बैंक ने नीलाम कर दी नगर निगम की जमीन, भू-माफिया से गठजोड़ का लगा आरोप
एसडीएम की रिपोर्ट के अनुसार नगर निगम की जमीन पर बैंक ने पहले लोन दिया और फिर लोन न अदा करने पर उसे बंधक कर नीलाम कर दिया। लोन भी दस करोड़ था। नीलामी के बाद जमीन पर कब्जे को लेकर हुए विवाद के बाद मामला सामने आ सका।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। सरोजनीनगर में दस करोड़ कीमत की जमीन को बेचने का घपला सामने आया है। बीती दो मार्च को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने जिस जमीन को लोन अदा न करने पर दस करोड़ में नीलाम किया था, वह नगर निगम की बताई जा रही है। इस मामले में भू-माफिया, सरकारी महकमे और बैंक अधिकारियों का गठजोड़ सामने आया है।
एसडीएम की रिपोर्ट के अनुसार नगर निगम की जमीन पर बैंक ने पहले लोन दिया और फिर लोन न अदा करने पर उसे बंधक कर नीलाम कर दिया। लोन भी दस करोड़ था। नीलामी के बाद जमीन पर कब्जे को लेकर हुए विवाद के बाद मामला सामने आ सका। करीब चार बीघा जमीन के इस घपले में बैंक अधिकारी भी जांच के घेरे में आ गए हैं। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी समेत अपर नगर आयुक्त को भेजी है।
एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक आरोप लगाया है कि बैंक के अधिकारियों ने मिलीभगत करके जमीन पर लोन दिया था और फिर लोन अदा न होने पर जमीन की नीलामी कर दी। सरोजनीनगर तहसील के लेखपाल सुशील कुमार शुक्ला और तहसीलदार सरोजनीनगर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए एसडीएम ने डीएम को पत्र भेजा। पत्र में कहा गया कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने खातेदार से सांठगांठ और दुरभि संधि कर अवैधानिक तरह से लोन दिया गया था। संगठित भूमि में से किस अंश भाग को बंधक (मार्गेज) किया गया, यह स्पष्ट नहीं है और ना यह जिस विक्रय विलेख पर लोन दिया गया है, उस पर बेची (नीलाम) गई भूमि की चौहद्दी भी अंकित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार जमीन पर कार्वों कंपनी का संचालन हो रहा है और उसका किराया भी बैंक वसूल रहा है, जबकि जमीन नगर निगम की है। भूमि पर बैंक ने लोन देने से पहले स्थानीय सर्वे और मार्गेज की गई संपत्ति का मानचित्र भी नहीं दिया गया था।
सरोजनीनगर के बिजनौर का राजस्व ग्राम बेहटवा है। खतौनी सन् 1428 से 1433 फसली खाता संख्या 0118 पर खसरा संख्या 196/3 रकबा 0.114 हेक्टेयर राजेंद्र पुत्र महावरी, तारादेवी पत्नी महावीर निवासी अनौरा के नाम व खाता संख्या 140 पर खसरा नंबर 196/ 1 रकबा 1.215 हेक्टेयर लक्ष्मी चंद्र रस्तोगी की लेब्रोटिस प्राइवेट लिमिटेड हलवासिया मार्केट के नाम और खाता संख्या 212 पर खसरा नंबर 196 ख रकबा 0.190 बंजर के खाते में एवं खाता संख्या 223पर खसरा संख्या 196 रकबा 1.057 हेक्टेयर ऊसर खाते में अंकित है। इन खसरा नंबरों में नगर निगम की सरकारी भूमि संगठित भूमि के रूप में सम्मलित है।
बैंक ने भी डीएम को पत्र लिखा: नगर निगम की जमीन पर लोन देने वाला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भी सफाई देने में जुट गया है। बैंक के मैनेजर अनुराग शुक्ला का कहना है कि जमीन की नीलामी की सूचना चार बार अखबारों में प्रकाशित कराई गई थीतब किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी। दो मार्च को ही पांचवी बार की नीलामी में जमीन दस करोड़ पंद्रह लाख में नीलाम की गई। अभिलेखों में यह 1974 में जमीन खरीदी गई थी। इस पर लोन 2013 में दिया गया था। यहां वेयर हाउस 2013 में बना था। दस करोड़ का लोन जमीन पर दिया गया था और दो मार्च को 10.15 करोड़ में जमीन की नीलामी की गई थी। वह कहते हैं कि इसमे कोई खेल चल रहा है और चार बार पहले भी नीलामी की सूचना प्रकाशित हो चुकी है लेकिन तब किसी ने कोई विरोध नहीं किया गया था। पूर्व में एक एसडीएम ने जमीन को जमींदारी विनाश अधिनियम 143 के तहत कृषि से आबादी श्रेणी में दर्ज की थी, लेकिन अब दूसरे एसडीएम जमीन को नगर निगम की बता रहे हैं। बैंक ने मामले की जांच कराने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।