ्तार से उत्तर-पूर्वी हवा बह रही है। आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की संभावना है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार यदि हवा की रफ्तार छह किलोमीटर से अधिक होती है तो दिल्ली तक पराली का प्रदूषण पहुंचता है। इस समय जो हवा चल रही है उससे अगले दो-तीन दिनों में दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश के एनसीआर में शामिल गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर व बुलंदशहर के अलावा आगरा, बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ व कानपुर आदि शहरों की हवा और जहरीली होने की आशंका है।
अगर दिल्ली व एनसीआर की बात की जाए तो पांच नवंबर को पीएम 2.5 में पराली की भूमिका 42 फीसद थी। सात नवंबर को यह 32 फीसद व नौ नवंबर को 38 फीसद हिस्सेदारी थी। चूंकि उत्तर प्रदेश व हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब की अपेक्षाकृत काफी कम हैं, इसलिए खराब हो रही हवा के लिए पंजाब की पराली को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी ने संबंधित शहरों को अलर्ट जारी कर दिया है। सभी को अपने यहां विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा गया है। वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय तत्काल अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने का असर कानपुर में भी पड़ता है। आइआइटी परिसर में पीएम-2.5 की मात्रा 300 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब से अधिक पहुंचना इसका संकेत है। इसके अलावा शहर में पीएम-2.5 बढ़कर 450 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब तक पहुंच चुका है। यह केवल शहर के प्रदूषण का असर नहीं है। दिल्ली नजदीक होने के कारण उसका असर यहां अधिक है।
आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि हिमालय से सर्द हवा अफगानिस्तान के रास्ते मैदानी क्षेत्रों तक आती हैं। पंजाब, हरियाणा व दिल्ली होते हुए यह हवा उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। जाड़े के समय वहां पर उच्च वायुदाब रहता है, जबकि मध्य उत्तर प्रदेश यानि कानपुर व उसके आसपास के जिलों में निम्न वायुदाब होने के कारण हवा पश्चिम से पूरब की ओर बहती है। पराली जलने पर उससे उत्सर्जित कण धीरे धीरे हवा में तैरते हुए कानपुर व उसके आसपास पहुंचे हैं, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। अब पराली जलाने पर शिकंजा कसने के बाद प्रदूषण पहले से कम आंका जा रहा है।
कहां कितनी जली पराली
- तारीख : पंजाब : उत्तर प्रदेश : हरियाणा
- 10 नवंबर : 3463 : 106 : 144
- 9 नवंबर : 1756 : 124 : 30
- 8 नवंबर : 3448 : 151 : 164
- 7 नवंबर : 4464 : 70 : 184
- 6 नवंबर : 5235 : 40 : 207
- 5 नवंबर : 4905 : 54 : 108
- 4 नवंबर : 4965 : 144 : 132
- 3 नवंबर : 2349 : 174 : 104
- 2 नवंबर : 3528 : 80 : 139
- 1 नवंबर : 3524 : 70 : 187
- (स्रोत : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान)
एक अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच कहां कितनी जगह जली पराली
- पंजाब : 68341
- उत्तर प्रदेश : 2095
- हरियाणा : 4437
- (स्रोत : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान)