Ayodhya Demolition Case : विवादित ढांचा ध्वंस पर फैसला: अभियुक्तों के वकील को भरोसा सभी होंगे बरी
Ayodhya Demolition Case कोर्ट की प्रक्रिया के अंतर्गत सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 994 गवाह के नाम दिए थे लेकिन इसमें से कुल 354 गवाह सीबीआई की तरफ से पेश किए जा सके। अब इन्हीं गवाहों के बयान पर कोर्ट का फैसला होगा।
लखनऊ, जेएनएन। भगवान राम की नगरी अयोध्या में लम्बे समय तक विवाद की जड़ रहे विवादित ढांचा ध्वंस मामले में बुधवार को फैसला आना है। 28 वर्ष पुराने इस मामले में अधिकांश अभियुक्तों के अधिवक्ता केके मिश्रा को भरोसा है कि इस मामले में सभी अभियुक्तों को कोर्ट बरी कर देगा।
केके मिश्रा ने बताया कि हमने केस से जुड़े साक्ष्य पेश करने के साथ दलील दी और जिरह की है। हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास है कि हम साक्ष्यों के आधार पर अदालत में बाइज्जत बरी होंगे। उन्होंने बताया कि कोर्ट की प्रक्रिया के अंतर्गत सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 994 गवाह के नाम दिए थे, लेकिन इसमें से कुल 354 गवाह सीबीआई की तरफ से पेश किए जा सके। अब इन्हीं गवाहों के बयान पर कोर्ट का फैसला होगा। अधिवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि देश की न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में यही कहूंगा कि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट इसमें शामिल की थी। कोर्ट ने सारे अभियुक्त तलब करे और उनका आरोप तय किया था।
इस दौरान आरोप तय होने के बाद सीबीआइ सभी के खिलाफ प्रॉसीक्यूशन लाता रहा। कोर्ट में मुख्य विवेचक ने रायबरेली के घटनाक्रम को मिलाकर कुल 354 गवाहों को परीक्षित करने का काम किया गया। कोर्ट की प्रक्रिया के अंतर्गत सीबीआई ने चार्जशीट में 994 गवाह के नाम दिए थे, लेकिन इसमें से कुल 354 गवाह सीबीआई की तरफ से पेश हो सके। इसमें तमाम सारे गवाहों की मौत हो गई या कुछ गवाहों के नाम-पते बदल गए। उन्हेंं सीबीआई ट्रेस नहीं कर पाई। इसके बावजूद सीबीआई ने जितना प्रयत्न किया, जितने लोगों को पेश किया।
अधिवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि विवेचक ने जिरह के दौरान यह स्वीकार किया है कि मैंने कहीं भी इतनी लंबी विवेचना नहीं देखी। मुझे 120बी यानी आपराधिक षड्यंत्र के तहत कोई भी साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए। इस तरह से मैं समझता हूं कि 120बी के षड्यंत्र की जहां तक बात है वह विवेचक के जिरह के दौरान इस बात से निकल कर आती है। जब विवेचक को कुछ घटना में आपराधिक षड्यंत्र के साक्ष्य मिले ही नहीं तो आपराधिक षड्यंत्र की बात कहना पूरी तरह से बेइमानी है। अगर कोई ऐसे साक्ष्य होते तो जरूर सीबीआई ढूंढ कर लाती। यह आपराधिक षड्यंत्र का कोई मामला ही नहीं था। घटना तो उस दिन वहां पर अचानक हुई थी।
केके मिश्रा ने कहा कि जितना हमने अपने जिरह के दौरान पाया है। एक काउंसिल होने के नाते मैं यह जरूर कह सकता हूं कि न्यायालय हमारे तथ्यों को ध्यानपूर्वक देखकर मुझे इस मुकदमे में बाइज्जत बरी करेगी। बाकी काम न्यायालय का है। मैं फिर कहूंगा कि न्यायालय दूध का दूध और पानी का पानी करती है। भूसे से सुई निकालने का काम करती है। न्यायालय हमारे तथ्यों को देखेगी। सीबीआई के तथ्यों को देखेगी। जो तथ्य हमने निकाल कर दिए हैं उन्हेंं भी देखेगी। उसमें से अपना व्यू प्रकट करेगी। 30 सितंबर को सबके सामने फैसला होगा। उन्होंने कहा कि अगर उनके पक्ष के किसी को भी सजा हुई तो हम हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेंगे। फैसले में अगर सजा के प्रावधान के बारे में केके मिश्रा ने कहा, अगर पांच वर्ष के नीचे की सजा है तो हम न्यायालय में तुरंत अंतरिम जमानत का निवेदन करेंगे। न्यायलय से याचना करेंगे। मुझे अंतरिम जमानत दी जाए। मुझे अपील करने का समय दिया जाए। हमें विश्वास है कि न्यायालय हमें जरूर पूरा समय उपलब्ध कराएगी। इसके बाद हम उच्च न्यायालय में जाएंगे और अपनी अपील दाखिल करेंगे।