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Ayodhya Case: तीर्थस्थल बनी कार्यशाला, शिलाओं में तलाश रहे राम Ayodhya News

अयोध्या में श्रद्धालुओं से अभिषिक्त हो रही सबसे बड़े विवाद की प्रतीक्षा। 14 कोसी परिक्रमा समाप्त होते ही आस्था मंदिरों की ओर हो रहे उन्मुख।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 10:56 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 10:56 AM (IST)
Ayodhya Case: तीर्थस्थल बनी कार्यशाला, शिलाओं में तलाश रहे राम Ayodhya News
Ayodhya Case: तीर्थस्थल बनी कार्यशाला, शिलाओं में तलाश रहे राम Ayodhya News

अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। सबसे बड़े विवाद की प्रतीक्षा श्रद्धालुओं से अभिषिक्त (सिंचित) हो रही है। यह सच्चाई रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में तराशी जा रही शिलाओं से बयां होती है। आम दिनों की अपेक्षा कार्यशाला में बुधवार को श्रद्धालुओं की 10 गुना अधिक भीड़ नजर आती है। वे शिलाओं को हसरत भरी निगाहों से निहार ही रहे नहीं होते हैं, बल्कि उनमें श्रद्धापूर्वक स्पर्श करने की ललक और होड़ सी मची है। 

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यहीं पर राम नाम के मतवालों की भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस के साथ-साथ युवा भाजपा नेता आकाशमणि भी जुटे हैं। मकसद सिर्फ एक ही है, किसी की श्रद्धा को न लगने पाए चोट। लोगों के उत्साह से गदगद भी हैं। कहते हैं-14 कोसी परिक्रमा थमने के बाद परिधि से वापस लौटे श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ गया है। प्रमुख मंदिरों के साथ श्रद्धालुओं की भावनाओं का ज्वार कार्यशाला में उमड़ेगा, यह अनुमान पहले से था मगर, इस कदर...यह साबित करता है कि फैसले के इंतजार में भावनाएं किस कदर हिलोर मार रही हैं। 

कार्यशाला में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे भी होते हैं, जो यह जानना चाहते हैं कि प्रस्तावित मंदिर किस तरह का होगा। अगले पल ही उनका उत्साह सातवें आसमान पर होता है, जब एक स्थानीय गाइड उन्हें प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के आगे ले जाकर खड़ा करता है।

श्रद्धालुओं के दल में शामिल श्रावस्ती के किसान विक्रमादित्य ङ्क्षसह मॉडल के बगल में तराशे जा चुके उन स्तंभों की निहारते हैैं, जिन्हें प्रस्तावित मंदिर में लगना है। स्तंभों में उत्कीर्ण अनावृत मूर्तियों को देखकर रोमांचित हो उठते हैं। हालांकि अगले पल उनकी दुविधा का निराकरण होता है, जब इस संवाददाता से सुनते हैं कि यह मूर्तियां यक्ष-यक्षणियों की हैं। चूंकि, लोगों के दिल में तो बस राम बसे हैं। लिहाजा, तुरंत सवाल आता है-रामलला कहां विराजमान होंगे। तब तक कार्यशाला में पहुंच चुके युवा उद्यमी एवं स्थानीय भाजपा नेता मनप्रीत ङ्क्षसह मॉडल के सबसे पीछे स्थित कक्ष की अनुकृति की ओर इशारा करते हुए बताते हैं-प्रथम तल के गर्भगृह में रामलला और दूसरे तल पर रामदरबार की स्थापना होनी है...। विक्रमादित्य को जैसे सारे सवालों के जवाब मिल गए और जय सियाराम बुदबुदाते हुए आगे बढ़ जाते हैं...। 

वे अकेले नहीं हैं। इस साध को पूरी करने की लालसा में भावनाओं का ज्वार पूरे उफान पर है। नगरी का बड़ा हिस्सा श्रद्धालुओं के प्रवाह से पटा है। कुछ जत्थे ऐसे भी गुजरते हैं, जिनके हाथों में भगवा और तिरंगा झंडा है। ऐसे ही जत्थे में शामिल गोरखपुर के राजाराम निषाद कहते हैं- हम राममंदिर के साथ राष्ट्रमंदिर के भी उपासक हैं। पूरे संयम से फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन्हीं के बगल चल रहे शिखाधारी विवेक शुक्ल कहते हैं कि हमारी साधना जाया नहीं जाएगी। फैसला अनुकूल आएगा। 

 

आवभगत करने वालों में भी उल्लास

फैसले का इंतजार श्रद्धालुओं को ही नहीं, उनकी आवभगत करने वालों को भी उत्साहित कर रहा है। इस अहम दौर में परिक्रमार्थियों को स्वादिष्ट भोजन मिल सके, इसके लिए अग्रवाल समाज की ओर से सआदतगंज हनुमानगढ़ी पर भव्य सेवा शिविर लगाया गया। इस दौरान एक लाख परिक्रमार्थयों को भोजन भी कराया गया। मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे पूर्व सांसद साकेतवासी विश्वनाथदास शास्त्री के आश्रम दर्शनभवन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के करीब ही सेवा शिविर लगाया गया। विश्वनाथदास की शिष्या एवं दर्शनभवन की वर्तमान महंत ममता शास्त्री कहती हैं, रामभक्तों का उल्लासपूर्ण प्रवाह हमें भी प्रेरित करने वाला है।

सात दिवसीय अनुष्ठान की पूर्णाहुति

कार्यशाला में फैसले का इंतजार शिलाओं के साथ सात दिवसीय यज्ञ की पूर्णाहुति से भी बयां होता है। यज्ञाचार्य गोपाल धनपाठी बताते हैं, यज्ञ का मकसद राममंदिर निर्माण और विश्वशांति है। इससे पूर्व वे शिवम शर्मा, यश शर्मा, जितेंद्र शर्मा, युवराज शर्मा, मनीष, अविनाश आदि के साथ चारो वेद, राम महामंत्र, तारक मंत्र, आंजनेय मंत्र आदि के लयबद्ध मंत्रोच्चार के साथ हवनकुंड में घंटों आहुति डाल रहे हैैं। हर तरह जय सियाराम के गूंजते जयकारों से रामनगरी  गदगद है...।


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