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Ayodhya Ram Temple Verdict Anniversary: वैभवपूर्ण विरासत के अनुरूप हो रहा साज-श्रृंगार

Ayodhya Ram Temple Verdict Anniversary 2014 में मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के साथ ही तैयार होने लगी थी सर्वोच्च निर्णय के स्वागत की भावभूमि। केंद्र सरकार ने रामायण सर्किट योजना के तहत उन स्थलों के विकास और उन्हें आपस में जोडऩे की योजना तैयार की।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 08:43 AM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 08:43 AM (IST)
Ayodhya Ram Temple Verdict Anniversary: वैभवपूर्ण विरासत के अनुरूप हो रहा साज-श्रृंगार
2014 में मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के साथ ही तैयार होने लगी थी सर्वोच्च निर्णय के स्वागत की भावभूमि।

अयोध्या [रघुवरशरण]। Ayodhya Ram Temple Verdict Anniversary: रामलला के हक में सुप्रीमकोर्ट का फैसला तो गत वर्ष नौ नवंबर को आया, पर निर्णय के स्वागत की भावभूमि रामनगरी में पहले से ही तैयार होने लगी थी। 2014 में मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल की शुरुआत के साथ रामनगरी के विकास की ओर ध्यान आकृष्ट हुआ। केंद्र सरकार ने रामायण सर्किट योजना के तहत उन स्थलों के विकास और उन्हें आपस में जोडऩे की योजना तैयार की, जहां-जहां युगों पूर्व श्रीराम के पांव पड़े। इस योजना से न केवल अयोध्या-जनकपुर-चित्रकूट-रामेश्वरम जैसे तीर्थों के बीच हाइवे प्रशस्त हो रहे हैं, बल्कि वे बेहतर यातायात से भी जुड़ रहे हैं। 

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सरकार के ऐसे ही प्रयासों के फलस्वरूप अयोध्या से रामेश्वरम तक सीधी रेल सेवा शुरू हुई और अयोध्या से जनकपुर तक बस सेवा संभव हुई। केंद्र सरकार के ही प्रयास से अयोध्या रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किये जाने का काम अंतिम दौर में है। करीब दो सौ करोड़ की लागत से आकार पा रहा रेलवे स्टेशन अयोध्या पहुंचते ही आगंतुक पर भव्यता की छाप छोड़ेगा। ...तो 70 एकड़ के परिसर में भव्य-दिव्य मंदिर इस एहसास में चार चांद लगायेगा। शताधिक करोड़ की लागत से नया जीवन पा रही रामकी पैड़ी, भजन संध्या स्थल, रामकथा पार्क और प्रशस्त घाटों से सज्जित पुण्य सलिला सरयू पहले से ही अति लुभावन होने के साथ उन इक्ष्वाकु की याद दिलाती है। श्रीराम के पूर्वज महाराज इक्ष्वाकु के ही समय पुण्य सलिला सरयू ने हिमालय की उच्च उपत्यका में स्थित मानसरोवर से निकलकर अयोध्या का आङ्क्षलगन किया था। 

इन्हीं इक्ष्वाकु की याद में सरकार सरयू के लंबे तट पर इक्ष्वाकु नगरी भी विकसित करने की योजना को अंतिम रूप देने में लगी है। सरयू तट के करीब दो सौ एकड़ क्षेत्र में यह नगरी इक्रो फ्रेंडली होगी और इस नगरी में त्रेतायुगीन परिवेश-प्रसंग जीवंत किये जाएंगे। इसे अयोध्या आने वाले ऐसे पर्यटकों के अनुरूप विकसित किया जाना है, जो पुरातन परंपरा एवं संस्कृति के साथ रामनगरी में प्रवास चाहेंगे। पुरातन परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाली इक्ष्वाकु नगरी के ही समानांतर रामनगरी में नव्य अयोध्या नाम की एक अन्य उपनगरी विकसित किये जाने की प्रक्रिया चल रही है। 

1250 एकड़ में विकसित होने जा रही नव्य अयोध्या में आधुनिक सुविधायुक्त कॉलोनी, बाजार, होटल आदि का नियोजन होगा। अयोध्या को यह वैभव यूं ही नहीं हासिल हो रहा है। यहां श्रीराम के रूप में परात्पर ब्रह्मा तो अवतरित हुए ही, यह नगरी श्रीराम के पूर्वज सूर्यवंशीय अनेक यशस्वी नरेशों से संरक्षित रही है और लंबे समय तक इन यशस्वी राजाओं की राजधानी के तौर पर गौरवांवित रही है। अथर्व वेद में अयोध्या को अष्ट चक्र एवं नौ द्वारों से युक्त देवताओं की पुरी कहा गया है। अयोध्या राजधानी के साथ धर्म-अध्यात्म के केंद्र के रूप में भी अधिष्ठित रही है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या की स्थापना भगवान विष्णु के चक्र पर हुई और इसका निर्माण स्वयं ब्रह्मा ने किया। यह नगरी विष्णु के साथ शिव को भी अत्यंत प्रिय रही है। कालांतर में श्रीराम के भक्त रामानंदीय और रामानुजीय परंपरा के संतों की उपासना स्थली के तौर पर रामनगरी धर्म की राजधानी के तौर पर प्रतिष्ठापित हुई। इसकी मिसाल यहां रहने वाले संतों, मंदिरों और इन मंदिरों से जुड़े श्रद्धालुओं के वृहद परिकर से मिलती है।

श्रीराम की प्रतिमा से प्रतिपादित होगी श्रेष्ठता

सनातन परंपरा के शास्त्रों में सात मोक्षदायिनी नगरियों का उल्लेख मिलता है। इस सूची में अयोध्या का नाम सबसे पहले है। रामनगरी की यह श्रेष्ठता यहां प्रस्तावित 251 मीटर ऊंची श्रीराम की प्रतिमा से भी प्रतिपादित होगी। यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी।

दीपोत्सव से मिल रही वैश्विक पहचान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर रामनगरी में प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी हनुमान जयंती के दिन सन 2017 से दीपोत्सव मनाया जाता है। दीपोत्सव में एक साथ इतने दी जलाये जाते हैं कि अयोध्या का दीपोत्सव अपना रिकार्ड और बड़ा करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड  रिकाड्र्स में दर्ज होता है। इसी 13 नवंबर को प्रस्तावित चतुर्थ दीपोत्सव में 5:50 लाख दीप जलाये जाने का लक्ष्य तय किया गया है।


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