Ayodhya Structure Demolition Case: बैरीकेडिंग तोड़ कर विवादित ढांचे में पहुंचे थे कारसेवक, पांच घंटे चली थी कारसेवा
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को लगभग 1.25 बजे तीन गुंबदों वाले विवादित ढांचे का पहला गुंबद गिरा। यह दक्षिणी ओर का गुंबद था। पुजारी गण विवादित ढांचे से बाहर निकल आए। कारसेवा करीब पांच घंटा चली और इस दौरान तीनों गुंबद के साथ संपूर्ण ढांचा धराशायी कर दिया गया।
अयोध्या, जेएनएन। अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को हुआ विवादित विध्वंस मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। उस दिन लगभग 1.25 बजे तीन गुंबदों वाले विवादित ढांचे का पहला गुंबद गिरा। यह दक्षिणी ओर का गुंबद था। पुजारी गण विवादित ढांचे से बाहर निकल आए। कारसेवा करीब पांच घंटा चली और इस दौरान तीनों गुंबद के साथ संपूर्ण ढांचा धराशायी कर दिया गया।
उस दिन सुबह आठ बजे से कारसेवकों का समूह विवादित ढांचे की ओर बढ़ने लगा था। छह दिसंबर को कारसेवा के लिए घोषित स्थान विवादित ढांचे से लगभग 14 फीट नीचे विशाल समतल सतह पर निर्मित कंक्रीट का चबूतरा था। कंक्रीट के इस विशाल चबूतरे का 10.30 बजते-बजते बड़ी तादाद में कारसेवक कारसेवा स्थल पर पहुंच चुके थे। विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी के चुनिंदा एवं शीर्ष पदाधिकारी कारसेवा स्थल से लगभग छह सौ मीटर की दूरी पर स्थित रामकथाकुंज की छत पर लगाए गए टेंट के नीचे पहुंच चुके थे।
11 बजते-बजते पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार विभिन्न धर्माचार्यों की अगुवाई में कारसेवकों के दल सरयू जल एवं बालू के पात्र लेकर कंक्रीट के चबूतरे के नजदीक पहुंचना प्रारंभ हो गए। कुछ ही देर में हजारों कारसेवक कंक्रीट चबूतरे के चारो तरफ फैल गए। इसी बीच विहिप के एक शीर्षस्थ प्रतिनिधि कारसेवा स्थल पर पहुंचे। उनके वहां पहुंचते ही पूरा क्षेत्र '...सौगंध राम की खाते हैं मंदिर यहीं बनाएंगे व जय श्रीराम' के नारे से गूंज उठा। अब तक इस स्थल पर लगभग 50 हजार कारसेवक, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं एकत्र हो चुके थे।
विवादित स्थल से कुछ दूरी पर स्थित जन्म स्थान मंदिर की छत पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायाधिकारियों का समूह उच्च प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठा था। कंक्रीट के चबूतरे पर किसी तरह के निर्माण पर उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगा रखा था।
कारसेवकों का यह दल जिस विशाल समतल क्षेत्र में एकत्रित था, उससे चंद कदम के फासले पर लोहे की बैरीकेडिंग से घिरा हुआ 126 फीट लंबा एवं 95 फीट चौड़ा विवादित ढांचा केंद्रीय सुरक्षा बल की सुदृढ़ सुरक्षा से जकड़ा हुआ था। 11.30 बजे से कंक्रीट के चबूतरे पर सांकेतिक कारसेवा शुरू हुई। पूरे वातावरण में वेद मंत्र के साथ-साथ जय श्रीराम के नारों का उद्घोष गूंजने लगा। कारसेवकों के चिह्नित दलों द्वारा लाये गए सरयू जल से कंक्रीट का चबूतरा धोया जाने लगा। सभी का ध्यान चबूतरे पर कराई जा रही पूजा एवं कारसेवकों द्वारा की जा रही 'सांकेतिक कारसेवा' पर ही केंद्रित था।
यहां तक कि विवादित ढांचे की बैरीकेडिंग के पीछे बड़ी संख्या में तैनात केंद्रीय बल के जवान भी ऊपर से इस आयोजन को देख रहे थे। जन्म स्थान मंदिर की छत पर उच्च न्यायालय के प्रतिबंध आदेश का अध्ययन कर रहे न्यायाधिकारी व उपस्थित पत्रकार भी लगभग निश्चिंत होकर 'सांकेतिक कारसेवा' के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। एकाएक परिदृश्य बदल जाता है।
11.55 पर विवादित ढांचे के पूर्वी भाग से एक के बाद एक तीन बार लंबी सीटी बजने की आवाज सुनाई दी, कुछ ही क्षणों में ढांचे के दर्द-गिर्द हलचल बढ़ गई और कारसेवक बैरीकेडिंग तोड़कर ढांचे के अंदर जाने लगे। पूर्वी गलियारे में पहुंचते ही उन्होंने नीचे से रस्सी के बंडल खींच लिए और रस्सी का गोला बनाकर ढांचे के पूर्वी गुंबद पर फेंक कर उसे ऊपर फंसा लिया। इस रस्सी के सहारे एक के बाद एक युवकों ने गुंबद पर चढ़ना शुरू कर दिया। तीन युवक गुंबद पर पहुंच चुके थे और उन्होंने वहां पहुंच कर भगवा झंडा फहरा दिया।
स्थिति की गंभीरता का आकलन कर कारसेवा का संयोजन कर रहे विहिप नेता ने लाउड स्पीकर से गुंबद की छत पर पहुंच चुके युवकों से तत्काल नीचे उतरने की अपील की और कहा कि आपकी इच्छा पूरी हो गई है और न्यायालय की अवमानना भी नहीं हुई है। इसलिए अब नीचे उतर आइए। इसके विपरीत कई अन्य कारसेवक गैंती व कुदाल के साथ ऊपर पहुंच गए और गुंबद पर प्रहार करना शुरू किया।
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