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Ayodhya Demolition Case: पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने कहा- फैसला ऐतिहासिक, हम ही नहीं पूरा देश खुश

Ayodhya Demolition Case अयोध्या विध्वंस केस में लखनऊ की सीबीआइ अदालत के फैसले पर पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि अदालत का फैसला ऐतिहासिक है। हम लोग ही नहीं आज इस फैसले से पूरा देश खुश है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 02:45 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 03:25 PM (IST)
Ayodhya Demolition Case: पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने कहा- फैसला ऐतिहासिक, हम ही नहीं पूरा देश खुश
अदालत के फैसले पर पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि अदालत का फैसला ऐतिहासिक है।

लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Demolition Case: अयोध्या विध्वंस केस में लखनऊ की सीबाआइ अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सहित सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया गया है। अदालत के फैसले पर पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि अदालत का फैसला ऐतिहासिक है। हम लोग ही नहीं आज इस फैसले से पूरा देश खुश है।

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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से गाजियाबाद के यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती हैं, जिसकी वजह से वह सीबीआई अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के दौरान अदालत में मौजूद नहीं थे। सुनवाई के दौरान वह वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। उनके बेटे एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू ने कहा कि बाबू जी ने फैसले को ऐतिहासिक बताया है। वह पहले भी कह चुके हैं कि भगवान श्रीराम के मंदिर को बनने के लिए सत्ता ही क्या वह सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार है।

एटा के सांसद राजवीर सिंह ने छह दिसंबर, 1992 के दिन की यादें ताजा करते हुए कहा कि जब माहौल बिगड़ने लगा, तो बाबूजी के पास अयोध्या के जिलाधिकारी का फोन आया था। जिलाधिकारी ने कहा कि साढ़े लाख के आसपास कारसेवक जमा हो चुके हैं। केंद्रीय सुरक्षा बल मंदिर परिसर की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन कारसेवकों ने साकेत कॉलेज के पास उनका रास्ता रोक रखा है। तब बाबूजी ने कारसेवकों पर फायरिंग का आदेश देने से मना कर दिया था। वह आदेश अब भी फाइलों में होगा। फायरिंग करने से हालात और बिगड़ सकते थे। कई लोगों की जान जा सकती थी न सिर्फ यहां बल्कि पूरे देश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती थी। बाबूजी को अपने इस फैसले पर आज भी गर्व है कि मेरी सरकार चली गई लेकिन मैंने कारसेवकों को बचा लिया।

बता दें कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में हुए ढांचा विध्वंस मामले में बुधवार को सीबीआइ कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ कोई निश्चयात्मक सुबूत नहीं पेश कर सकी। विध्वंस के पीछे कोई साजिश नहीं रची गई और लोगों का आक्रोश स्वत: स्फूर्त था। इस मामले के मुख्य आरोपितों में एक स्व. अशोक सिंहल को कोर्ट ने यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वह तो खुद कारसेवकों को विध्वंस से रोक रहे थे, क्योंकि वहां भगवान की मूर्तियां रखी हुई थीं।

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