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BSP Vichar Sangoshthi: बसपा मुखिया मायावती बोलीं-सत्ता में वापस आए तो स्मारक व पार्क की जगह पर अब विकास में लगाएंगे ताकत

BSP Vichar Sangoshthi in Lucknow मायावती ने कहा हमको तो दलित वर्ग के लोगों पर शुरू से गर्व रहा है उन्होंने बिना गुमराह और बहकावे में आए कठिन से कठिन दौर में भी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। यह लोग मज़बूत चट्टान की तरह पार्टी के साथ खड़े रहे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 06:50 AM (IST)
BSP Vichar Sangoshthi: बसपा मुखिया मायावती बोलीं-सत्ता में वापस आए तो स्मारक व पार्क की जगह पर अब विकास में लगाएंगे ताकत
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री तथा बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मंगलवार को लखनऊ से शंखनाद किया। बसपा की विचार संगोष्ठी (प्रबुद्ध) सम्मेलन के समापन पर मायावती ने कहा वर्ष 2022 में सूबे में बसपा की सरकार बनी तो किसानों पर थोपे गए तीन काले कानूनों को प्रदेश में लागू नहीं होने देंगे।

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर वह महापुरुषों के नाम पर स्मारक, पार्क और प्रतिमाएं नहीं स्थापित करेंगी बल्कि अपनी पूरी ताकत उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने में लगाएंगी। स्मारक बनवाने और प्रतिमाएं लगवाने काम वह थोक में कर चुकी हैं।

पार्टी के प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को आयोजित प्रबुद्ध वर्ग विचार संगोष्ठी में उन्होंने ब्राह्मणों पर डोरे डालने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में प्रदेश में ब्राह्मणों के उत्पीडऩ की कई ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं हुईं जो देश में चर्चा का विषय बनीं। प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर भाजपा सरकार में ब्राह्मण समाज के उत्पीडऩ के सभी मामलों की जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। सभी निर्दोष लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।

मायावती ने कहा कि अब तो ब्राह्मण समाज के लोग भी कहने लगे हैं कि हमने भारतीय जनता पार्टी के प्रलोभन भरे वादों के बहकावे में आकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर बहुत बड़ी गलती की है। बहुजन समाज पार्टी की 2007 की सरकार ने ब्राह्मण समाज के लोगों के सुरक्षा, सम्मान, तरक्की के मामले में हर स्तर पर अनेको ऐतिहासिक कार्य किए हैं। हमारी सरकार ने सरकार ने सभी की रोजी-रोटी का भी ध्यान रखा। हमने तो सरकार में ब्राह्मण समाज के लोग मंत्री बनाया। आगे भी बनाएंगे। मायावती ने कहा कि ब्राह्मण समाज को पार्टी संगठन और सरकार में वर्ष 2007 की तरह उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। उनकी सुरक्षा, सम्मान और रोजी रोटी का भी सरकार पूरा ख्याल रखेगी। 

मायावती ने कहा कि हमको तो दलित वर्ग के लोगों पर शुरू से गर्व रहा है कि उन्होंने बिना गुमराह और बहकावे में आए कठिन से कठिन दौर में भी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। यह लोग मज़बूत चट्टान की तरह पार्टी के साथ खड़े रहे हैं। उम्मीद है कि बहुजन समाज पार्टी से जुड़े अन्य सभी वर्गों के लोग इनकी तरह आगे कभी गुमराह नहीं होंगे।

मायावती ने इस दौरान आरएसएस पर भी हमला बोला। उन्होंने आरएसएस प्रमुख के सोमवार के बयान पर कहा कि मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि अगर भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं तो आरएसएस और उनकी भाजपा मुसलमानों से इस तरह का व्यवहार क्यों करते हैं, कया वह लोग हमारे देश में दोयम दर्जे के नागरिक है। आरएसएस की बीजेपी हर स्तर पर मुसलमानों के साथ सौतेला रवैया क्यों अपना रही है।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी की सरकार बनी तो वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोग गठित कर उनकी वाजिब मांगों का निराकरण कराया जाएगा। प्रदेश के सभी वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानजनक मानदेय दिया जाएगा। उनकी सेवा नियमावली भी बनाई जाएगी। भाजपा सरकार ने सरकारी संस्कृत विद्यालयों को संसाधन मुहैया नहीं कराए हैं, उन्हेंं बसपा सरकार आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराएगी। संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पद भरे जाएंगे।

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ के पार्टी कार्यालय में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे। अयोध्या से 23 जुलाई को शुरू होने के बाद 74 जिलों में प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन कराया गया। लखनऊ में इसका आज समापन हो गया।

भव्य हो पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्य तिथि का समारोह

मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वह लोग नौ अक्टूबर को बसपा के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर राजधानी में उनके स्मारक पर उन्हेंं श्रद्धासुमन अॢपत करने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से कार्यकर्ता आएं। इस बार मंडल स्तर पर कोई श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। संस्थापक को श्रद्धासुमन अॢपत करने के लिए वह खुद भी कांशीराम स्मारक जाएंगी।


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