ब्रेस्ट में गांठ हो तो कराएं जांच, अलर्ट रहें- नहीं तो गवानी पड़ सकती है जान Lucknow News
एसजीपीजीआइ लखनऊ में ब्रेस्ट इमेजिंग अपडेट पर आयोजित हुई वर्कशॉप।
लखनऊ,जेएनएन। ब्रेस्ट की हर गांठ कैंसर नहीं होती, फिर भी गांठ होने पर उसकी जांच कराना जरूरी है। यह बात संजय गांधी पीजीआइ की रेडियोलॉजिस्ट प्रो. अर्चना गुप्ता ने ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित सीएमई में कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं में ब्रेस्ट के भीतर या बाहर कोई गांठ महसूस होती है, दर्द के साथ ब्रेस्ट का आकार का बढ़े या तरल द्रव निकले तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें। ये लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के हो सकते हैं। पीजीआइ और मेदांता के सहयोग से ब्रेस्ट इमेजिंग अपडेट पर आयोजित सीएमई में विशेषज्ञों ने ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए मौजूद नवीन तकनीक के बारे में जानकारी दी।
ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए एमआरआइए अल्ट्रासाउंड, ब्रेस्ट मेमोग्राफी, डिजिटल ब्रेस्ट मेमोसेन्थेसिस के बारे में प्रशिक्षु रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन को जानकारी दी गई। वर्कशॉप में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज मेरठ, बीएचयू वाराणसी और जीएसबीएम कानपुर के डॉक्टर और टेक्नीशियन मौजूद थे। वर्कशॉप का लाइव वेबकास्ट किया गया। पीजीआइ के सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रशिक्षु रेडियोलॉजिस्ट को नई तकनीक की जानकारी मिलती है।
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में मौत की अहम कारण
डॉ. अर्चना बताती हैं कि विश्व में हर साल करीब बीस लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं। बीते साल वर्ष 2018 में छह लाख 27 हजार महिलाओं की मौत हो चुकी है। विकसित क्षेत्रों में महिलाओं में कैंसर की दर अधिक है।
समय पर जांच से इलाज संभव है
डॉ. अर्चना गुप्ता ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की यदि समय पर पहचान हो जाए तो इलाज मुमकिन है। ब्रेस्ट की कोशिकाओं में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का मुख कारण है। ये वृद्धि गांठ का रूप ले लेती है, जिसे कैंसर ट्यूमर कहते हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर की कमी है।
इनमें होता है ब्रेस्ट कैंसर
परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर आगे की पीढ़ी में होने की आशंका अधिक होती है। देर से शादी करने वाली महिलाओं में, जल्दी मासिक धर्म आने वाली किशोरियों में, देर से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है।
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