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UP Board Exam 2021: स्टूडेंट्स को ही नहीं, इस बार कालेजों को भी बड़ी राहत; नहीं लगेगा शून्य रिजल्ट का कलंक

UP Board Exam 2021 यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2021 में पंजीकृत सभी परीक्षार्थियों की प्रोन्नति का लाभ सिर्फ छात्र-छात्राओं को नहीं मिलेगा बल्कि 27 हजार से अधिक कालेजों को भी बड़ी राहत मिली है। इस बार कालेजों पर शून्य रिजल्ट का कलंक नहीं लगेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 01:34 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 01:38 PM (IST)
UP Board Exam 2021: स्टूडेंट्स को ही नहीं, इस बार कालेजों को भी बड़ी राहत; नहीं लगेगा शून्य रिजल्ट का कलंक
यूपी बोर्ड के कालेजों पर इस बार शून्य रिजल्ट का कलंक नहीं लगेगा।

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2021 में पंजीकृत सभी परीक्षार्थियों की प्रोन्नति का लाभ सिर्फ छात्र-छात्राओं को नहीं मिलेगा, बल्कि 27 हजार से अधिक कालेजों को भी बड़ी राहत मिली है। हर साल 100 से अधिक कालेजों का रिजल्ट शून्य रहता था, जिससे शैक्षिक संस्थानों की किरकिरी होने के साथ ही माध्यमिक स्कूलों की पढ़ाई पर सवाल उठते रहे हैं। वहीं, राजकीय, वित्तविहीन व अशासकीय कालेजों का रिजल्ट प्रतिशत से आकलन होता था। 20 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले कालेज नए छात्र-छात्राओं को प्रवेश के लिए आकर्षित नहीं कर पाते थे।

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) हर साल हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों का परिणाम देने के साथ ही अन्य कई तरह के परिणाम जारी करता रहा है। उसका आधार दोनों परीक्षाओं का रिजल्ट प्रतिशत ही होता था। यह क्रम जिले से शुरू होकर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों तक चलता रहा है। 2019 की हाईस्कूल परीक्षा में 50 राजकीय कालेज ऐसे थे, जिनका रिजल्ट 20 प्रतिशत से कम था, अशासकीय के पांच व वित्तविहीन कालेजों की संख्या 84 रही।

वहीं, इंटरमीडिएट में 15 राजकीय, 58 अशासकीय व 176 वित्तविहीन कालेजों का परिणाम 20 फीसद से कम रहा। 2020 की हाईस्कूल में 43 राजकीय, पांच अशासकीय व 66 वित्तविहीन तो इंटर में सात शासकीय, 18 अशासकीय व 111 वित्तविहीन कालेजों के 20 प्रतिशत परीक्षार्थी भी उत्तीर्ण नहीं हो सके थे। एक तथ्य यह भी है कि 2020 की परीक्षा में 2601 कालेजों का परिणाम शत-प्रतिशत भी रहा है। इसी तरह से जेलों में बंद कैदियों व बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में भी आगे निकलने की होड़ रहती थी। इस बार प्रोन्नति होने से उस पर पर्दा पड़ गया है।

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मातृभाषा हिंदी में ही फेल होते थे : हाईस्कूल व इंटर जैसी अहम परीक्षा में मातृभाषा हिंदी में फेल होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या लाखों में रही है। अनिवार्य विषय में अनुत्तीर्ण होने पर सभी फेल हो जाते थे, साथ ही पठन-पाठन पर हर कोई सवाल करता था। ज्ञात हो कि 2018 में दोनों परीक्षाओं में 11 लाख से अधिक, 2019 में 10 लाख से अधिक और 2020 में आठ लाख से अधिक परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण हुए थे।

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इन कालेजों का रिजल्ट सिफर

  • वर्ष : कालेज
  • 2018 : 150
  • 2019 : 165
  • 2020 : 134

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