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Kisan महापंचायत में आए लोगों के पक्ष में BJP सांसद वरुण गांधी, बोले- यह सभी अपने, इनका दर्द समझने की जरूरत

BJP MP Varun Gandhi React on Kisan Panchayat भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने बड़ा बयान दिया है। पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इन सभी के दर्द को समझने की बात कही है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 03:03 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 05:30 PM (IST)
Kisan महापंचायत में आए लोगों के पक्ष में BJP सांसद वरुण गांधी, बोले- यह सभी अपने, इनका दर्द समझने की जरूरत
पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी

लखनऊ, जेएनएन। मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने बड़ा बयान दिया है। पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इन सभी के दर्द को समझने की बात कही है।

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मुजफ्फरनगर में कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा की आज महापंचायत है। इसमें उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उत्तराखंड के साथ अन्य राज्यों से भी किसान नेता एकत्र हैं। महापंचायत के बीच भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन करने वाले हमारे अपने हैं, हमें तो उनके बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से जुडऩे की शुरुआत करने की जरूरत है। हम तो उनके दर्द, उनके दृष्टिकोण को समझें और उनके मामले हल करने के लिए उनके साथ काम करें।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने किसानों के मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा है। इसको लेकर उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें काफी भीड़ दिखाई दे रही है। उन्होंने लिखा है कि हमें किसानों का दर्द समझने की जरूरत है। आज मुजफ्फरनगर में बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन में जुटे हैं। वह सब भी हमारे अपने ही खून हैं। उनकी मांग को लेकर हमें उनके साथ दोबारा सम्मानजनक तरीके से बात करनी चाहिए। हम उनके दर्द और उनके नजरिए को समझें और जमीन तक पहुंचने के लिए उनके साथ काम करें तो मामला हल होगा।

गौरतलब है कि 2020 में नरेन्द मोदी सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे। इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान बीते वर्ष 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर पर डटे हुए हैं। इसको लेकर किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। 

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