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भाजपा विधानसभा उप चुनाव की तैयारी में जुटी, उप चुनाव में हार का मिथक तोड़ना लक्ष्य

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश में 11 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 02:36 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 02:55 PM (IST)
भाजपा विधानसभा उप चुनाव की तैयारी में जुटी, उप चुनाव में हार का मिथक तोड़ना लक्ष्य

लखनऊ, जेएनएन। दशहरा तथा दीपावली के उमंग के बीच भारतीय जनता पार्टी का भी बड़ी परीक्षा है। 21 अक्टूबर को 11 विधानसभा उप चुनाव को लेकर भाजपा काफी जोरदार तैयारी कर रही है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस के अलग-अलग मैदान में होने के बाद भी भाजपा उप चुनाव में हार का मिथक तोड़ने की खातिर कोई कसर छोड़ को तैयार नहीं है।

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लोकसभा चुनाव 2019 के बाद हमीरपुर विधानसभा उप चुनाव की जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश में 11 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पिछले उपचुनावों का अच्छा अनुभव न रहने के कारण भाजपा इस बार अपनी हार का मिथक तोड़ना चाहती है। सीएम योगी आदित्यनाथ बीते महीने ही सभी क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। उपचुनाव को लेकर भाजपा संगठन और सरकार ने मिलकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव की घोषणा के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव और संगठन महामंत्री सुनील बंसल चुनाव वाले क्षेत्रों का दौरा कर कई कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं।

भाजपा इस बार दस सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि प्रतापगढ़ सीट सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में दी गई है। इन 10 सीटों में से 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा और सपा ने सिर्फ दो सीटें जलालपुर और रामपुर जीती थीं। प्रतापगढ़ सीट पहले भी अपना दल के पास थी। अबकी भाजपा सभी पर नजर गड़ाए हुए है। भाजपा की कोशिश है कि इस बार के चुनाव में सभी सीटों पर जीत दर्ज हो, ताकि अभी तक हुए उपचुनावों में हुई हार का मिथक टूट सके।

दूसरे चरण में जहां उपचुनाव होने हैं, वहां पर भाजपा का जनसभा, बूथ सम्मेलन, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित वर्ग, महिला, अल्पसंख्यक और किसान सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। हर क्षेत्र में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव या प्रदेश सरकार के किसी मंत्री का कार्यक्रम हो रहा है। प्रभारी मंत्री भी अपने क्षेत्रों में डेरा जमाए हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पिछले दो माह के दौरान जिन क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, वहां के मंडलों का दौरा कर विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर चुके हैं। अब आगे वह चुनाव प्रचार की रैलियों को संबोधित करेंगे। 

सीएम योगी आदित्यनाथ की 15 से सभाएं

प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने बताया कि बैठक में विधानसभा उपचुनाव की की कार्ययोजना की समीक्षा हुई और रणनीति पर चर्चा हुई। 15 अक्टूबर को योगी आदित्यनाथ कानपुर के गोविंदनगर, चित्रकूट के मानिकपुर, लखनऊ कैंट और प्रतापगढ़ जिले के प्रतापगढ़ सदर विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे। मुख्यमंत्री 16 अक्टूबर को बाराबंकी के जैदपुर, अंबेडकरनगर के जलालपुर, बहराइच के बलहा और मऊ के घोसी विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे। वह 18 अक्टूबर को सहारनपुर जिला की गंगोह, रामपुर, अलीगढ़ जिले के इग्लास विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे।

11 सीट पर होने वाला यह उपचुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर यह उपचुनाव विपक्ष जीत जाता है तो सत्ताधारियों का मनोबल कमजोर होगा। इसके बाद भाजपा विधानसभा चुनाव 2022 की भी तैयारी को गति देगी। इस बार संगठन और सरकार का समन्वय बनाकर इसमें पूरी ताकत झोंकी गई है। हमीरपुर के परिणाम ने भाजपा को सर्तक कर दिया है। वहां का वोट प्रतिशत बहुत ज्यादा घटा है। वहां पर जीत का अंतर पहले से बहुत कम हुआ है। उपचुनाव में मुख्यमंत्री की साख का भी सवाल है। अबकी पूरा दारोमदार उन्हीं पर है।

सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्तता के कारण ज्यादा समय अपने प्रदेश के उपचुनाव में नहीं दे पाएंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही पूरी गाड़ी संभालनी पड़ेगी। जिन सीटों पर सपा-बसपा जीती थी, वहां उन्हें हराकर अपने जीत को बरकार रखने की चुनौती भी है। भाजपा उपचुनाव में हार के मिथक को तोडऩा चाहती है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है, वहां मुख्यमंत्री योगी की जनसभाएं हुई हैं और होंगी। वहीं विपक्ष की ओर से कोई बड़ा चेहरा अपने प्रत्याशी के प्रचार में नहीं उतरा है और न ही उसका कोई कार्यक्रम प्रस्तावित है। भाजपा इन उपचुनावों में जीत हासिल कर यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि उसकी नीतियों पर जनता का विश्वास कायम है। विपक्ष के लिए कोई जमीन नहीं है। 


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