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लखनऊ: नाम बदलकर प्‍लाट बेचने की जालसाजी में बैंक मैनेजर और कर्मचारी भी शामिल, हाजिर न होने पर होगी गिरफ्तारी

लखनऊ के हसनगंज के मदेहदगंज में स्थित प्लाट बिक्री के मामले में जालसाज सीता देवी और निहाल के साथ ही बैंक मैनेजर और बैंक के सर्वेयर भी बराबर के दोषी हैं। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 08:14 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 08:14 AM (IST)
लखनऊ: नाम बदलकर प्‍लाट बेचने की जालसाजी में बैंक मैनेजर और कर्मचारी भी शामिल, हाजिर न होने पर होगी गिरफ्तारी
लखनऊ में काफिया बानो बनकर सीता देवी के प्लाट बेचने का मामले में बैंक मैनेजर और कर्मचारी भी शामिल।

लखनऊ, जेएनएन। हसनगंज के मदेहदगंज में स्थित प्लाट बिक्री के मामले में जालसाज सीता देवी और निहाल के साथ ही बैंक मैनेजर और बैंक के सर्वेयर भी बराबर के दोषी हैं। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है। इस मामले जुड़े रिटायर्ड बैंक मैनेजर और छत्तीसगढ़ में तैनात मैनेजर के अलावा सर्वेयर टीम को भी पुलिस नोटिस भेजने की तैयारी कर रही है। नोटिस के बाद अगर वह जवाब देने के लिए हाजिर न हुए तो उनकी गिरफ्तारी की कार्रवाही की जाएगी। यह जानकारी इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा और मामले के विवेचक दारोगा विजय सिंह ने दी।

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प्लाट मदेहगंज में चौहद्दी दिखा दी फैजुल्लागंज की विवेचक विजय सिंह ने बताया कि चौक की यूनियन बैंक शाखा के तत्कालीन मैनेजर उबैद अहमद सिद्दीकी निवासी ठाकुरगंज और वर्तमान में छत्तीसगढ़ में तैनात मैनेजर शिवचरण चौधरी व सर्वेयर टीम ने जालसाजी में बराबर की दोषी है। उन्होंने बताया कि प्लाट मदेहगंज में है। पर बैंक की सर्वेयर टीम ने उसकी चौहद्दी फैजुल्लागंज दिखाई थी। उसके बाद मैनेजर उबैद और शिवचरण ने प्लाट के पेपरों पर अपने हस्ताक्षर करके एप्रूवल भी दिया था। दोनों मैनेजर भी प्लाट बिक्री की जालसाजी में मिले है। प्रथम दृष्टया पुलिस जांच में यह पाया गया है।

पांच हजार रुपये में निहाल ने सीता देवी को बना दिया था काफिया बानो

विवेचक ने बताया कि सीता देवी के पति की मौत हो चुकी है। उसे रुपयों की जरूरत थी। इस बीच उसकी मुलाकात निहाल अख्तर से हुई। निहाल ने उसे रुपयों का लालच दिया। उससे कहा कि उसकी पत्नी का नाम काफिया बानो है। पत्नी की मौत हो चुकी है। अगर सीता देवी काफिया बानो बनकर रजिस्ट्री में हस्ताक्षर कर दे तो प्लाट बिक्री का जो रुपया मिलेगा उसमें उसे भी हिस्सा देगा। सीता देवी राजी हो गईं तो निहाल ने उसका फर्जी मतदाता पहचानपत्र और डीएल काफिया बानो के नाम से बनाया। वही पेपर उसने रजिस्ट्री में लगाए थे। प्लाट की बिक्री होने के बाद निहाल ने सीता देवी के साथ भी धोखा किया उसे मात्र पांच हजार रुपये देकर टरका दिया।


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