मृतक दिव्यांगों को ढूंढ़ेगा बैंक, बंद होंगी पेंशन
मृतक दिव्यांगों की तलाशकर बैंक उनकी पेंशन खत्म करेंगा साथ ही उनके स्थान पर नए पात्रों को पेंशन दी जाएगी।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी निवासी राम कुमार को दिव्यांगजन विभाग से पेंशन मिलती है। उनके सत्यापन के लिए विभाग के कर्मचारी गए तो पता चला कि वह अब मोहनलालगंज के कल्ली पश्चिम में रहते हैं। शहर के पते पर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले रामकुमार की तलाश नहीं हो पा रही है। अकेले रामकुमार ही नहीं, आशियाना के सत्येंद्र कुमार और भदरुख की राजेश्वरी देवी भी विभाग के अधिकारियों को ढूंढ़े नहीं मिल रही हैं।
ऐसे हजारों पेंशनर्स का सत्यापन करने में कर्मचारियों को पसीना आ रहा है। आजिज आए विभाग ने संबंधित बैंक को सत्यापन की जिम्मेदारी दी है। अब दिवंगत दिव्यांगों की तलाश कर उनकी पेंशन को बंद कर उनके स्थान पर नए पात्रों को पेंशन दी जाएगी। राजधानी में शहर क्षेत्र के नौ हजार दिव्यांगों को 500 रुपये प्रतिमाह के पेंशन दी जाती है। आठ हजार ग्रामीण क्षेत्र के पेंशनर हैं जिनका सत्यापन तो पूरा हो गया, लेकिन शहरी क्षेत्र के दिव्यांगों का सत्यापन पता परिवर्तन से नहीं हो पा रहा है।
जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी की ओर से बैंक के माध्यम से सत्यापन कराने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया था जिस पर सहमति व्यक्त की गई और बैंकों को जिम्मेदारी दे दी गई। अब बैंक में पेंशन लेने आने वाले दिव्यांगों की जांच की जाएगी। प्रदेश में नौ लाख दिव्यांगों को पेंशन दी जा रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी ?
दिव्यांगजन अधिकारी अमित कुमार राय का कहना है कि ग्रामीण में रहने वाले दिव्यांगों के सत्यापन के लिए तो कर्मचारी रहते हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र में कर्मचारियों की कमी रहती है। ऐसे में अब बैंक ही पेंशनरों और मृतक पेंशनरों की जांच कर रिपोर्ट देगा। इसी के आधार पर पेंशन का भुगतान होगा। 200 नए दिव्यांग पेंशन के लिए आवेदन कर चुके हैं।
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