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CoronaVirus: कोरोना से मुकाबले को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर आयुर्वेद

CoronaVirus मॉडर्न मेडिसिन के साथ इस्तेमाल को चुनिंदा औषधियों की चल रहा क्लीनिकल ट्रायल।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 03:10 PM (IST)
CoronaVirus: कोरोना से मुकाबले को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर आयुर्वेद
CoronaVirus: कोरोना से मुकाबले को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर आयुर्वेद

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। CoronaVirus: कोरोना संक्रमण ने चिकित्सा विज्ञान को आयुर्वेद की तरफ देखने पर मजबूर किया है, पर मॉडर्न मेडिसिन के साथ इस्तेमाल करने से पहले बाकायदा क्लीनिकल ट्रायल करके चुनिंदा आयुर्वेदिक औषधियों की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर कसा जाएगा। आयुष मंत्रालय ने गिलोय, पिपली, अश्वगंधा, मुलेठी और आयुष 64 को इस दृष्टि से चिन्हित करके विधिवत क्लीनिकल ट्रायल करवाने की पहल की है। गिलोय और पिपली के मिश्रण पर मेदांता अस्पताल में ट्रायल शुरू हो गया है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन में ट्रेडिशनल मेडिसिन यूनिट में टेक्निकल ऑफिसर एवं आयुष मंत्रालय में कोरोना नेशनल प्रोग्राम के समन्वयक डॉ.गीता कृष्णन ने दी। यूं तो इन पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधियों का सदियों से जटिल रोगों के उपचार में प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन मंत्रालय द्वारा अब इसके वैज्ञानिक प्रमाण जुटाने के लिए विभिन्न अस्पतालों की मदद से क्लीनिकल ट्रायल करवाया जा रहा है ताकि इन्हें प्राामाणिक रूप से कोविड-19 के उपचार में शामिल किया जा सके।

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मंत्रालय की सहमति से ट्रायल प्रारंभ

डॉ.कृष्णन ने बताया कि मेदांता हॉस्पिटल द्वारा आयुष मंत्रालय की सहमति से ट्रायल प्रारंभ किए गए हैं । मेदांता गिलोय और पिपली के मिश्रण पर परीक्षण नेशनल प्रोग्राम के तहत अपने स्तर पर कर रहा है। उन्होंने बताया क्लीनिकल ट्रायल में गिलोय और पिपली का मिश्रण (कसाया) यदि उपयोगी पाया जाता है तो उसे शीघ्र कोविड-19 के उपचार की मौजूदा चिकित्सा व्यवस्था में देशभर में शामिल किया जा सकता है। इन दोनों आयुर्वेदिक दवाओं पर पूर्व में प्रमाणित अध्ययन हो चुके हैं और दोनों ही पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। खास बात यह है दोनों औषधीय पौधे भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध भी हैं । मेदांता 11 अप्रैल से इन परीक्षणों को किया जा रहा है जो शीघ्र पूरे हो जाएंगे। उम्मीद है कि इसके 30 से 40 दिनों के बाद में यह परीक्षण वृहद स्तर पर मौजूदा उपचार के साथ कोरोना मरीजों पर किए जाएंगे।

अन्य संभावित औषधियां

डॉ.कृष्णन ने बताया कि अश्वगंधा एक प्रभावी इम्यूनोमोड्यूलेटर है। यह एक रोग निरोधक औषधि (प्रीवेंटिव मेडिसिन) है जिसका कोरोना के रोगियों में क्लीनिकल परीक्षण जल्द आरंभ करने की योजना है। नेशनल प्रोग्राम में तीसरी आयुर्वेदिक औषधि के रूप में मुलेठी को शामिल किया गया है। मुलेठी को तमाम औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। चौथी औषधि आयुष 64 मलेरिया रोधी होने के साथ-साथ एंटीवायरल गुणों से भरपूर है। वह बताते हैं कि अश्वगंधा, मुलेठी, आयुष 64 पर क्लीनिकल परीक्षण जल्द शुरू किए जाएंगे। देश के कई अस्पतालों ने आयुष मंत्रालय के प्रोटोकॉल के अनुसार शोध की पेशकश की है। अन्य आयुर्वेद दवाओं को भी उनके चिकित्सीय गुणों के आधार पर शामिल किया जा सकता है।

बदल जाएगा चिकित्सीय परिदृश्य

आयुर्वेदिक औषधियों के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा गठित वर्किंग ग्रुप के सदस्य एवं सीडीआरआई के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉ एन.एन मेहरोत्रा बताते हैं कि आने वाले समय में भारत में चिकित्सा परिदृश्य काफी बदल जाएगा। भारत सरकार कोरोना वायरस जैसे संक्रामक रोगों के साथ-साथ लोगों की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने के लिए भी आयुर्वेद पद्धति पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है और भविष्य में आयुर्वेद को चिकित्सा के प्रोटोकॉल में महत्वपूर्ण स्थान मिलने की उम्मीद है। डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम में ली गई औषधियों के अलावा सतावर व हल्दी के गुणों को भी उपचार के लिए परखा जा रहा है। कोशिश यह है कि कोरोना से संक्रमण के उपचार में इन आयुर्वेदिक औषधियों को ट्रीटमेंट पॉलिसी की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इससे जहां आयुर्वेदिक दवाओं को फिर से अपनी खोई जमीन वापस मिल सकेगी, वहीं आने वाले दिनों में भारतीय चिकित्सा परिदृश्य में भी बड़ा परिवर्तन आएगा। 


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