Bike Boat Scam: नोएडा के बाइक बोट घोटाले का आरोपित नोबेल कोऑपरेटिव बैंक का CEO विजय कुमार शर्मा गिरफ्तार
Bike Boat Scam आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा के डीजी आरपी सिंह ने बताया कि विजय कुमार शर्मा ने बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी के साथ मिलकर लोगों को धोखा दिया। इस घोटाले में ढाई लाख लोगों को फर्जी चेक दिए गए।
लखनऊ, जेएनएन। गौतमबुद्धनगर में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर बड़ी रकम डकारने वाले गैंग के एक और आरोपित को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया है। करीब 70 करोड़ रुपए के इस घोटाले में आज आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को मेरठ के नोबल कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ विजय कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा के डीजी आरपी सिंह ने बताया कि विजय कुमार शर्मा ने बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी के साथ मिलकर लोगों को धोखा दिया। इस घोटाले में ढाई लाख लोगों को फर्जी चेक दिए गए। संजय भाटी ने लोगों से बैंक में 70 करोड़ से ज्यादा रुपये की धनराशि जमा कराई थी। बैंक के सीईओ विजय कुमार ने मिलीभगत की रकम को प्रॉपर्टी के काम में ग्रेटर नोएडा में निवेश किया। इसके बाद बैंक का लोगों को दिया गया फर्जी चेक खातों में लगाया गया, लेकिन वह बाउंस हो गया। बड़ी संख्या में जब लोगों के चेक बाउंस होने लगे, तब बवाल बढ़ा और ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया।
नोबेल बैंक के निदेशक विजय कुमार शर्मा को करीब 3500 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम ने नोएडा में उसके आवास से गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआइपीएल) के निदेशक संजय भाटी व आइटीवी के डायरेक्टर बिजेंद्र हुड्डा के साथ मिलकर बैैंक निदेशक ने षड्यंत्र रचा था।
ईओडब्ल्यू के एएसपी राम सुरेश यादव ने बताया कि बाइक बोट घोटाले में नोबेल बैंक के निदेशक विजय शर्मा की भी अहम भूमिका सामने आ रही है। विजय शर्मा ने जीआइपीएल के डायरेक्टर संजय भाटी और आइटीवी के निदेशक बिजेंद्र हुड्डा के साथ मिलकर बैंक से कंपनी की गाडिय़ों पर फर्जी तरीके से लोन करा दिया। इसके साथ ही बिना चेक हस्ताक्षर किए ही नगद भुगतान कर दिया। उससे भी अहम बात है कि निवेशकों को बैंक के फर्जी चेक छपवा कर बांट दिए गए। ईओडब्ल्यू ने विजय शर्मा को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।
रकम को डबल करने का झांसा देकर लोगों से 3500 करोड़ रुपये की ठगी का खेल 2018 में शुरू हुआ था। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जमा पूंजी बाइक बोट कंपनी में लगा दी। गॢवत इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी की तरफ से बाइक बोट स्कीम लॉन्च की गई। 19 आरोपियों ने कंपनी रजिस्टर्ड कर बाइक बोट घोटाला किया। अभी तक इस मामले में दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद समेत अलग-अलग 57 से अधिक केस दर्ज हो चुके हैं। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के मुताबिक, बाइक बोट घोटाले का मुख्य आरोपी संजय भाटी है। वह बहुजन समाज पार्टी का नेता भी रहा है। बीएसपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में संजय भाटी को अपना प्रत्याशी बनाया था। बाइक बोट घोटाले की शिकायत सामने आने पर उसका टिकट काट दिया गया। ऐप बेस्ड टैक्सियों की तर्ज पर बाइक टैक्सी शुरू की गई। बाइक टैक्सी के नाम पर लोगों से रकम लगवाई गई। मुख्य आरोपी संजय भाटी ने अपने पैसों से एक भी बाइक नहीं खरीदी। जल्द ही 50 से अधिक शहरों में बाइक टैक्सी चलने लगी। पुलिस के मुताबिक, कोर्ट में सरेंडर कर चुके संजय भाटी ने दो लाख के करीब लोगों को ठगा है।
सीबीआई जांच की हो चुकी है सिफारिश
बहुचर्चित बाइक बोट मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। सीबीआई जांच कराने की सिफारिश भी की जा चुकी है। 5 इंस्पेक्टर इस मामले की विवेचना कर रहे हैं। पुलिस अभी तक 200 से अधिक बाइक बरामद कर चुकी है।
38 बनाए गए हैं आरोपी
बाइक बोट घोटाले में पुलिस अपनी केस डायरी में 38 आरोपियों के नाम शामिल कर चुकी हैं। मुख्य आरोपी संजय भाटी, उसकी पत्नी दीप्ति बहल, एमडी करण पाल, निजी सहायिका रीता चौधरी, निदेशक ललित कुमार और बीएन तिवारी आदि शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, संजय भाटी की गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, कानपुर, इंदौर आदि शहरों में 19 संपत्तियां अटैच कर चुकी है। इसके अलावा सात अन्य लोगों के नाम खरीदी गई प्रॉपर्टी भी अटैच की जा चुकी है। संजय भाटी के खातों में जमा 2.28 करोड़ रुपये भी सीज किए जा चुके हैं।
कौन है विजय शर्मा
नोएडा में रहने वाला विजय शर्मा मूलरूप से हाथरस के चंद्रपुरी मोहल्ले में रहता है। 2003 ने विजय ने नोबेल बैंक की स्थापना कर चार जनपदों में आठ ब्रांच खोली। वर्तमान में विजय बैंक का सीईओ है। उसका एक बेटा गोविंद भारद्वाज लीगल एडवाइजर है, दूसरा बेटा राघव भारद्वाज डिप्टी सीईओ है। 2018 में बिजेंद्र सिंह हुड्डा की आइटीवी और संजय भाटी ने अपनी जीआइपीएल कंपनी के सभी खाते बिना केवाईसी की शर्ताें को पूरा कर खुलवाए। बैंक से कैश की मशीन तक कंपनी को दी गई। चेक पर बिना हस्ताक्षर किए ही विभिन्न पार्टियों को बैंक से भुगतान कर दिया। संजय और बिजेंद्र की कंपनी जुडऩे की वजह से बैंक में काम ज्यादा आने लगा। जीआइपीएल कंपनी से 60-70 करोड़ रुपये नगद आए थे, जिन्हें विजय ने संजय भाटी से साठ-गांठ कर अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी व्हाइट हाउस ग्रेटर नोएडा में लगा दिया। सात करोड़ रुपये जीआइपीएल और आइटीवी के खातों से कंस्ट्रक्शन कंपनी के खातों में आया। संजय भाटी ने दो निदेशक श्यान आरिफ और विवेक सिंह को जीआइपीएल की धनराशि निवेश करने के लिए बैंक में बैठा दिया। इनकी बैंक में नियुक्ति तक नहीं है। विजय ने बिजेंद्र हुड्डा की कंपनी पीटीपीएल, आइटीवी और जीआइपीएल के नाम पर सभी गाडिय़ों के लिए 2.10 करोड़ का ऋण दिला दिया गया। इसी बीच जीआइपीएल कंपनी को निवेशकों ने रकम देना बंद कर दिया। इसके साथ ही विवाद बढ़ गया। इसी बीच विजय ने बैंक के गलत चेक छपवाकर संजय भाटी और बिजेंद्र हुड्डा के कहने पर निवेशकों को बांट कर गुमराह किया। इस दौरान चेक खातों में लगाने के बाद भी निवेशकों को रकम नहीं मिल पाई।
यह है बाइक बोट घोटाला
संजय भाटी ने 2010 में कंपनी की शुरुआत की और 2018 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की थी। स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई। इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62200 रुपये का निवेश कराया गया। उसके एवज में एक वर्ष तक 9765 रुपये देने का वादा किया गया। निवेश करने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हेंं पैसे नहीं दिए गए। बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू किए। दादरी कोतवाली एरिया के कोट गांव में बाइक बोट का मुख्य ऑफिस बनाया गया। बाइक बोट घोटाला सामने आने के बाद निवेशकों को साधने के लिए लाखों फर्जी चेक तक दिए गए।