Ayodhya Demolition Case: रामनगरी अयोध्या में उत्सुकता और सुकून के बीच बीता फैसले का दिन
Ayodhya Demolition Case फैसले का दिन रामनगरी में उत्सुकता और सुकून के बीच बीता। पखवारा भर पूर्व ही ढांचा ढहाये जाने के मामले में फैसले की तारीख घोषित होने से आरोपियों के भविष्य और फैसले से उपजने वाले परिदृश्य को लेकर उत्सुकता बयां होने लगी थी।

अयोध्या [रघुवरशरण]। विवादित ढांचा ढहाये जाने पर फैसले का दिन रामनगरी में उत्सुकता और सुकून के बीच बीता। पखवारा भर पूर्व ही ढांचा ढहाये जाने के मामले में फैसले की तारीख घोषित होने से आरोपियों के भविष्य और फैसले से उपजने वाले परिदृश्य को लेकर उत्सुकता बयां होने लगी थी। बुधवार को सुबह नितनेम से उबरते ही संत निर्णय को लेकर टोह लेने लगे। कोई मीडिया से जुड़े लोगों को फोन कर जानकारी ले रहा था, तो कोई टीवी से चिपक कर फैसले को लेकर पल-पल की जानकारी लेता रहा।
पहले यह घोषित था कि फैसला 11 बजे से सुनाया जाएगा, हालांकि मध्याह्न 12:24 बजे सुनाया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को तलब कर रखा था, पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मामले के 49 आरोपियों में से एक मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद लंबे समय से क्वारंटाइन हैं। ऐसे में वह अदालत नहीं पहुंच सके थे और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए। अदालती कार्यवाही की मर्यादा के अनुरूप लखनऊ की सीबीआई अदालत लगने के साथ छावनी के मुख्य आगार को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया। इस बीच महंत नृत्यगोपालदास बंद कमरे में फैसला सुनते रहे। हालांकि आइसोलेट होने की वजह से उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हासिल हो सकी। यह जरूर हुआ कि टीवी चैनलों के माध्यम से छावनी परिसर में आरोपियों के बरी होने की खबर धीरे-धीरे फैलने लगी।
फैसले के वक्त छावनी में संतों की पंगत चल रही थी। इसी बीच फैसले से अवगत होने के साथ संतों की पांत मुदित होने लगी। संतों को पंगत करा रहे महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास भी मुदित नजर आये। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के पक्ष में गत वर्ष निर्णय आने के साथ हमें सबसे बड़ी खुशी पहले ही मिल चुकी है और आज ढांचा ढहाये जाने के आरोपियों को बरी किया जाना न्याय की ही जीत है। वह बोले, आरोपित तो वास्तव में उत्तेजित रामभक्तों को ढांचा ध्वंस करने से रोक रहे थे। निर्णय आने से उपजा सुकून छावनी से कुछ ही फासले पर स्थित रामवल्लभाकुंज में भी व्यक्त हो रहा था। मंदिर के अधिकारी राजकुमारदास और उनके सहयोगी संतों ने फैसला आते ही एक-दूसरे का मुंह मीठा करा खुशी का इजहार किया। इसके बाद राम मंदिर के लिए जान की बाजी लगाने वाले कारसेवकों को याद करते हुए राजकुमारदास की आंखें नम हो गयीं।
श्रद्धालु अपनी रौ में नजर आए : ढांचा ढहाये जाने के मामले के केंद्र में रहने वाली रामनगरी और इस मामले के आरोपियों से जुड़े साधु-संतों के लिए यह दिन तो उत्सुकता का सबब था, पर बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपनी रौ में नजर आए। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी की सीढ़ियां उतरकर रामजन्मभूमि की ओर समूह में बढ़ रहे सोनभद्र के शिक्षक धीरज यादव को पता भी नहीं होता कि आज इस अहम फैसले का दिन है। उनकी प्राथमिकता रामलला के दर्शन की होती है। हनुमानगढ़ी की सीढ़ियां आमदिनों की तरह श्रद्धालुओं से पटी होती हैं और वे विवाद से बेखबर आस्था से सराबोर होते हैं।
विवाद भूल तरक्की में लगें : बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल अंसारी अपने कोटिया मुहल्ला स्थित आवास पर फैसले से उपजे सुकून का निहितार्थ परिभाषित कर रहे थे। उन्होंने सभी आरोपियों को बरी किये जाने का स्वागत करते हुए याद दिलाया कि वे पहले से ही मामले के सभी आरोपियों को बरी किये जाने की जरूरत बता रहे थे। इकबाल ने कहा, गत वर्ष नौ नवंबर को रामजन्मभूमि के हक में सुप्रीम फैसला आने के साथ विवाद पीछे छूट गया है और ऐसा कोई काम नहीं किया जाना चाहिए, जिससे गड़े मुर्दे फिर उखड़ें और दोनों समुदायों को विवाद भूलकर मुल्क की तरक्की में लगना चाहिए।
Edited By Umesh Tiwari