लखनऊ आए विद्युत बोले मौका मिलेगा तो ब्रूस ली की बायोपिक जरूर करूंगा
फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में लखनऊ आए विद्युत जामवाल ने दैनिक जागरण से साझा किए अपने अनुभव।
लखनऊ, जेएनएन। कमांडो सीरीज, फोर्स और जंगली जैसी फिल्मों में अपने जबरदस्त एक्शन से दर्शकों के दिलों पर छा जाने वाले विद्युत जामवाल इन दिनों शहर में हैं। यहां वे फिल्म खुदा हाफिज की शूटिंग कर रहे हैं। हजरतगंज और रूमी गेट के पास फिल्म के सीन शूट करने वाले विद्युत को भले ही शहर घूमने का ज्यादा मौका न मिला हो, पर लखनऊ से उनकी वाबस्तगी खास है। मार्शल आर्ट से इश्क करने वाले इस अभिनेता की ब्रूस ली की बायोपिक करने की भी तमन्ना है। दैनिक जागरण ने जब उनसे बात की तो फिल्म, फिटनेस सहित तमाम मुद्दों पर अपने तजुर्बे साझा किए। यश दीक्षित की रिपोर्ट -
कैंट में रहता है मेरा दोस्त
मैं लखनऊ आने के लिए बहुत उत्साहित था। पहले भी एक बार आ चुका हूं। यहां कैंट में मेरे स्कूल का दोस्त रहता है। मैं उससे मिलने भी गया था। वहां उसने मुझे अपने दोस्तों से मिलाया। मुझे लखनऊ में ज्यादा घूमने का समय नहीं मिल पाया है। शूटिंग के दौरान ही मैं यहां बस कुछ जगह देख पाया हूं।
जब मां ने की थी तारीफ
जब मैं सेट पर होता हूं तो मेरी मां आज भी फोन करके मेरा हालचाल पूछती हैं। जब उन्होंने मेरी फिल्म कमांडो 3 देखी थीं तो थिएटर से बाहर निकलते ही मुझसे फोन करके कहा कि बेटा तुमने बहुत अच्छा काम किया है। अब तुझे एक्शन के अलावा कुछ और कोशिश करना चाहिए। अगर मुझे मौका मिलता है तो मैं ब्रूस ली की बायोपिक करना चाहूंगा।
स्ट्रगल नाम की कोई चीज नहीं होती
मेरे हिसाब से स्ट्रगल नाम की कोई चीज नहीं होती। यह सब लर्निंग होती है। मैं कुछ समय पहले एक संस्थान में मोटिवेशनल स्पीच देने गया था। वहां के छात्र अपनी पढ़ाई को ही स्ट्रगल कह रहे थे। मैं कहता हूं कि यह स्ट्रगल नहीं, बल्कि कठिन परिश्रम करने का समय है। मैं एक फौजी का बेटा हूं। मैंने भी दो बार एनडीए का एग्जाम दिया है, लेकिन मेरा चयन नहीं हुआ।
वर्दी की कद्र है
विद्युत ने कहा, मैं वर्दी की कद्र करता हूं। अगर कोई भी जवान मुझसे फोटो के लिए बोलता है तो मैं उसे कभी भी मना नहीं करता। 26 जनवरी को पंजाब में मैंने एक कार्यक्रम में मार्शल आट्र्स के जरिये ङ्क्षहदुस्तान की कहानी को दर्शाया था। उस वक्त मैं बहुत छोटा था। मैैं देश और अपने जवानों का बहुत सम्मान करता हूं।
लगे रहो तो मिल जाती है मंजिल
जब मेरे पास काम नहीं था तो मैं सारा दिन मार्शल आट्र्स किया करता था। नई चीजें सीखने की कोशिश करता था और अभिनय की क्लास लेता था। मैंने साउथ की फिल्में की हैं, क्योंकि मैैं मलयालम और वहां की एक-दो भाषा जानता हूं। इस वजह से वहां काम करने में ज्यादा दिक्कतें नहीं आईं। मैंने बहुत छोटे-छोटे रोल किए हैं। अगर आप करते जाते हो तो आप सही जगह पहुंच जाते हो।
फिटनेस के लिए मेहनत जरूरी
मैं खुद को फिट रखने के लिए बहुत मेहनत करता हूं। अगर आपने फैसला किया है कि पांच किलो वजन कम करना है तो फिर तरीके मत पूछो, बस कोशिश में लग जाओ। जैसे मैंने तय कर लिया कि मैं दो किलोमीटर वॉक करूंगा तो मैं उसके लिए समय निकालूंगा। मैं जो सोच लेता हूं उसे पूरा करने की कोशिश में लग जाता हूं। अगर आप कुछ पाना चाहते हैं तो आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। मैं तीन साल की उम्र से ही मार्शल आट्र्स सीख रहा हूं। साथ ही मानव संरचना की पढ़ाई भी की है।