Move to Jagran APP

UP By-Election 2020: मल्हनी सीट पर मिली मात का भाजपा को मलाल, नतीजों की सीटवार होगी समीक्षा

UP By-Election 2020 उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में से छह पर जीत मिलने से भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता भले ही संतुष्ट हो परंतु नेतृत्व जौनपुर जिले के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में 44628 मतों से मिली मात को लेकर चिंतित है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 06:58 AM (IST)
UP By-Election 2020: मल्हनी सीट पर मिली मात का भाजपा को मलाल, नतीजों की सीटवार होगी समीक्षा
यूपी में विधानसभा उपचुनाव के नतीजों की सीटवार समीक्षा बीजेपी के शीर्ष स्तर पर की जाएगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में से छह पर जीत मिलने से भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता भले ही संतुष्ट हो परंतु नेतृत्व जौनपुर जिले के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में 44,628 मतों से मिली मात को लेकर चिंतित है। इतना ही नहीं देवरिया और बुलंदशहर मे जीत का अंतर कम रह जाने पर भी विचार किया जाएगा। नतीजों की सीटवार समीक्षा शीर्ष स्तर पर की जाएगी और चुनाव अभियान में सक्रिय नहींं रहने वालों को चिन्हित भी किया जाएगा। 

loksabha election banner

भारतीय जनता पार्टी संगठन के उन सुराखों को भी तलाशा जाएगा जिनका उपचार समय रहते नहीं करने से वर्ष 2022 के आम चुनाव में नुकसान की आशंका हो। वर्ष 2017 के बाद मल्हनी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन में सुधार हुआ, लेकिन विजयी समाजवादी पार्टी के अलावा निर्दल उम्मीदवार से भी पिछड़ जाने को नेतृत्व गंभीरता से लेकर रहा है। सूत्रों का कहना है कि मल्हनी सीट को लंबे समय तक उपेक्षित व सहयोगी दलों के भरोसे छोड़ रखने का नुकसान भाजपा को भुगतना पड़ रहा है।

मल्हनी में पार्टी के माहौल को सुधारने की पहल वर्ष 2017 से आरंभ की गयी और अपने कार्यकर्ता को ही चुनाव में उतारने का निर्णय लिया। इस उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उपविजेता रहे धनंजय सिंह को सहयोगी निषाद पार्टी से लड़ाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। नेतृत्व का मानना है कि इस बार हार-जीत से बड़ा सवाल आम कार्यकर्ता को मौका देना था और इसमें कामयाबी भी मिली।

दलितों व अन्य पिछड़ों पर फोकस रहेगा : छह सीटों पर जीत का अंतर संतोषजनक रहा परंतु देवरिया व बुलंदशहर में यह फैसला और ज्यादा होने की उम्मीद थी। देवरिया में अंतर कम होने का दोष पूर्व विधायक स्व. जन्मेजय सिंह के पुत्र द्वारा बागी होकर निर्दल चुनाव लड़ने को दिया जा सकता है। बुलंदशहर नगर में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा होता तो स्थिति और सुखद होती। सूत्रों कहना है कि बुलंदशहर की जीत में आजाद समाज पार्टी और औवेसी की एआईएमआईएम द्वारा मुस्लिम मतों को विभाजित करने का भी बड़ा योगदान है। भाजपा के कोर वोटबैंक में मतदान के दिन उदासीनता को शुभ नहीं माना जा सकता। नेतृत्व का मानना है मिशन 2022 सफल बनाने को दलितों व अन्य पिछड़ों पर फोकस जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.