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बीजेपी MLA दल बहादुर कोरी के सीने में उठा दर्द, लखनऊ के लॉरी अस्पताल में भर्ती Lucknow News

सलोन से बीजेपी विधायक हैं दल बहादुर कोरी। हालत बिगडऩे पर जिला अस्पताल से लखनऊ के लॉरी रेफर।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 11:18 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 11:18 AM (IST)
बीजेपी MLA दल बहादुर कोरी के सीने में उठा दर्द, लखनऊ के लॉरी अस्पताल में भर्ती Lucknow News
बीजेपी MLA दल बहादुर कोरी के सीने में उठा दर्द, लखनऊ के लॉरी अस्पताल में भर्ती Lucknow News

रायबरेली, जेएनएन। सलोन विधान सभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक दल बहादुर कोरी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। गंभीर हालत में उन्हें जिला अस्पताल लाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ के लॉरी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि सुबह विधायक को सीने की दर्द की शिकायत पर लाया गया था। उनकी एंजियोप्लास्टी की जा चुकी है। अभी आइसीयू में भर्ती हैं। हालत में पहले से सुधार है। 

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बताया जा रहा है कि विधायक लंबे समय से दिल की बीमरी से परेशान चल रहे थे। बीती रात उन्हें अचानक हार्ट अटैक आने पर आनन-फानन में घरवाले उन्हें लेकर जिला अस्पताल लेकर भागे। लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें लखनऊ को रेफर कर दिया गया। 

5 साल पहले भी उठा था दिल में दर्द 

बता दें, 5 साल पहले भी विधायक दल बहादुर कोरी को दिल का दौरा पड़ा था। तब एंजियोग्राफी हुई थी। दो साल पहले उन्होंने दवा खानी छोड़ दी थी और बीती रात उन्हें अटैक पड़ा। 

कौन है विधायक दल बहादुर कोरी?

डीह विकासखंड के पदनमपुर बिजौली गांव निवासी दसवीं पास दल बहादुर कोरी (62) मौजूदा समय में सलोन विधानसभा से विधायक है। 1984 में इन्होंने कानपुर में भाजपा की सदस्यता ली। फिर 1989 में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे। उनकी कर्मठता देख पार्टी ने 1991 में सलोन से टिकट दिया गया। नामांकन करने जाते समय सड़क दुर्घटना में इनका पैर टूट गया था। उस चुनाव में कांग्रेस के शिव बालक पासी ने दल बहादुर को शिकस्त दे दी थी। 1993 में दोबारा विधानसभा चुनाव हुआ और दल बहादुर ने शिव बालक को शिकस्त दी और पहली बार भाजपा से विधायक बने। तीसरी बार 1996 में विधानसभा चुनाव हुआ और दल बहादुर भाजपा के टिकट से दोबारा जीते। 2002 में समाज कल्याण राज्य मंत्री बनाए गए। इसी वर्ष चुनाव हुआ और उन्होंने सपा की आशा किशोर को हराकर जीत दर्ज की। 2007 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया। दल बहादुर ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली मगर, वहां भी टिकट नहीं मिला। जिसके बाद इन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। 2012 में दोबारा ये भाजपा में शामिल हो गए। मगर, इस बार विधानसभा चुनाव में सपा की आशा किशोर से ये हार गए। 2017 में इनको भाजपा से फिर टिकट मिला और ये जीत गए। 


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