उप चुनाव के लिए जिताऊ चेहरों की तलाश में भाजपा, समर्पित कार्यकर्ताओं को मिलेगी तरजीह
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल समेत कोर ग्रुप ने कल रात उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की।
लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी की निगाह विधानसभा उप चुनाव पर है। भाजपा ने 12 सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है। शीर्ष नेतृत्व ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि नवनिर्वाचित सांसदों के पुत्र-पुत्रियों को मैदान में लाने की बजाय पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को ही मौका दिया जाए। इसके लिए जिताऊ चेहरों की तलाश शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल समेत कोर ग्रुप ने कल रात मुख्यमंत्री के सरकारी आवास, पांच कालिदास मार्ग पर उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की। इसके अलावा चुनाव की तैयारी, सदस्यता अभियान, विभागों का पुनर्गठन, मंत्रिमंडल विस्तार और संभावित कार्यसमिति पर भी चर्चा हुई। जिन 12 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें दस सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। इनमें से रामपुर व अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट भाजपा नहीं जीत सकी थी।
विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने सहयोगी समेत इन 12 सीटों पर चार अनुसूचित जाति, तीन पिछड़े, दो ब्राह्मण, दो क्षत्रिय और एक कायस्थ पर दांव लगाया था। रामपुर में आजम खां के खिलाफ शिवबहादुर सक्सेना और जलालपुर में बसपा के रीतेश पांडेय के खिलाफ राजेश सिंह चुनाव मैदान में उतरे लेकिन हार गये थे। भाजपा इन दोनों सीटों को भी हासिल करने के लिए जी जान से जुटेगी।
उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश मंत्री देवेंद्र चौधरी को रामपुर और कानून मंत्री बृजेश पाठक के साथ ही प्रदेश मंत्री संतोष सिंह को जलालपुर (अंबेडकरनगर) की जिम्मेदारी दी गई है। संकेत यही हैं कि भाजपा एक-दो सीटों को छोड़कर 2017 का ही जातीय फार्मूला कायम रखेगी।
विधानसभा के साथ लोकसभा के उप चुनावों में भाजपा के लिए अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। इसी बीच आगरा उत्तरी और निघासन विधानसभा उप चुनाव में पार्टी ने मजबूत रणनीति बनाकर विजय पताका फहराई। इसके पहले सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र भी पार्टी को उप चुनाव मे विजय मिली। इसके अलावा गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उप चुनाव की पराजय ने पार्टी को जबर्दस्त झटका दिया था।
कोर ग्रुप की बैठक में यह भी तय किया गया कि तैयारी और उम्मीदवार का चयन ऐसा हो कि एक भी सीट हाथ से न फिसले।
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