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बाराबंकी में कृषि फॉर्म खींच रहे एग्री टूरिज़्म कॉरीडोर की तस्वीर, जान‍िए क्‍या-क्‍या है खास

पद्मश्री राम सरन वर्मा का कृषि फार्म किसानों के लिए किसी तीर्थ सरीखा ही है। प्रदेश ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों से किसान तकनीक संबंधी जानकारी के लिए इनके कृषि फार्म पर पहुंचते रहते हैं। ज्यादातर किसान पद्मश्री से मोबाइल पर बात करने के बाद ही आते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 07:30 AM (IST)
बाराबंकी में कृषि फॉर्म खींच रहे एग्री टूरिज़्म कॉरीडोर की तस्वीर, जान‍िए क्‍या-क्‍या है खास
तकनीकी और औद्यानिक खेती में नवाचार के लिए जाने जाते हैं जिले के प्रगतिशील किसान।

बाराबंकी, [जगदीप शुक्ल]। जिले की पहचान अब खेती की प्रयोगशाला के रूप में बनती जा रही है। केला, आलू, टमाटर, तरबूज, शिमला मिर्च ही नहीं यहां के किसान स्ट्राबेरी, ड्रैगन फ्रूट, एप्पल बेर, काला गेहूं और फूलों के खेती के लिए भी देश भर में ख्याति अर्जित कर रहे हैं। इतना ही नहीं श्री पद्धति से धान की खेती कर महिला किसान भी चर्चा में रही हैं। ख़ास बात है यह सभी किसान जिले के अलग-अलग क्षेत्र से हैं, जिनके यहां प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान तकनीक की जानकारी करने पहुंचते रहते हैं। इनके कृषि फॉर्म पर किसानों के भ्रमण को देखते हुए एग्री टूरिज़्म कॉरीडोर की तस्वीर उभरती है।

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इनके कृषि फॉर्म बने आकर्षण के केंद्र : हरख ब्लॉक के दौलतपुर के पद्मश्री रामसरन वर्मा का नाम सबसे पहले आता है। इनके अलावा तराई क्षेत्र सूरतगंज के दौलतपुर के अमरेंद्र सिंह-स्ट्राबेरी, देवा के मोहम्मदपुर के गया प्रसाद मौर्य-ड्रैगनफ्रूट, दफेदारपुरवा के मोइनुद्दीन-फूलों, हरख के लक्ष्मणपुर के कुलदीप पटेल-शिमला मिर्च, त्रिवेदीगंज के पूरेझाम तिवारी पुरवा के बृजेश त्रिपाठी-सब्जियों और सिद्धौर के अमसेरूवा के हरिशचंद्र सिंह-एप्पल बेर और चिया सीड की उन्नत खेती के लिए जाने जाते हैं। यहां किसान, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि खेती-किसानी की जानकारी लेने पहुंचते रहते हैं।

किसानों का तीर्थ है पद्मश्री का कृषि फॉर्म : पद्मश्री राम सरन वर्मा का कृषि फार्म किसानों के लिए किसी तीर्थ सरीखा ही है। प्रदेश ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों से किसान तकनीक संबंधी जानकारी के लिए इनके कृषि फार्म पर पहुंचते रहते हैं। ज्यादातर किसान पद्मश्री से मोबाइल पर बात करने के बाद ही आते हैं। बिना बात किए आने वाले किसान उनका कृषि फार्म देखकर लौट जाते हैं। इनका आलीशान आवास भी लोगों को आकर्षित करता है। रामसरन वर्मा बताते हैं कि प्रतिदिन तीस-चालीस किसान कृषि फार्म पर विजिट करते हैं। सीतापुर के अटरिया के रवींद्र अवस्थी बताते हैं कि जनवरी माह में उनके कृषि फार्म पर परिवार के साथ पहुंचा था। मैंने खेती से संबंधित जानकारी ली तो बच्चों को प्राकृतिक वातावरण खूब भाया।

एक दिन में लीजिए कृषि पर्यटन का आनंद : पयर्टक इन सभी कृषि फार्माें का भ्रमण एक ही दिन में कर सकते हैं। ज्यादातर कृषि फार्मों तक पहुंचने के लिए निजी साधनों का ही सहारा है। पद्मश्री रामसरन वर्मा के दौलतपुर स्थित कृषि फार्म की लखनऊ से दूरी करीब 47 किलोमीटर है। अयोध्या हाईवे पर दादरा तक बस सेवा है। इसके बाद तीन किलोमीटर तक निजी साधन से ही पहुंचा जा सकता है। सूरतगंज के दौलतपुर के अमरेंद्र प्रताप सिंह के प्रक्षेत्र की दूरी बाराबंकी से 45 किमी, हरख के लक्ष्मणपुर गांव के प्रगतिशील किसान कुलदीप सिंह पटेल के फार्म हाउस की दूरी 10 किमीटर, देवा के दफेदारपुरवा के मोइनुद्दीन के कृषि फार्म की दूरी 18 किमी, मोहम्मदपुर के गया प्रसाद मौर्य के कृषि फार्म की दूरी 20 किमी है। पूरे झाम तिवारी पुरवा मजरे बहुता के बृजेश त्रिपाठी के कृषि फार्म की दूरी जिला मुख्यालय से 56 किमी है। यहां लखनऊ से सुलतानपुर से सीधे भी पहुंचा जा सकता है। 


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