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अयोध्या: लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले पद्मश्री मो. शरीफ की तबीयत बिगड़ी, बोले- नहीं मिला अब तक पुरस्कार

अयोध्या के मोहम्मद शरीफ पांच माह पूर्व बीमार पड़ने तक 20 हजार से अधिक शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इस वक्‍त लीवर की बीमारी का सामना कर रहें। ऐसे में उनका हाल जानने के लिए उनके खिड़की अली बेग स्थित आवास पर प्रशंसकों का तांता लग गया।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 09:26 AM (IST)
अयोध्या: लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले पद्मश्री मो. शरीफ की तबीयत बिगड़ी, बोले- नहीं मिला अब तक पुरस्कार
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले समाजसेवी पद्मश्री मोहम्मद शरीफ।

अयोध्या, जेएनएन। लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले अयोध्‍या के पद्मश्री से सम्मानित समाजसेवी मोहम्मद शरीफ का कहना है कि उन्हें अभी तक यह पुरस्कार नहीं मिला है। उन्‍होंने बताया कि मैंने टीवी पर इसके बारे में समाचार पर सुना है, लेकिन अब तक पुरस्कार नहीं मिला है। मैं लगभग दो महीने पहले बीमार हो गया था। 

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दरअसल,मोहम्मद शरीफ लीवर की बीमारी का सामना कर रहें। ऐसे में उनका हाल जानने के लिए उनके खिड़की अली बेग स्थित आवास पर प्रशंसकों का तांता लग गया। प्रशासन के दूत के रूप में एडीएम सिटी डॉ. वैभव शर्मा ने भी स्वास्थ्य विभाग के अमले के साथ उनका हाल जाना। उनके साथ पहुंचे डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। डॉ. वर्मा ने बताया कि मो. शरीफ के लीवर में कुछ दिक्कत है और सोमवार को उनका अल्ट्रासाउंड कराया जाएगा। डॉ. वर्मा ने कहा कि उनकी स्थिति कोई गंभीर नहीं है। दवा भिजवा दी जा रही है। 

एडीएम सिटी ने बताया कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी और स्वास्थ्य संबंधी हर जरूरत पूरी की जाएगी। मो. शरीफ पांच माह से बीमार हैं, पर गत चार-पांच दिनों से उनकी बीमारी में इजाफा बताया जा रहा है। 

...तो इसलिए कर रहे लावारिस लाशों का अंतिम संस्‍कार: 83 वर्षीय शरीफ के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और बहुओं-नातियों सहित डेढ़ दर्जन सदस्य हैं। चार बेटों में से सबसे बड़े मो. रईस के 28 वर्ष पूर्व दुर्घटना में निधन तथा लावारिस की तरह अंतिम संस्कार किया गया था। इससे आहत शरीफ तभी से लावारिस लाशों का संस्कार करते रहे हैं। उन्होंने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार को जीवन का उद्देश्य बना लिया। इस मिशन के प्रति वे इस तरह समर्पित हुए कि जीविका तक की चिंता नहीं रही। वे पांच माह पूर्व बीमार पड़ने तक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं। वे अब तक 20 हजार से अधिक शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। उनकी इस निस्वार्थ सेवा के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना, हालांकि कोरोना संकट के चलते वे अभी तक पद्मश्री सम्मान से विभूषित नहीं हो सके हैं।


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