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Shravan Sahu Murder Case: मुल्जिम की जमानत अर्जी हुई खारिज, कोर्ट ने बताया गवाहों के प्रभावित होने का डर

विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि श्रवण साहू की हत्या इसलिए की गई थी कि वह अपने पुत्र की हत्या के मामले में गवाही नहीं दे सकें। ऐसे में मुल्जिम को जमानत पर रिहा करने से गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 01:02 PM (IST)
Shravan Sahu Murder Case: मुल्जिम की जमानत अर्जी हुई खारिज, कोर्ट ने बताया गवाहों के प्रभावित होने का डर
श्रवण साहू हत्याकांड मामले में निरुद्ध मुल्जिम फैसल की जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है।

लखनऊ,जेएनएन। शहर के सनसनीखेज श्रवण साहू हत्याकांड मामले में निरुद्ध मुल्जिम फैसल उर्फ बबलू की जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है। विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि श्रवण साहू की हत्या इसलिए की गई थी कि वह अपने पुत्र की हत्या के मामले में गवाही नहीं दे सकें। ऐसे में मुल्जिम को जमानत पर रिहा करने से गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। लिहाजा अर्जी खारिज की जाती है। 

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ये है मामला : एक फरवरी, 2017 को सआदतगंज इलाके में श्रवण साहू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी एफआइआर सुनीत साहू ने दर्ज कराई थी। श्रवण साहू अपने बेटे आयुष साहू की हत्या के मामले में अहम गवाह थे। आयुष की हत्या में मुल्जिम अकील अंसारी को नामजद किया गया था। वह पहले से जेल में था। श्रवण साहू हत्याकांड मामले में भी उसका नाम सामने आया। पुलिस ने उसके खिलाफ श्रवण साहू की हत्या का षडयंत्र रचने व सबूत मिटाने की साजिश का आरोप पाया। बाद में पुलिस ने अन्य मुल्जिम अमन सिंह, सत्यम पटेल, अजय पटेल, विवेक वर्मा व रोहित मिश्रा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 20 मार्च, 2017 को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले में पुलिसवालों की मिलीभगत सामने आने पर हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।

नौ मई, 2017 को सीबीआइ ने अकील अंसारी समेत अन्य सभी मुल्जिमों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302, 201 व 120 बी में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में बाबू खां व फैसल उर्फ बबलू का भी नाम इस मामले में सामने आया। सीबीआइ ने इसके खिलाफ भी पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। 


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