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Ayodhya News: 28 सालों में रामनगरी का इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदला, साकार हो रहा दिव्य अयोध्या के निर्माण का स्वप्न

Ayodhya News विवाद से पीछा छुड़ा विकास के क्षितिज पर छा जाने की तैयारी। भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या के निर्माण का साकार हो रहा स्वप्न। आर्कीटेक्चर के अध्येता भी हो रहे आकृष्ट विवाद को भूल विकास का राग।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 07:10 AM (IST)
Ayodhya News: 28 सालों में रामनगरी का इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदला, साकार हो रहा दिव्य अयोध्या के निर्माण का स्वप्न
Ayodhya News: विवाद से पीछा छुड़ा विकास के क्षितिज पर छा जाने की तैयारी।

अयोध्या [रघुवरशरण]। Ayodhya News: विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद के 28 सालों में रामनगरी का इतिहास ही नहीं, भूगोल भी बदल गया है। रामजन्मभूमि पर जो ढांचा 464 वर्षों से खड़ा था, वह तो भूमिसात हुआ ही, इसके एक माह बाद ही तत्कालीन केंद्र सरकार ने 2.77 एकड़ में विस्तृत रामजन्मभूमि एवं रामचबूतरा के इर्द-गिर्द की 67.77 एकड़ भूमि अधिग्रहीत कर ली। इस अधिग्रहण में समाहित होकर रामजन्मभूमि से जुड़ते अनेक मार्ग और कई पौराणिक महत्व के मंदिर अपना वजूद खो बैठे। रामलला को यदि टेंट के अस्थायी मंदिर में रहना पड़ा, तो अधिग्रहीत परिसर तिल-तिल कर ढहते मंदिरों और अनचाहे झांड़-झंखाड़ का साक्षी बना रहा। 

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हालांकि, अधिग्रहीत परिसर से इतर रामनगरी बदलते दौर से कदमताल करने को मचलती नजर आयी। 1991 में ही प्रदेश की सत्ता में आये तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने रामनगरी को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर उभारने के सपने दिखाने शुरू कर दिये थे। यद्यपि यह सपना साकार होता, तब तक छह दिसंबर 1992 की तारीख आ पहुंची और ढांचा ढहाए जाने की घटना के चलते कल्याण सिंह को त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बावजूद रामनगरी ने विश्व पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होने का स्वप्न देखना नहीं छोड़ा। 

 

1996 में बसपा के साथ गठबंधन कर भाजपा दूसरी बार प्रदेश की सत्ता में आयी, तो भाजपा के कोटे के तत्कालीन पर्यटन मंत्री कलराज मिश्र ने रामनगरी के पर्यटन विकास की मुहिम छेड़ी। इसी दौर में पौराणिक महत्व के अनेक कुंडों का सुंदरीकरण कराया गया। वर्ष बीतते-बीतते भाजपा का बसपा से गठबंधन तो खटाई में पड़ गया, पर भाजपा सत्ता बचाने में कामयाब रही। इसके बाद रामलला से गहन सरोकार रखने वाले कल्याण सिंह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और इसी के साथ अयोध्या पुन: विकास के केंद्र में आ गयी। 

1999 में कल्याण सिंह ने न केवल अयोध्या के लिए 21 करोड़ का विशेष पैकेज जारी किया, बल्कि मुक्ताकाशीय रंगमंच के रूप में रामकथापार्क का निर्माण कराया। केंद्र की तत्कालीन अटल सरकार भी रामनगरी के प्रति उदार बनी रही। 2002 से प्रदेश की और 2004 से केंद्र की सत्ता से वंचित भाजपा को जब पुन: 2014 में केंद्र एवं 2017 में प्रदेश की सत्ता में आने का अवसर मिला, तो रामनगरी के पर्यटन विकास का स्वप्न सूद सहित साकार किया जाने लगा। रामनगरी के बदलाव का यह प्रयास गत वर्ष नौ नवंबर को रामलला के हक में आये सुप्रीम फैसले एवं इसी वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर के भूमिपूजन से शिखर का स्पर्श करता दिखा। सौ करोड़ की लागत से रामकी पैड़ी का कायाकल्प, 108 करोड़ की लागत से अयोध्या रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, 19 करोड़ की लागत से सरयू तट पर नवनिर्मित भजन संध्या स्थल, सात करोड़ से बस स्टेशन का नवनिर्माण एवं चार करोड़ की लागत से रामकथापार्क के नवीनीकरण से बदलाव की बयार बरबस महसूस की जा सकती है। साहित्यकार एवं प्राचीन इतिहास के अध्येता डॉ. हरिप्रसाद दुबे कहते हैं, यह तो स्वप्निल यात्रा की शुरुआत भर है, 2023 में मंदिर निर्माण पूर्ण होते-होते भव्य राम मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या का स्वर्ण कलश दुनिया भर में चमक बिखेर रहा होगा। 

आर्कीटेक्चर के अध्येता भी हो रहे आकृष्ट 

ध्वंस की तल्खी से उबर सृजन की सच्चाई लखनऊ विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्कीटेक्चर के छात्र जीशान एवं नैंसी से बयां होती है। आर्कीटेक्चर के स्थलीय अध्ययन के रूप में वे शनिवार को रामनगरी की खाक छान रहे होते हैं और प्राचीन मंदिरों के साथ विकसित हो रहे नवनिर्मित स्थापत्य की समीक्षा कर रहे होते हैं। स्थापत्य के छात्र के रूप में उनका सुझाव है कि पर्यटन का प्रकल्प निर्मित किये जाने के साथ उसे आम लोगों से संबद्ध किया जाना कहीं बेहतर परिणाम देने वाला सिद्ध होगा। 

विवाद को भूल विकास का राग

नगरनिगम के जिस वार्ड में रामजन्मभूमि है, उस रामकोट वार्ड के पार्षद पुजारी रमेशदास ढांचा ढहाये जाने की पूर्व संध्या पर विकास का राग अलापते नजर आते हैं। कहते हैं, अदालत का फैसला आने के बाद विवाद के बारे में सोचना तक अशास्त्रीय एवं असंवैधानिक है। अब हमें यह सोचना है कि अयोध्या की ओर उन्मुख होने वाले श्रद्धालुओं का सैलाब किस तरह नियोजित-संयोजित हो। 

धर्म का धंधा करने वालों से बचें : भोलू

विवाद से उबर संवाद की धुन सुननी हो, तो बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे हाजी फेंकू के पौत्र एवं सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता मो. आफाक 'भोलू' से मिलिए। भोलू कहते हैं, धर्म का धंधा करने वालों से देश एवं मजहब का बहुत नुकसान पहुंचा है और अब हमें ऐसे धंधेबाजों को अनसुना कर अपनी एवं मुल्क की तरक्की में लगना है। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तरक्की के रास्ते पर है और अयोध्या भाईचारा की मिसाल कायम कर तरक्की की राह और आसान बनाने को तैयार है।  


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