पर्यावरण के साथ ऊर्जा बचा रहा BBAU, चल रही प्रकृति की पाठशाला
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय अब पर्यावरण के साथ ही ऊर्जा भी बचा रहा है। दो तिहाई से अधिक स्थान को पर्यावरण संरक्षण का हब बनाने के साथ ही विद्यार्थियों को पर्यावण का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। प्राकृतिक संपदा को अपने आंचल में छिपाए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि अब पर्यावरण के साथ ही ऊर्जा भी बचा रहा है। दो तिहाई से अधिक स्थान को पर्यावरण संरक्षण का हब बनाने के साथ ही विद्यार्थियों को पर्यावण का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। पर्यावरण विभाग के साथ मिलकर सभी विभाग के विभागाध्यक्ष परिसर को पर्यावरण अनुकूल बनाने में लगे हैं। इसी क्रम में एक नई उपब्धि भी जुड़ गई है। विवि ने सोलर प्लांट लगाकर करीब पचास लाख रुपये की ऊर्जा की बचत करके लोगाें के सामने एक नजीर पेश की है।
जैसे ज्ञान के लिए पढ़ाई जरूरी है तो पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति को समझना भी जरूरी है। विकास के पैमाने में ऊंचे भवनों की आवश्यकता है तो जीवन के लिए पेड़ पौधे भी जरूरी हैं। इसी मंशा को मूर्त रूप देने के लिए विश्वविद्यालय पर्यावरण विज्ञान ही नहीं इंजीनियरिंग, आइटी और कानून सहित अन्य विभागों के मेधावियों काे पर्यावरण से जोड़ने के लिए प्रकृति की पाठशाला भी चला रही है।
तालाब के साथ ही प्रकृति में रहने वाले वन्यजीवों को उनके अनुरूप वातावरण मिले इसका पूरा इंतजाम किया गया। वेटलैंड जहां भूगर्भ जल काे बचाने का काम करता है तो फैली हिरयाली विश्वविद्यालय ही नहीं आसपास के लोगों को भी शुद्ध ऑक्सीजन देने का काम करती है। इसे बढ़ावा देने और परिसर में हरियाली को सुनियोजित तरीके से संरक्षित करने के के लिए कुलपति प्रो.संजय सिंह की पहल पर कोर ग्रीन गुप नाम से कमेटी बनाई गई। कमेटी के सदस्यों के साथ ही पर्यावरण विज्ञान संकाय के प्रोफेसर डॉ.वेंकटेश दत्ता को विवि परिसर में ग्रीन बेल्ट की देखभाल और उसे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। ग्रुप की ओर से हालही में रिपोर्ट भी दी गई जिसमे पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता के आने की बात कही गई है।
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो.संजय सिंह ने बताया कि प्रकृति को समझने के लिए पूरे सिस्टम को समझना होता है। जब सिस्टम समझ में आ जाता है तो हम खुद को उसमे समाहित करने का प्रयास करते हैं। विवि में इसी मंशा को लेकर पर्यावरण संरक्षण का अभियान चलाया जा रहा है। अक्षय ऊर्जा के माध्यम से हमने ऊर्जा बचाने की पहल की और करीब 50 लाख रुपये की बिजली बचाई गई। आगे भी प्रयास जारी है।