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Positive India: वैज्ञानिकों का दावा-बैक्टीरिया की दवा में कोराना वायरस को हराने का दम

लखनऊ के लोहिया संस्थान के फार्माको-अलर्ट में भी मिली जगह वैज्ञानिकों का दावा गंभीर मरीजों में कारगर हो सकती है दवा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 07:41 AM (IST)
Positive India:  वैज्ञानिकों का दावा-बैक्टीरिया की दवा में कोराना वायरस को हराने का दम
Positive India: वैज्ञानिकों का दावा-बैक्टीरिया की दवा में कोराना वायरस को हराने का दम

लखनऊ [संदीप पांडेय]। बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवा ‘टाइकोप्लेनिन’ कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में भी कारगर साबित हो सकती है। फ्रांस में हुए शोध के बाद लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के फार्माको-अलर्ट में इस दवा को कोरोना पीड़ित मरीजों के लिए अल्टरनेटिव ड्रग के तौर पर शामिल किया गया है।

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दरअसल, इंटरनेशनल जनरल ऑफ एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स में नौ मार्च को शोध प्रकाशित हुआ। इसमें फ्रांस के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक ‘टाइकोप्लेनिन’ दवा को कोविड-19 बीमारी के इलाज में कारगर बताया गया। दावा किया गया कि शरीर को घातक संक्रमण से उबारने वाली इस दवा में वायरस को भी मात देने की ताकत है। खासकर, श्वसन तंत्र के संक्रमण को नेस्तनाबूत करने में यह काफी कारगर साबित हो सकती है। ऐसे में लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के फार्माकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने भी दवा के रसायनों व उसके प्रभाव का आकलन किया और शोध में किए दावों की तहकीकात की। इसके बाद उन्होंने भी यहां के चिकित्सकों को भी कोरोना के भर्ती मरीजों में वैकल्किप दवा के रूप में इसके प्रयोग का सुझाव दिया है।

परिणाम पर रहेगी नजर

संस्थान में हर माह देश-दुनिया में हो रही नई दवाओं के प्रयोग व उसके दुष्प्रभाव पर फार्माको-अलर्ट जारी होता है। ऐसे में अप्रैल में फार्माको-अलर्ट ‘सार्स कोव-टू’ के ट्रीटमेंट पर जारी हो रहा है। इसमें कोविड-19 के इलाज में टाइकोप्लेनिन को बतौर अल्टरनेटिव ड्रग शामिल किया है।

अभी सात दवाएं, एक थेरेपी है विकल्प

अभी कोरोना के मरीजों में अमूमन सात दवाएं और एक प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है। इसमें एंटी मलेरिया की हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन, एचआइवी की लोपिनावीर एंड रिटोनावीर, एचसीवी की रिबाविरिन, वायरल इंफेक्शन की रेमडेसिविर, इंटरफेरॉन-1बी, इंटरल्यूकिन-6 इनहिबिटर्स व एजिथ्रोमाइसीन आवश्यकतानुसार मरीजों को दी जाती है। इसके अलावा कनवेलिसेंट प्लाज्मा थेरेपी का विकल्प है। वहीं, अब टाइकोप्लेनिन दवा को भी अल्टरनेटिव ड्रग की तौर पर शामिल किया जा सकता है।

अभी इन मरीजों को दी जाती है यह दवा

लोहिया संस्थान के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल जैन के मुताबिक, ‘टाइकोप्लेनिन’ दवा आइसीयू में भर्ती गंभीर संक्रमण के मरीजों में दी जाती है। यह मरीज ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया से घिरे होते हैं। इनमें स्टैफिलोकोकस ऑरिस, एंटरोकोकस बैक्टीरिया से अपर रेस्पिरेटरी व लोअर रेस्परेटरी इंफेक्शन के अलावा तमाम दिक्कतें हो जाती हैं। साथ ही मेथिसिलिन दवा रजिस्टेंस हो जाती है। ऐसी गंभीर स्थिति में टाइकोप्लेनिन दवा बैक्टीरिया की सेल वॉल पर प्रहार कर मरीजों को संक्रमण मुक्त करने में मददगार बनती है।

तोड़ेगी वायरस की प्रोटीन खोल

डॉ.अतुल जैन के मुताबिक, फ्रांस के चिकित्सा वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार ‘टाइकोप्लेनिन’ दवा सार्स कोव-टू वायरस के प्रोटीन खोल पर प्रहार करने में सक्षम है। दावा है कि यह दवा देने से वायरस की संरचना का निर्माण बाधित होगा, ऐसे में मरीज में वायरस का री-प्रोडेक्शन नहीं हो सकेगा। वहीं, कोरोना का वायरस भी पहले श्वसन तंत्र पर ही अटैक करता है। ऐसे में यह दवा अपर व लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से मुक्त कराने में भी करता है। 


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