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यूपी में आक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहित करने के लिए बनी नीति, कैबिनेट बाई सर्कुलेशन प्रस्ताव को मिली स्वीकृति

वर्तमान आक्सीजन उत्पादन क्षमता को नाकाफी समझते हुए प्रदेश सरकार ने अब उद्यमियों को आक्सीजन उत्पादन के प्रति प्रोत्साहन करने की ओर कदम बढ़ाया है। इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश आक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन योजना-2021 बनाई है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 07:56 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:03 AM (IST)
यूपी में आक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहित करने के लिए बनी नीति, कैबिनेट बाई सर्कुलेशन प्रस्ताव को मिली स्वीकृति
यूपी में कैबिनेट बाई सर्कुलेशन दी गई प्रस्ताव को स्वीकृति, औद्योगिक इकाइयों को मिलेंगी सहूलियत व वित्तीय छूट।

 लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में तमाम मुश्किलों के साथ आक्सीजन की आपूर्ति का संकट खड़ा हो गया। विभिन्न प्रयासों से सरकार ने इसे लगातार बढ़ाने का प्रयास किया। इसके बावजूद वर्तमान आक्सीजन उत्पादन क्षमता को नाकाफी समझते हुए प्रदेश सरकार ने अब उद्यमियों को आक्सीजन उत्पादन के प्रति प्रोत्साहन करने की ओर कदम बढ़ाया है। इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश आक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन योजना-2021 बनाई है, जिसे कैबिनेट बाई सर्कुलेशन स्वीकृति दी गई है।

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प्रदेश में आक्सीजन के उत्पादन में वृद्धि करने और कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य संकट के निदान के लिए यह नीति बनाई गई है। सरकार का मानना है कि अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग की इस नीति से आक्सीजन उत्पादन में प्रदेश आत्मनिर्भर बनेगा और रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि लिक्विड आक्सीजन, जियोलाइट, आक्सीजन सिलेंडर, आक्सीजन कंसंट्रेटर, सहायक उपकरण, क्रायोजैनिक टैंकर, आइएसओ टैंकर, आक्सीजन भंडारण, परिवहन उपकरण का निर्माण करने वाली औद्योगिक इकाइयों को इस नीति के तहत प्रोत्साहन मिलेगा। इसमें शर्त है कि इकाई ने पचास करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया हो। नीति अधिसूचित होने के तीस माह तक इसकी अवधि होगी। विस्तारीकण या विविधीकरण का मतलब मौजूदा औद्योगिक उपक्रम द्वारा नए पूंजी निवेश से अपने सकल ब्लॉक में 25 फीसद वृद्धि से होगा। भूमि, भवन, संयंत्र, मशीनरी, सुविधाएं, टूल्स और उपकरण पूंजी निवेश के घटक होंगे।

विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रोत्साहन की पात्र वही इकाइयां होंगी, जिन्होंने नीति प्रभावी होने की अवधि में निवेश किया हो। यदि नीति से पहले निवेश शुरू कर दिया गया हो तो न्यूनतम 80 फीसद निवेश नीति की अवधि के दौरान होना चाहिए।

बुंदेलखंड-पूर्वांचल में मिलेगा ज्यादा पूंजीगत उपादान: इकाई में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद तीन समान वार्षिक किश्तों में पूंजीगत उपादान दिया जाएगा। नीति में व्यवस्था की गई है कि बुंदेलखंड और पूर्वांचल की इकाइयों को 25 फीसद, जबकि मध्यांचल में 20 फीसद और पश्चिमांचल में 15 फीसद सब्सिडी मिलेगी। इसी तरह स्टांप ड्यूटी में बुंदेलखंड और पूर्वांचल में सौ फीसद, मध्यांचल में 75 फीसद और पश्चिमांचल में 50 फीसद की छूट मिलेगी।

उच्च स्तरीय समिति करेगी संस्तुति: नीति के क्रियान्वयन के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो नोडल संस्था इनवेस्ट यूपी को प्राप्त आवेदन का मूल्यांकन कर संस्तुति करेगी। समिति के अध्यक्ष अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त होंगे। इसमें अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव एमएसएमई व निर्यात प्रोत्साहन, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वित्त विभााग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव न्याय विभाग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग सदस्य, जबकि सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग सदस्य सचिव व संयोजक होंगे।

कैबिनेट में जाएंगे सौ करोड़ से अधिक के प्रस्ताव:नीति के तहत सौ करोड़ रुपये तक के पूंजी निवेश प्रस्ताव औद्योगिक विकास मंत्री, जबकि इससे अधिक से प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।


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